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आईसीडीएस( एकीकृत बाल विकास योजना) मध्याह्न भोजन योजना से आप क्या समझते हैं?

बाल विकास सेवा योजना एक केंद्रीय प्रायोजित योजना है और 1975 से 76 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने बच्चों के समग्र विकास और मां के सशक्तिकरण के उद्देश्य से इसे शुरू किया है। इस योजना का सफल क्रियान्वयन आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की प्रतिबद्धता पर निर्भर करता है क्योंकि बच्चों में मृत्यु दर, रोग और कुपोषण की घटनाएं बहुत अधिक थी। इस कम करने के लिए आईसीडीएस परियोजनाएं 1.8.1997 को 24आंगनवाड़ी केंद्रों के साथ शुरू हुई थी। वर्तमान में यहां लगभग 3 आईसीडीएस प्रोजेक्ट है जिनमें लगभग 500 आंगनवाड़ी केंद्र शामिल है।
आईसीडीएस का मुख्य उद्देश्यः

  • एकीकृत बाल विकास सेवा योजना निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ 1975 में शुरू की गई थीः
  • 0 से 6 साल के आयु वर्ग के बच्चों की पोषण और स्वास्थ्य स्थिति में सुधार।
  • बच्चे के उचित मनोवैज्ञानिक, शारीरिक विकास के लिए नींव ।
  • मृत्यु दर, रोग, कुपोषण और स्कूल छोड़ने वाले की घटनाओं को कम करना।
  • बाल विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न विभागों के बीच नीति और कार्यान्वयन के प्रभावी समन्वय को प्राप्त करना।
  • माता को उचित पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से सामान्य स्वास्थ्य और पोषण संबंधित आवश्यकता ओं की देखभाल करने की क्षमता बढ़ाने के लिए।

सेवाएंः उपरोक्त उद्देश्यों संयुक्त सेवाओं के पैकेज के माध्यम से प्राप्त की जाने की मांग की गई हैः
पूरक पोषण
प्रतिरक्षा
स्वास्थ्य जांच
रेफरल सेवाएं
पूर्व स्कूल गैर औपचारिक शिक्षा
पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत सार्वजनिक स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से 6 सेवाओं में से तीन अर्थात टीकाकरण स्वास्थ्य जांच और रेफरल सेवाएं मुहैया कराई गई है
सेवाओं का विवरण नीचे दिया गया हैः
पूरक आहार कार्यक्रमः इसमें पूरा आहार है विकास की निगरानी को शामिल किया गया है तथा विटामिन ए की कमी और पोषण एनीमिया के नियंत्रण के खिलाफ भी कुछ कदम उठाए गए हैं। समुदाय के सभी परिवारों का सर्वेक्षण किया जाता है अलवर से कम उम्र के बच्चों और गर्भवती और नरसिंह माताओं की पहचान करने के लिए यह कदम उठाया गया है। वे 1 वर्ष में 300 दिनों के लिए पूरक आहार का लाभ उठाते हैं आहार प्रदान करके आंगनवाड़ी राष्ट्रीय अनुशंसित और कम आय वाले बच्चों और महिलाओं की औसत से 1 के बीच कैलोरी अंतर को पुल करने का प्रयास किया जाता है। वर्तमान में जेल डिपार्टमेंट द्वारा 100 आंगनवाड़ी केंद्रों को आहार पूर्ति किया जा रहा है विभाग ने पूरा आंशिक कार्यक्रमों की आपूर्ति के लिए सभी 400 आंगनबाड़ी केंद्रों को जेल अधिकारियों को सौंपने की योजना बनाई है विकास की निगरानी और पोषण निगरानी के लिए दो महत्वपूर्ण क्रियाकलाप है। 3 वर्ष की आयु से कम उम्र के बच्चों को महीने में एक बार वजन होता है और 3 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों का त्रैमासिक वजन होता है। 6 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए वजन वजन के विकास कार्ड बनाए जाते हैं और पोषण संबंधित स्थिति का आकलन इससे सही ढंग से हो पाता है।

