झारखंड की भू आकृति के बारे में विस्तार पूर्वक वर्णन करें?
झारखंड 21° 58` 10″ उत्तरी अक्षांश से 25° 19′ 15″ दक्षिणी अक्षांश तथा 83° 20′ 50″ पूर्वी देशांतर 88°4’40” पूर्वी देशांतर के मध्य फैला हुआ है। यह राज्य चतुर्भुज के आकार का है।झारखंड का कुल क्षेत्रफल 79714 वर्ग किलोमीटर है भारत के कुल क्षेत्रफल का 2.4% है। झारखंड के पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़, उत्तर में बिहार दक्षिण में उड़ीसा से घिरा है।
झारखंड का प्रमुख भौतिक लक्षण छोटा नागपुर पठार है। जो कि पठार पहाड़ियों तथा घाटियों की श्रृंखला है। यह लगभग समूचे राज्य में फैला है और अधिकांशत क्रिस्टल चट्टानों से बना है। हजारीबाग और रांची यह दो मुख्य पठार दामोदर नदी के भंशित और कोयला युक्तअवसाद से विभाजित हैं। इनकी औसत ऊंचाई लगभग 610 मीटर है पश्चिम में 300 से अधिक विच्छेद इट लेकिन सपाट शिखर वाले पठार हैं जिनकी ऊंचाई लगभग 914 मीटर है और यह पाट कहलाते हैं। झारखंड में उच्चतम बिंदु हजारीबाग स्थित पारसनाथ की शंक्वाकार ग्रेनाइट चोटी है जिसकी ऊंचाई 1369 मीटर है। जैन मतावा लंबी और संथाल जनजाति दोनों ही इसे पवित्र मानते हैं। दामोदर घाटी में मिट्टी बन गई है जबकि पठार की मिट्टी अधिकांश का लाल है। संपूर्ण भारत में वनों के अनुपात में यह प्रदेश एक अग्रणी राज्य माना जाता है। इस प्रदेश के अन्य बड़े शहरों में धनबाद बोकारो एवं जमशेदपुर शामिल है।

झारखंड की जल निकासी व्यवस्था
किसी क्षेत्र की सतह या उपसतह के पानी को प्राकृतिक कृत्रिम ढंग से हटाना जल निकासी कहलाता है। कृषि भूमि के उत्पादन को सुधारने या पानी की आपूर्ति के प्रबंधन के लिए जल निकासी की आवश्यकता पड़ती है। प्राकृतिक हटाओ से एवं जंगल पहाड़ पठार कनिष्क बताओ से अलंकृत झारखंड की धरती पर जीवन को और भी सुंदर बनाने के लिए अनेक नदियां एवं जलप्रपात है। प्रतिवर्ष लगभग 1000 मिलीमीटर से भी अधिक वर्षा वाला यह राज्य झारखंड भूगर्भीय जल में भी पीछे नहीं है। कोयल, अजय गुमानी, स्वर्णरेखा, दामोदर नदी अपने जल से प्रकृति और प्रकृति के प्राणियों में प्राण का संचार करती रहती है। इस प्रदेश की अधिकांश नदियां भारत की अन्य नदियों से भिन्न है। झारखंड में कठोर चट्टानों के कारण भूमिगत जल का स्तर नदियों से अलग रह जाता है यह नदियां कठोर एवं पथरीले और पहाड़ी भूभाग से प्रवाहित होने के कारण बिहार एवं उत्तर प्रदेश की नदियों की तरह अपने मार्ग नहीं बदलती है बल्कि साथ ही साथ यहां की नदियों का प्रवाह भू आकृति के कारण नियंत्रित रहता है। यू के दिनों में अल्प मात्रा में जल रहता है या यह नदियां लगभग सूख जाती हैं इस प्रदेश में उत्तर की ओर प्रवाहित होने वाली नदियां मैदानी भाग में प्रवेश करने के कारण मंद पड़ जाती हैं और कम कटाव कर पाती है जबकि ठीक इसके विपरीत दक्षिण की ओर बहने वाली नदियां दूर तक सिर्फ गति से बहती है और वे अधिक कटाव कर पाती हैं ।झारखंड की किसी भी नदी में नाव नहीं चलाई जा सकती है क्योंकि पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यह नदियां नाव चलाने की उपयुक्त नहीं है।

नदियों के अलावा इस प्रदेश में अनेक प्रकार के प्राकृतिक जलकुंड है जो अपने भौगोलिक, धार्मिक, प्राकृतिक, वैज्ञानिक एवं अन्य महत्व के लिए प्रसिद्ध है। इन प्राकृतिक जल कुंड का जल हमेशा गर्म रहता है। हजारीबाग दुमका, सिमडेगा, गुमला, धनबाद आदि जिले में गर्म पानी के इस तरह के झड़ने अवस्थित हैं। यह गर्म पानी हिमाचल प्रदेश के तत्तापानी को याद दिलाते हैं ठीक हिमाचल के की तरह इंतजार में भी गंदा के खनिज लवणों का मिश्रण खुला होता है जिसके कारण अनेक रोगी विशेष तौर से त्वचा रोगों से ग्रस्त मरीज इन गर्म जल कुंड के पानी में नहाते हैं जिससे उनकी बीमारी का इलाज हो पाता है इस चिकित्सा में धर्म की मान्यता भी जुड़ी हुई है इन सभी कारणों से यह प्राकृतिक स्रोत पर्यटकों के लिए आकर्षक का केंद्र बना हुआ है। हजारीबाग का सूरजकुंड नाम से ही काफी प्रसिद्ध है से गर्म एवं विख्यात जलकुंड है जिसका तापमान 190 डिग्री होता है। हजारीबाग में गर्म जल के अनेक झरने हैं जिनमें पिंडारकुण्ड , काबा, लुरगाथा आदि प्रमुख हैं। इसी तरह से इस प्रदेश में लगभग 20 छोटे बड़े और आकर्षक जलप्रपात भी हैं जो जीवन को जल्द से और भी प्राण मान बना देते हैं। हुंडरू का जलप्रपात झारखंड का सबसे बड़ा जलप्रपात है अतः इस प्रदेश के एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में भी विख्यात हो चुका है। यहां पानी की जलधारा 300 पीठ के ऊपर से गिरती है हुंदरू रांची शहर से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इस जलप्रपात से सिकिदिरी पनबिजली संयंत्र में बिजली का उत्पादन भी होता है। दूसरा आकर्षक जलप्रपात रांची शहर के 40 किलोमीटर दूरी पर कांची नदी स्थित दशम जलप्रपात है। यह 10 चल धाराओं का प्रपात है इसलिए इसे दशम जलप्रपात कहा जाता है। सदनी जलप्रपात गुमला जिले में है। शंख नदी पर स्थित इस जलप्रपात में जलधारा लगभग 200 फीट से गिरती है। झारखंड के प्रसिद्ध शक्तिपीठ रजरप्पा में दामोदर नदी पर रजरप्पा जलप्रपात भी काफी आकर्षक है। नेतरहाट में घाटी नदी पर स्थित जलप्रपात पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र है क्योंकि इसकी जलधारा लगभग 150 फीट के ऊपर से गिरती है।
हमारा झारखंड इसी प्रकार के संपदा ओं से भरा पूरा है।