वार्षिक ताप परिसर Annual Range Temperature:-
वर्ष के सबसे गर्म महीने के औसत तापमान और सबसे ठण्डे महीने के औसत तापमान के अन्तर को वार्षिक ताप-परिसर कहा जाता है। जिन स्थानों का दैनिक और वार्षिक ताप-परिसर जितना अधिक होता है, उतनी ही वहाँ की जलवायु विषम होती है, किन्तु जहाँ यह कम होता है वहां की जलवायु भी सम होती है। वार्षिक ताप-परिसर की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
कर्क तथा मकर रेखाओं के बीच में अर्थात् उष्ण कटिबन्ध सूर्य वर्ष में दो बार लम्बवत् चमकती है। इस कारण वहाँ दो अधिकतम तथा दो न्यूनतम तापमान प्राप्त होते हैं। अत: इस कटिबन्ध के महाद्वीपीय भागों में ताप परिसर सर्वाधिक रहता है।
शीतोष्ण तथा शीत कटिबन्घों में ग्रीष्ममें सूर्य की अपेक्षाकृत लम्बवत् किरणों प्राप्त होती हैं।तथा तापमान ऊँचे रहते हैं। इसके विपरीत, शीत ऋतु में तापमान अधिक गिर जाता है। अतः ताप परिसर अधिक रहता है।
सागर के सीमावर्ती भागों में तापपरिसर कम होता है, क्योंकि जल और स्थल सभी दैनिक तापमान को सम रखते हैं।
ऊँचाई बढ़ने से भी तापपरिसर कम हो जाता है। ध्रुवों पर वार्षिक तापपरिसर सबसे अधिक होता है, क्योंकि वहां 6 महीने तक निरन्तर सूर्य चमकता रहता है और शेष 6 महीने निरन्तर रात्रि रहती है।

भू-मंडल पर तापमान का क्षैतिज वितरण Distribution Temperature on Earth Surface:-
भूमण्डल पर तापमान के वितरण का अध्ययन दो रूपों में किया जाता है-
तापमान का क्षैतिज वितरण
तापमान का ऊर्ध्वाधर वितरण।
तापमान का क्षैतिज वितरण Horizontai Distribution of Temperature:-
सूर्यामिताप की मात्रा विषुवत् रेखा से उत्तर और दक्षिण की और बढ़ने पर घटती जाती है। इससे स्पष्ट है, कि धरातल पर ताप क्षेत्रों की सीमाएँ अक्षांश रेखाओं द्वारा बनायी जाती हैं। यूनानी विद्वानों ने इसी आधार पर पृथ्वी को निम्नांकित तीन ताप कटिबन्धों (Thermal zones) में विभक्त किया था-
उष्ण कटिबंध Torrid or Tropical Zone- विषुवत रेखा के दोनों ओर कर्क रेखा (23½° उत्तर) और मकर रेखा (23½° दक्षिण) के बीच फैला है। सूर्य 21 जून को कर्क रेखा पर तथा 22 दिसम्बर को मकर रेखा पर लम्बवत् चमकता है। साथ ही साथ ये दोनों रेखाएँ सूर्य की उत्तरी तथा दक्षिणी सीमाएँ हैं इन्हीं के मध्य सूर्य वर्षपर्यन्त चमकता है। अत: इस कटिबन्ध में वर्षपर्यन्त अधिक तापमान रहता है। इस मण्डल में तापमान 52°C तक रिकार्ड किया गया है।

शीतोष्ण कटिबन्ध Temperate zone- दोनों गोलाद्धों में 23½° अक्षांश से 66½° अक्षांश तक फैला हुआ है। इस भाग में दिन की लम्बाई 40° अक्षांश पर 16 घण्टे, 63° अक्षांश पर 20 घण्टे होती है।
शीत कटिबन्ध Frigid Zone- दोनों गोलाद्धों में 66½° अक्षांश से ध्रुवों तक 90 अक्षांश) फैले हुए हैं। इस भाग में दिन की अवधि 64 घण्टे से अधिक होती है। ध्रुवों के समीप 6 महीने का दिन और 6 महीने की रात होती है। सूर्य की किरणे अत्यन्त तिरछी पड़ने के कारण यहां कठोर शीत पड़ती है।
सूपान (Supan) ने ताप खण्डों की सीमाएँ समताप रेखाओं द्वारा निर्धारित कीं गईं हैं। उनके अनुसार 20° सेण्टीग्रेड वार्षिक तापमान रेखा उष्ण कटिबन्ध की सीमा बनाती है। और 10° सेण्टीग्रेड ताप वाली ग्रीष्म ऋतु की तापमान रेखा शीतोष्ण कटिबन्ध को शीत कटिबन्ध से पृथक् करती है।
समतापी रेखाएँ Isothems:-
समान तापमान वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखा को समताप रेखा के नाम से जाना जाता है।
“भूमण्डल पर तापमान का वितरण समतापी रेखाओं द्वारा दिखाया जाता है। ये समतापी रेखाएँ वे कल्पित रेखाएँ हैं, जो कि सभी स्थानों के समुद्र तल पर मानकर समान औसत तापमान वाले स्थानों को मिलाती हैं।”
अतः उन रेखाओं को बनाने से पूर्व प्रत्येक स्थान के तापमान को समुद्र तल पर स्थित मान लिया जाता है, क्योंकि ऊँचाई पर तापमान कम होता रहता है। यदि कोई स्थान समुद्रतल से 1,650 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और उसका तापमान 6° सेण्टीग्रेड है, तो उसका समुद्र तल पर तापमान 16° सेण्टीग्रेड ही होगा। क्योंकि 165 मीटर की ऊंचाई पर 1° सेण्टीग्रेड तापमान गिर जाता है। अत: मानचित्र में उस स्थान का समुद्रतल का तापमान 16° सेण्टीग्रेड समताप रेखा द्वारा प्रकट किया जाएगा। ऐसा करने पर ताप की तुलना ठीक प्रकार हो सकती है।
विश्व में समताप रेखाओं की प्रवृत्ति Trend of Isotherms of World:-