प्रतिरक्षाः गर्भवती महिला और शिशु के टीकाकरण बच्चों को छः वैक्सीन से बचाव करने योग्य रोगों- पोलियो योर माईलाइटिस, डिप्थीरिया, कपाट, टेटनस, टीवी और खसरे से बचाता है। यह बच्चे की मृत्यु दर, विकलांगता, विकार संबंधित कुपोषण के प्रमुख निवारक कारण है। टेटनस के खिलाफ गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण में मातृ एवं नवजात मृत्यु दर भी कम हो जाती है।
स्वास्थ्य जांच यूपीएसः इसमें 6 साल से कम उम्र के बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल, गर्भवती मां की जन्म पूर्व देखभाल और नरसिंह माताओं की जौनपुर देखभाल शामिल है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कर्मचारियों के लिए बच्चों के लिए विभिन्न स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती है। नियमित स्वास्थ्य जांच , प्रतिरक्षण, कुपोषण का प्रबंधन, दस्त का उपचार, डी वार्मिंग और सरल दवाइयों का वितरण इसमें शामिल है । वर्तमान में आईसीडीएस लाभार्थियों की स्वास्थ्य जांच के लिए डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की एक टीम नियुक्त की गई है।
रेफरल सेवाः स्वास्थ्य जांच और विकास की निगरानी के दौरान बीमारियां कुपोषित बच्चों को शीघ्र चिकित्सीय ध्यान देने की आवश्यकता है जिन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या इसके उप केंद्रों में भेजा जाता है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी युवा बच्चों में विकलांगों का पता लगाने के लिए काफी प्रयत्न कर रहे हैं। रेफरल सेवाएं 6 साल तक के के लिए, गर्भवती और नरसिग माताओं जो जोखिम में है के आयु वर्ग के बच्चों को प्रदान की जाती है। लाभार्थियों को डिस्पेंसरी, पीएचसी, जनरल अस्पताल या फिर जीएमसीएच भेजा जाता है।
गैर प्रपत्र प्री स्कूल एजुकेशनएजुकेशनः आईसीडीएस कार्यक्रम के गैर औपचारिक पूर्व विद्यालय शिक्षा घटा को आईसीडीएस कार्यक्रम की रीढ़ की बात मारा जाता है क्योंकि इसकी सभी सेवाएं अनिवार्य रूप से आंगनवाड़ी एक गांव और झोपड़ी या फिर शहरी जुग्गी आंगन से मिलती है। आंगनवाड़ी केंद्र इन सेवाओं को देने के लिए मुख्य मंच है। भारत ने बच्चों के लिए अपनी प्रतिबद्धता के अनुपालन में वर्तमान सरकार ने हर मानव निवास और निपटान में एडब्ल्यूपीएस स्थापित करने का निर्णय लिया है इसके बाद यह डब्लू की कुल संख्या लगभग 1.4 मिलियन तक बढ़ जाएगी। आंगनबाड़ी केंद्रों के सभी कार्य दिवस के बच्चों को गैर औपचारिक पूर्व विद्यालय शिक्षा प्रदान की जाती है उनके लिए तैयार समय सारणी के अनुसार लाभार्थियों को प्रीस्कूल एक्शन प्रदान किया जाता है।


पोषण और स्वास्थ्य शिक्षाः पोषण स्वास्थ्य और शिक्षा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के काम का एक प्रमुख तत्व है। यह बीसीसी रणनीति का एक हिस्सा है जिसमें महिलाओं की क्षमता निर्माण का दीर्घकालिक लक्ष्य है- 15 से 45 वर्ष की आयु वर्ग में जो स्वयं के स्वास्थ्य पोषण और विकास की जरूरत के साथ-साथ अपने बच्चों और परिवारों की देखभाल भी कर सकें।
पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करने के लिए 15 से 45 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं को कवर किया गया है और हर सोमवार को प्रत्येक आंगनवाड़ी केंद्रों में माताओं की बैठकों का आयोजन किया जाता है। स्वास्थ्य और पोषण शिक्षा प्रदान करने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता प्रतिदिन पांच होम विजिट का आयोजन करते हैं तथा खाद्य और पोषण बोर्ड के अधिकारी नियमित रूप से इस केंद्रों का दौरा करते हैं।
आईसीडीएस द्वारा संचालित अन्य योजनाएंः

