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हरित क्रांति के महत्वपूर्ण तथ्यों का विस्तार में वर्णन कीजिए?

हरित क्रांति की स्थापना 1960 में हुई। इसके संस्थापक एम एस स्वामीनाथन एवं नॉरमन बोरलॉग थे। हरित क्रांति का मुख्य उद्देश्य था किसान की फसल की पैदावार बढ़ाना , नई-नई तकनीकों के माध्यम से की फसल को दुगना कैसे किया जाए और किसान की आरती की स्थिति को कैसे सुधारा जाए। हरित क्रांति के फलस्वरूप मुख्य रूप से खेती में तकनीकी सुधार किए गए, जिसका मूल्य उद्देश्य केवल और केवल कृषि उत्पादकता मैं वृद्धि करना था। आज हरित क्रांति के माध्यम से ही भारतीय किसानों को सिंचाई की तरह तरह की सुविधाएं प्राप्त हुई है। हमारे देश में हरित क्रांति के माध्यम से खेती को सफल बनाने के लिए कई कार्यक्रम चालू किए गए जैसे कि उन्नत बीजों के प्रयोग में वृद्धि। आज भारत के किसान अपनी फसल को दोगुने करने में कामयाब हुए हैं यह सब हरित क्रांति के माध्यम से ही संभव हो पाया है। इस उद्देश्य के तहत कृषि सेवा केंद्र की स्थापना की गई, जहां पर किसानों को प्रोत्साहन एवं तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया। आज हमारे भारत में कई प्रकार के आधुनिक कृषि यंत्रो का प्रयोग किया जाने लगा है जैसे कि ट्रैक्टर, हार्वेस्टर ,ट्रॉली, पंजा और भी अनेक तरह के कृषि यंत्रो का उपयोग भारतीय किसान करते हैं।


हरित क्रांति के प्रभाव और लाभ :
हरित क्रांति के फलस्वरूप खेती के लिए बेहतर परिवहन, सिंचाई और भंडारण की सुविधाओं का प्रयोग होने लगा. 1960-61 में रासायनिक खाद का उपभोग केवल 39 हजार टन था। वह 2009-10 मे बढ़ कर 264.86 लाख टन हो गया। नई विकास विधि के अन्तर्गत वर्ष 2009-2010 में 257 लाख कुन्तल प्रमाणित बीज वितरित किये गए। भारत में 88 प्रतिशत गेहॅू की फसल में उन्नत बीजो ( HYV Seeds) का प्रयोग किया जाता है। सरकारी नीति के अन्तर्गत 17 राज्यों में कृषि उद्योग निगमों की स्थापना की गई है। इन निगमों का कार्य कृषि उपकरण व मशीनरी की पूर्ति तथा उपज के प्रसंस्करण एवं भण्डारण को प्रोत्साहन देना है। कृषि विकास नीति के अन्तर्गत सरकार द्वारा कृषकों को उनकी फसल का उचित मूल्य देने की गारण्टी दी जाती है। नई कृषि तकनिकों के चलते उत्पादकता में वृद्धि तो हुई, इसी के साथ किसानों की आय में भी अच्छा खासा परिवर्तन देखने के लिए मिला. कृषि द्वारा तैयार माल को उद्योगों में कच्चे माल की तरह उपयोग में लिया जाने लगा और इस तरह एक इनपुट के रूप में कृषि संसाधनो का उपयोग उद्योगों में संभव हुआ. कृषि की नई तकनीकि अथवा हरित क्रान्ति के कारण कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई जिसके परिणामस्वरुप फसलों की कटाई के लिए श्रम की मांग बढ़ गई I कृषि के आधुनिकीकरण के फलस्वरुप अब कृषि में उद्योग निर्मित आयातों जैसे कृषि यंत्र व रासायनिक उवर्रक की मांग में भारी वृद्धि हुई है।


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