- समतापी रेखाएँ सामान्य अक्षांशों के समानान्तर पूर्व से पश्चिम जाती हैं, क्योंकि भूखण्ड पर भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर सूर्याभिताप की मात्रा घटती-बढ़ती रहती है। तो तापमान अक्षांशों के अनुसार घटताबढ़ता है।
- ये रेखाएँ सीधी होती हैं, किन्तु समुद्रतट के समीप इनकी दिशा में परिवर्तन हो जाती है। स्थल से समुद्र की ओर जाते समय ये रेखाएँ ग्रीष्म ऋतु में विषुवत् रेखा की ओर तथा शीत ऋतु में ध्रुवों की ओर मुड़ जाती हैं, क्योंकि जल और स्थल के तापमान में अन्तर पाया जाता है। सामुद्रिक धाराएँ तथा स्थायी पवनें भी इनकी दिशाओं को प्रभावित करती हैं।
- दक्षिणी गोलार्द्ध में उत्तरी गोलार्द्ध की अपेक्षा जल का विस्तार अधिक होने से ये रेखाएं अधिक स्थायी (सीधी) हो जाती है।
- जल और स्थल के मिलन क्षेत्रों में इनकी सामान्य दिशा पूर्व-पश्चिम की अपेक्षा उत्तर-दक्षिण हो जाती है।
- निम्न अक्षांशों में जलधाराओं के कारण ये रेखाएं विषुवत् रेखा की ओर झुक जाती हैं, जबकि ऊंचे अक्षांशों में गर्म जल की धाराओं के कारण ये ध्रुवों की ओर झुक जाती हैं।
- विषुवत् रेखा पर वर्ष भर अधिक सूर्याभिताप की प्राप्ति के कारण सर्वोच्च औसत तापमान पाया जा सकता है या पाया जाता है।
- ध्रुवों पर सूर्य की किरणे सदैव तिरछी पड़ने तथा तीन महीने तक सूर्य के न निकलने के कारण निम्नतम औसत तापमान ध्रुवों के निकट पाई जाती है।

- उत्तरी गोलार्द्ध में गर्मी का सर्वोच्च तापमान और शीतकाल का निम्न तापमान स्थल पर ही पाई जाती है।
- उदाहरण:- अफ्रीका में लीविया देश के अजीजिया नगर का सर्वोच्च तापमान 72° सेण्टीग्रेड और साइबेरिया के वखॉयांस्क नगर में निम्नतम तापमान -50° सेण्टीग्रेड अंकित किया गया है।
जनवरी और जुलाई के तापमान Temperature of January and July:-
जनवरी का समताप-दर्शक मानचित्र देखने से यह स्पष्ट होता है,कि इस समय उच्चतम तापमान दक्षिणी गोलार्द्ध में होता है। आस्ट्रेलिया और दक्षिणी अफ्रीका में 30° सेण्टीग्रेड से भी अधिक तापमान पाया जाता है। और न्यूनतम तापमान उत्तरी गोलार्द्ध में साइबेरिया, ग्रीनलैण्ड और उत्तरी कनाडा में पाए जाते हैं। “साइबेरिया में स्थित वखॉयांस्क” नामक स्थान पर इस ऋतु में तापमान -50° सेण्टीग्रेड तक नीचे उतर जाता है। विश्व का सबसे ठंडा स्थान यही है। इसे विश्व का ठंडा ध्रुव (cold pole of the earth) भी कहा जाता है।
इसके विपरीत, जुलाई की समतापी रेखा से स्पष्ट होता है, कि इस समय उच्चतम तापमान उत्तरी गोलार्द्ध में और न्यूनतम तापमान दक्षिणी गोलार्द्ध में है। इस समय 30° सेण्टीग्रेड वाली रेखा उत्तरी गोलार्द्ध के एक बड़े भाग को घेरे हुए रहती है, और उत्तरी अमरीका, अफ्रीका और एशिया के सभी मरुस्थलों में 40° सेण्टीग्रेड से भी अधिक तापमान होता है। सहारा तथा थार मरुस्थलों से 52° सेण्टीग्रेड भी अधिक तापमान बढ़ जाता है। इस में सबसे कम तापमान दक्षिण ध्रुवों पर पाया जाता है।