स्वर्णरेखा नदी घाटी परियोजना के बारे में विस्तार पूर्वक वर्णन?
इस परियोजना की न्यू 1978 में रखी गई जिससे देश के 3 राज्यों को सीधा फायदा पहुंचने वाला था। झारखंड की सबसे बड़ी दामोदर नदी के बाद राज्य की दूसरी बड़ी नदी स्वर्णरेखा है। स्वर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना आप 1000 करोड़ में पूरी होगी केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय से इस की प्रशासनिक स्वीकृति भी मिल चुकी है। स्वर्णरेखा नदी प्रदेश की सबसे बड़ी नदी घाटी बहुउद्देशीय परियोजना केंद्र सरकार से प्रस्तावित हैं
स्वर्ण रेखा भारत के झारखंड प्रदेश में बहने वाली एक पहाड़ी नदी है। यह रांची नगर से 16 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में स्थित नगरी गांव में रानी चूआँ नामक स्थान से निकलती है उत्तर पूर्व की ओर बढ़ती हुई मुख्य पठार को छोड़कर प्रपात के रूप में गिरती है इस प्रपात को हुंडरू जलप्रपात के नाम से जाना जाता है। प्रपात के रूप में गिरने के बाद नदी का बहाव पूर्व की ओर हो जाता है और मानभूम जिले के तीन संगम बिंदुओं के आगे या दक्षिण पूर्व की ओर मुड़कर सिंबू में बहती हुई उत्तर पश्चिम से मिदनापुर जिले में प्रवेश हो जाती है। इस जिले के पश्चिमी भूभाग के जंगलों में बहती हुई बालेश्वर जिले में पहुंचती है यह पूर्व पश्चिम की ओर टेढ़ी-मेढ़ी बहती हुई बालेश्वर नामक स्थान पर बंगाल की खाड़ी में गिरती है। इस नदी की कुल लंबाई 474 किलोमीटर है और लगभग 28928 वर्ग किलोमीटर का जल निकास किसके द्वारा होता है। इसकी प्रमुख सहायक नदियां कांची एवं करकारी है। भारत का प्रसिद्ध एवं पहला लोहे तथा इस्पात का कारखाना इसी के किनारे स्थापित हुआ। कारखाने के संस्थापक जमशेदजी टाटा के नाम पर बसा यहां का नगर जमशेदपुर या टाटानगर कहा जाता है। अपने मुहाने से ऊपर की ओर या 16 मील तक देसी ना वो के लिए नौगम्य है।

झारखंड के विभिन्न प्रकार के उद्योगों के बारे में उल्लेख करें?
झारखंड दुनिया का सबसे अमीर खनिज क्षेत्रों में से एक है। इसके बड़े खनिज भंडार के कारण खनन और खनिज निष्कर्षण राज्य में या काफी आ गया है। 2018 से 19 के दौरान खनिज उत्पादन का मूल्य 2313 करोड़ था। हमारा राज्य खनिज संसाधनों से समृद्ध है। झारखंड के नवजात राज्य में कोयला अभ्रक और अन्य खनिजों में विशेषकर सिंहभूम, बोकारो, हजारीबाग, रांची ,कोडरमा, धनबाद आदि के शोषण की प्रबल संभावना है।
झारखंड कोयला( भारत के भंडार का 27.3%), लौह अयस्क( भारत के भंडार का 26%), तांबा अयस्क( भारत के भंडार का 18.5%), यूरेनियम, बॉक्साइट, ग्रेनाइट और चूना पत्थर जैसे खनिज संसाधनों से समृद्ध है। कूल लौह अयस्क के 25% भंडार के साथ झारखंड राज्य में दूसरे स्थान पर है । राज्य के उद्योग एक विशेष स्थान विशेष लाभ का आनंद लेते हैं क्योंकि यह पूर्वी भारत के विशाल बाजार के करीब है। यह कोलकाता हल्दिया और पारादीप के बंदरगाहों के करीब है जो खनिजों के परिवहन में मदद करता है। राज्य देश में तसर सिल्क का सबसे बड़ा उत्पादक है, जिस के कुल उत्पादन में 76.4% हिस्सा है। दो हजार अट्ठारह से 19 में राज्य में कच्चे रेशम का उत्पादन 2375 मेट्रिक टन था।
झारखंड के प्राकृतिक संसाधन, नीतिगत प्रोत्साहन स्थान विशेष लाभ खनन और धातु निष्कर्षण, इंजीनियरिंग, लोहा और इस्पात और रसायनों जैसे क्षेत्रों में निवेश का समर्थन करते हैं।
झारखंड में इंजीनियरिंग उद्योग के प्रमुख विकास ड्राइवर कच्चे माल, बिजली, पानी और औद्योगिक श्रम की उपलब्धता है ।

झारखंड के बड़े उद्योग कुछ इस प्रकार हैं:
सार्वजनिक क्षेत्र का बोकारो स्टील प्लांट
जमशेदपुर में निजी क्षेत्र की टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी
अन्य प्रमुख उद्योग
टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी
टिमकें इंडिया लिमिटेड
भारत कुकिंग लिमिटेड
खिलाड़ी सीमेंट फैक्ट्री
इंडियन एलुमिनियम
एसीसी सीमेंट
सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड
उषा मार्टिन, उषा बेल्ट्रॉन, यूरेनियम कॉरपोरेशन लिमिटेड
हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड
हिंडालको बॉक्साइट