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अपवाह तंत्र के संदर्भ में संक्षिप्त विवरण

देश के वार्षिक बारिश का करीब45.3% जल देश की 113 नदियों में प्रवाहित होता है। चुकी भारत नदियों का देश है भारत के आर्थिक विकास में नदियों का काफी महत्वपूर्ण योगदान रहता है। यहां 4000 से भी अधिक छोटी बड़ी नदियां मिलती है, जिन्हें23 बृहद एवं 2 साल लघु स्तरीय नदी बेसिन में विभाजित किया जाता है। अपवाह तंत्र किसी नदी तथा उसकी सहायक धाराओं द्वारा निर्मित जल प्रवाह की विशेष व्यवस्था है। यह एक तरह का जाल तंत्र है जिसमें नदियां एक दूसरे से मिलकर जल के एक दिशीय प्रवाह का मार्ग बनाती है। उत्पत्ति के आधार पर भारत की नदियों को दो भागों में बांटा गया है-

  1. हिमालय का अपवाह
  2. प्रायद्वीपीय अपवाह
  3. हिमालय का अपवाह
    १. सिंधु अपवाह तंत्र- सिंधु अपवाह तंत्र की प्रमुख नदी सिंधु है। इसकी कुल लंबाई 2880 किलोमीटर है। भारत में इसकी लंबाई 701 किलोमीटर है। या तिब्बत में मानसरोवर झील के निकट निकलती है और भारत से होकर बहती है तत्पश्चात पाकिस्तान से होकर अंत में कराची के पूर्व अरब सागर में गिरती है।। इसकी सबसे बड़ी सहायक नदी चिनाब है तथा अन्य सहायक नदियों में सतलुज व्यास रवि झेलम आदि प्रमुख है भाखड़ा नांगल बांध सतलज पर ही स्थित है।
  4. २. ब्रह्मपुत्र अपवाह तंत्र- ब्रह्मपुत्र का उद्गम क्षेत्र मानसरोवर झील के निकट महान हिमनद से होता है। यह भारत में नामचा बरवा चोटी को काट का प्रवेश करती है। जहां इसे दीहांग कहते हैं। यह विश्व की सबसे लंबी नदियों में से एक है। जिसकी लंबाई 29 किलोमीटर है। यह गारो पहाड़ी के निकट गोआलपाड़ा के पास बांग्लादेश में पप्रवेश करती है। इस नदी में ही विश्व की सबसे बड़ी नदी द्वीप माजुली है जो संकटग्रस्त स्थिति में है। ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत से निकलती है जहां इसे सांग पोकहा जाता है। यमुना घाघरा गंडक कोसी महानदी सोन इस की सहायक नदियां हैं।
    ३. गंगा अपवाह तंत्र- गंगा अपवाह तंत्र में मुख्य नदी गंगा है। गंगा उत्तराखंड के गोमुख के निकट गंगोत्री हिमानी से निकलती है। जहां इसे भागीरथी कहते हैं। बांग्लादेश में गंगा को पदमा कहा जाता है जहां वह बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं रामगंगा ,वरुणा, गोमती ,कोसी महानंदा ,यमुना ,सोन आदि।
    ●हिमालय से निकलने वाली नदियों का अपवाह प्रतिरूप-
    भौतिक दृष्टि से देश में अभी प्रणालियों का विकास हुआ है जिन्हें क्रम से हिमालय की नदियां एवं दक्षिण के पठार की नदियों के नाम से भी संबोधित किया जाता है हिमालय अथवा उत्तर भारत की नदियों द्वारा निम्नलिखित प्रकार के अपवाह प्रतिरूप विकसित किए गए हैं-
  5. कम्रहीन अपवाह- जब कोई नदी अपनी प्रमुख शाखा से अलग होकर विपरीत दिशा से आकर मिलती है तब कम्रहीन अपवाह प्रतिरूप का विकास हो जाता है। ब्रह्मपुत्र तथा इससे मिलने वाली सहायक नदियां इसी प्रकार का अफवाह बनाती हैं।
    2 . समानांतर अपवाह- उत्तर के विशाल मैदान में पहुंचने वाली पर्वतीय नदियों द्वारा समानांतर अपवाह प्रतिरूप विकसित किया जाता है।
  6. खंडित अपवाह- उत्तर भारत के विशाल मैदान में पहुंचने के पूर्व भाबर क्षेत्र में विलीन हो जाने वाली दीया खंडित या विलुप्त अपवाह का निर्माण करती है।
  1. पूर्ववर्ती अपवाह- इस प्रकार का अफवाह तब उदय होता है जब कोई नदी अपने मार्ग में आने वाली बाधाओं को काटते हुए पुरानी घाटी में ही प्रवाहित होती है। इस अपवाह प्रतिरूप की नदियों द्वारा अपहरण का भी उदाहरण प्रस्तुत किया जाता है। हिमालय से निकलने वाली सिंधु तीस्ता भागीरथी सतलज आदि नदियां पूर्ववर्ती अपवाह प्रतिरूप का निर्माण का काम करती है।
  2. प्रायद्वीपीय अपवाह तंत्र-
    १. गोदावरी अपवाह तंत्र- यह भारत की सबसे लंबी नदी है जिसकी लंबाई मदरसा 65 किलोमीटर है इसे दक्षिण गंगा या वृद्ध गंगा भी कहा जाता है। इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं पैनगंगा, वैनगंगा , इंद्रावती मंजीरा आदि। मी घाट की नासिक की पहाड़ियों में त्रयंबक से मिलती है।
    २. नर्मदा अपवाह तंत्र- इस अपवाह तंत्र की मुख्य नदी नर्मदा नदी प्रायद्वीपीय भारत की एक प्रमुख नदी है। इसका उद्गम मैकाल पर्वत की अमरकंटक चोटी है। विंध्याचल एवं सतपुड़ा के बीच बनाती है जबलपुर के पास या धुआंधार प्रपात बनाती है। यह अरब सागर में गिरती है जबकि प्रायद्वीपीय भारत की ज्यादातर बड़ी नदियां बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं और डेल्टा बनाती है।
    दक्षिणी क्षेत्र से निकलने वाली नदियों का अपवाह प्रतिरूप-
    ● अनुगामी अपवाह- जब कोई नदी धरातलीय ढाल की दिशा में प्रवाहित होती है अनुगामी अपवाह का निर्माण होता है।
    ● जाली नुमा अपवाह- जब नदियां पूर्णता ढाल का अनुसरण करते हुए प्रवाहित होती हैं तथा धार में परिवर्तन के अनुसार उनके मार्ग में परिवर्तन होता है तब जाली नुमा अपवाह का निर्माण होता है
    ● परवर्ती अपवाह- जब नदियां अपनी मुख्य नदी में डाल का अनुसरण करते हुए समकोण पर आकर मिलती है तब परवर्ती अपवाह का निर्माण होता है। चंबल ,सिंधु, बेतवा ,काली के द्वारा परवर्ती अपवाह प्रतिरूप का निर्माण होता है।
    ● अरीय अपवाह- इसे आप केंद्रीय अफवाह भी कहा जाता है। इस अपवाह तंत्र के अंतर्गत एक नदी एक अस्थान से निकलकर चारों दिशाओं में प्रवाहित होती है। नर्मदा सोन तथा महानदी ने दक्षिण भारत में अमरकंटक पर्वत से निकलकर अरीय अपवाह का निर्माण किया है।

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