Share it

झारखंड की जनसंख्या वृद्धि और घनत्व तथा उनके प्रमुख त्योहार के बारे में महत्वपूर्ण टिप्पणी?

झारखंड राज्य की जनसंख्या वृद्धि दर राष्ट्रीय दर से ज्यादा है। झारखंड का औसत जनसंख्या घनत्व 338 व्यक्ति वर्ग किलोमीटर 2001 की जनगणना के अनुसार झारखंड राज्य की साक्षरता 54% है जो राष्ट्रीय साक्षरता दर से कम है। वर्तमान जनगणना के अनुसार झारखंड में 76% ग्रामीण आबादी है जबकि 24% शहरी आबादी है। यहां स्त्री और पुरुष का अनुपात 949 है। और कूल शिशु जनसंख्या 5389495 है। राज्य में अनुसूचित जाति के लोगों की कुल जनसंख्या 3985644 है जो कुल जनसंख्या का 12% है। vinayiasacademy.com
झारखंड की जनजातियां
झारखंड यानी झाड़ जो स्थानीय रूप में बढ़िया है और खंड यानी टुकड़े से मिलकर बना है अपने नाम के अनुरूप या मूलत एक वन प्रदेश है जो झारखंड आंदोलन के फल स्वरुप उदित हुआ झारखंड एक जनजातीय राज्य है 15 नवंबर 2000 को यह प्रदेश भारतवर्ष का 28 वा राज्य बना। बुकानन के अनुसार काशी से लेकर बीरभूम तक समस्त पठारी क्षेत्र झारखंड के लाता था। झारखंड क्षेत्र विभिन्न भाषाओं संस्कृतियों और धर्मों का संगम क्षेत्र कहा जा सकता है क्योंकि द्रविड़ आर्य मास्टरों एशियाई तत्वों के सम्मिश्रण का इससे अच्छा कोई क्षेत्र भारत में नहीं है।
अनुसूचित जनजातियों की कुल आबादी का आधे से अधिक जनसंख्या लोहरदगा जिले और पश्चिमी सिंहभूम जिले में हैं जबकि रांची और पाकुड़ में इनकी प्रतिशत 41 से 44 है। कोडरमा जिले में अनुसूचित जनजाति का जनसंख्या अनुपात. 8% और चतरा में 3. 8% है। झारखंड 32 आदिवासी समूह तथा अनुसूचित जनजातियों का समूह है जो कि इस प्रकार हैः
मुंडा
संथाल
उड़ाव
खड़िया
गोंड
कोल
कनबार
सावर
असुर
बैगा
बंजारा
बेदिया
बिनझिया
चेरो

गोराई
करमाली
हो
खोंड
लोहरा
मोहाली
माल पहाड़िया
सौरिया पहाड़ियां
भूमिज
vinayiasacademy.com
झारखंड के जनजातियों का प्रमुख त्योहार
झारखंड में कुल 32 जनजातियां मिलकर रहती हैं। एक विशाल सांस्कृतिक प्रभाव होने के साथ-साथ झारखंड यहां के मनाए जाने वाले अपने त्योहारों की मेजबानी के लिए जाना जाता है। इसके उत्सव प्रकृति के कारण या भारत की ज्वलंत आध्यात्मिक कैनवास पर भी कुछ अधिक रंग फैलाता है। झारखंड में पूरे उल्लास के साथ सभी त्योहारों को मनाया जाता है। झारखंड के मुख्य आकर्षण आदिवासी त्योहारों के उत्सव में होता है यहां की सबसे प्रमुख उल्लास के साथ मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है “सरहुल”।
सरहुल– यह पर्व बसंत के मौसम के दौरान मनाया जाता है, जब साल के पेड़ की शाखाओं पर नए फूल खिलते हैं। यह गांव के देवता की पूजा है जिन्हें इन जनजातियों का रक्षक माना जाता है इस देवता की पूजा साल के फूलों से की जाती है। पूजा के दिन के पिछली शाम को 3:00 में मिट्टी के बर्तन लिए जाते हैं और उसे ताजे पानी से भरा जाता है और अगली सुबह इन मिट्टी के बर्तन के अंदर पानी का स्तर देखा जाता है अगर पानी का स्तर कम होता है तो इससे अकार्य कम बारिश होने की भविष्यवाणी की जाती है और यदि पानी का स्तर सामान्य रहता है तो वह अच्छी बारिश का संकेत माना जाता है। पूजा समाप्त होने के बाद हरिया नामक प्रसाद ग्रामीणों के बीच वितरित किया जाता है चावल से बनाए बीयर होते हैं पूरा गांव गायन और नृत्य के साथ सरहुल का त्यौहार मनाता है। यह त्यौहार छोटा नागपुर के इस क्षेत्र में लगा सप्ताह भर मनाया जाता है। कोल्हान क्षेत्र में इस त्यौहार को बा पोरोब कहा जाता है। जिसका अर्थ फूलों का त्यौहार होता है यह खुशियों का त्योहार है। vinayiasacademy.com


कर्मा– कर्मा त्यौहार कर्म देवता, बिजली, युवा और देवता की पूजा है। यह भद्रा महीने में चंद्रमा की 11 पर आयोजित किया जाता है। युवा ग्रामीणों के समूह जंगल में जाते हैं और लकड़ी पर और फूलों को इकट्ठा करके जो की पूजा के दौरान आवश्यक होता है लेकर आते हैं। झारखंड के आदिवासी क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण और जीवंत युवा महोत्सव का दुर्लभ उदाहरण में से एक है

तुशु- यह ज्यादातर बुंडू, तमाड़ और झारखंड की राइ डीह क्षेत्र के बीच के क्षेत्र में देखा जाता है। भारत की आजादी के आंदोलन के दौरान इस क्षेत्र में एक महान इतिहास देखा गया है। के अंतिम दिन में सर्दियों के दौरान आयोजित एक फसल कटाई का त्यौहार है यह खासकर अविवाहित लड़कियों के लिए भी है लकड़ी या बांस रंग के प्रेम को कागज के साथ लपेट कर उपहार की तरह सजाते हैं और पाक के पहाड़ी नदी में प्रदान कर देते हैं। वहां इस त्योहार पर उपलब्ध कोई दस्तावेज इतिहास नहीं है बल्कि यह जीवन और स्वास्थ्य भरा गाने की विशाल संग्रह पेश करती है यह गीत जनजातीय लोगों को सादगी और मासूमियत को दर्शाते हैं।


Share it