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मानव विकास सूचकांकः मानव विकास सूचकांक ऐसा सूचकांक है जिसका उपयोग देशों को मानव विकास के आधार पर आंख ने के लिए किया जाता है ।इस बात का पता चलता है कि कोई देश विकसित है या विकासशील है अथवा विकसित है। मानव विकास सूचकांक जीवन और संकेतकों का एक मिश्रित आंकड़ा है जो मानव विकास के चार स्तरों पर देशों को श्रेणी गत करने में उपयोग किया जाता है। जिस देश की जीवन प्रत्याशा , शिक्षा स्तर एवं जीडीपी प्रति व्यक्ति अधिक होती है उसे उच्च श्रेणी प्राप्त होती है। एचडीआई का विकास पाकिस्तानी अर्थशास्त्री द्वारा किया गया था इसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा प्रकाशित किया गया ।90 में पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब उल हक द्वारा तैयार किए गए और सम्मिलित किए गए क्रियाकलापों में यह शामिल था। उनका उद्देश्य विकास अर्थशास्त्र का केंद्र बिंदु राष्ट्रीय आय लेखा से मानव केंद्रित नीतियों पर स्थानांतरित करना था। मानव विकास रिपोर्ट तैयार करने के लिए महबूब उल हक ने पॉलिश्ड रिटर्न, प्रिंसेस स्टुअर्ट, गुस्ताव रानी, सुधीर आनंद और मेघनाथ देसाई सहित विकास अर्थशास्त्रियों के एक समूह का गठन किया। इनका मानना था कि सार्वजनिक विकास को शिक्षाविदों और राजनेताओं को समझाने के लिए मानव विकास के लिए एक सरल समग्र उपाय की आवश्यकता थी आर्थिक विकास बल्कि उसके साथ-साथ मानव कल्याण में भी सुधार के विकास का मूल्यांकन करना चाहिए। मानव विकास सूचकांक समग्र सूचकांक है। जो स्वास्थ, शिक्षा और जीवन स्तर को ध्यान में रखता है । 2008 में भारत के लिए राष्ट्रीय औसतHDI0.486 था 2010 में इसका औसत HDI 0.519 तक बढ़ गया l


भारत का एचडीआई मूल्य 2013 में 0.58 6 था। जो कि मानव विकास श्रेणी के अनुसार मध्यम वर्ग में आता है जो देश को 135 स्थान पर रखता है 187 देशों और क्षेत्रों में से। 80 से लेकर 2013 के बीच भारत का मानव विकास सूचकांक मूल्य 0.36 9 से बढ़कर 0.58 6 तक पहुंच गया। जो कि 58.7% या 1.41% की औसत वार्षिक वृद्धि हुई है। 1980 और 2013 के बीच जन्म के समय भारत की जीवन प्रत्याशा 11.0 वर्ष की वृद्धि हुई। यानी कि स्कूली शिक्षा में 2.5 साल की वृद्धि हुई और स्कूली शिक्षा की उम्मीद में 5.3 साल की वृद्धि हुई ।1980 और 2013 के बीच प्रति व्यक्ति जी एन आई भारत की 30 6.2% की वृद्धि हुई।
बहुआयामी गरीबी सूचकांक( एमपी आई): 2010 एच डी आर ने बहुआयामी गरीबी सूचकांक की शुरुआत की जोकि एक घर में ही शिक्षा, स्वास्थ्य जीवन स्तर को दिखाता है। शिक्षा और स्वास्थ्य आयाम प्रत्येक दो संकतकों पर आधारित है जबकि रहने वाले आयाम के मानक 6 संकेत पर आधारित है। सभी संकेत को जिनकी जरूरत है एक घर के एमपीआई के निर्माण के लिए बस अभी एक ही परिवार सर्वेक्षण से लिए जाते हैं। संकेतक एक अभाव इसको बनाने के लिए व्यथित कर रहे हैं और सर्वेक्षण में एक घर के लिए अभाव स्कोर की गणना की जाती है। 35.3% का अभाव स्कोर, गरीबी और गैर गरीब के बीच भेद करने के लिए प्रयोग किया जाता है। अगर घर का अभाव स्कोर 35.3% या उससे अधिक है तो वह घर बहुआयामी गरीब वर्गीकृत किया गया है। वह घर जिनका अभाव स्कोर 20% से अधिक या बराबर है लेकिन 33% से कम है तो वह घर बहुआयामी गरीबी के पास है। भारत में एमपीआई के आकलन के सबसे हाल-फिलहाल के सर्वेक्षण के आंकड़े जो कि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है वह 2005 से 2006 के लिए संदर्भित करता है। भारत में जनसंख्या का 55.3% बहुआयामी गरीब है जबकि इसके अतिरिक्त 18.2% बहुआयामी गरीबी के पास है भारत में अभाव का विस्तार 51. 1% है। एमपीआई जो जनसंख्या का हिस्सा है जो कि बहुआयामी गरीब है अभाव की तीव्रता द्वारा समायोजित 0.282 है।


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