  • भारत सरकार ने एक 11 से 18 वर्षों के आयु वर्ग के किशोरों के लिए नई योजना शुरू की है अर्थात ” और किशोरों के सशक्तिकरण के लिए राजीव गांधी योजना” एस ए बी एल ए के मंच का प्रयोग किया जाता है इस योजना के तहत निम्नलिखित सेवाएं प्रदान की जा रही है:
  • विद्यालय लड़कियों के लिए 11 से 14 वर्ष और सभी लड़कियों के लिए 14 से 18 स्कूलों और स्कूलों के लिए पोषण घटक।
  • लोहा और फोलिक एसिड पूरक।
  • स्वास्थ्य जांच और रेफरल सेवा।
  • पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा।
  • परिवार कल्याण, ए आर ए एस एच, बाल देखभाल प्रथा और गृह प्रबंधन पर परामर्श।
  • जीवन कौशल शिक्षा और सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच।
  • राष्ट्रीय कौशल विकास कार्यक्रम के तहत 16 वर्ष से अधिक आयु के लड़कियों के लिए व्यवसायिक प्रशिक्षण।

हमारी बेटी योजनाः संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित करने के लिए लड़की को बचाने और समाज को प्रोत्साहित करने के लिए जहां लड़की की बच्ची को अभी भी भेदभाव किया गया है और उसके विकास की प्रक्रिया के भीतर विभिन्न नुकसान के अधीन है। योजना के तहत प्रशासन ने संस्थागत द्वारा बालिका के जन्म पर ₹40000 की लाभ वित्तीय सहायता प्रदान की है। यह योजना आईसीडीएस, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, पर्यवेक्षक, सीडीपीओ और कार्यक्रम अधिकारी के कर्मचारियों द्वारा लागू की गई है।

मध्यान्ह भोजन योजनाः यह भारत सरकार की एक योजना है के अंतर्गत पूरे देश के प्राथमिक और लघु माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों को दोपहर का भोजन निशुल्क प्रदान किया जाता है। नामांकन बढ़ाने, प्रतिधारण उपस्थिति तथा इसके साथ-साथ बच्चों में पानी का स्तर में सुधार करने के उद्देश्य से 15 अगस्त 1995 को केंद्रीय प्रायोजित स्कीम के रूप में प्रारंभिक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पौषिटक सहायता कार्यक्रम शुरू किया गया था। अधिकतर बच्चे खाली पेट स्कूल पहुंचते हैं जो बच्चे स्कूल आने से पहले भोजन करते हैं उन्हें भी दोपहर तक भूख लग जाती है और भी अपना ध्यान पढ़ाई पर केंद्रित नहीं कर पाते हैं। भोजन बच्चों के लिए पूरक पोषण के स्रोत और उनके स्वास्थ्य विकास के रूप में कार्य करता है। स्कूल की भागीदारी में लैंगिक अंतराल को भी यह कार्यक्रम कम कर सकता है क्योंकि यह बालिकाओं को स्कूल जाने से रोकने वाले अवरोधों को समाप्त करने में सहायता करता है। मध्यान भोजन स्कीम छात्रों के ज्ञानात्मक भावात्मक और सामाजिक विकास में सहायता करता है गीत बंधन भोजन को बच्चों में विभिन्न अच्छी आदतें डालने के अवसर के रूप में उपयोग किया जाता है यह इसकी महिलाओं को रोजगार के उपयोगी स्रोत से भी प्रदान किया गया है।
स कार्यक्रम के उद्देश्यः

  • सरकारी स्थानीय निकाय कारी सहायता प्राप्त स्कूल और शिक्षा गारंटी योजना और वैकल्पिक प्रयोगात्मक शिक्षा केंद्र ध्यान के तहत सहायता प्राप्त मदरसों एवं अफसरों में वर्ग 1 से 8 के बच्चों के पोषण स्तर में सुधार करना।
  • अंकित वर्गों के गरीब बच्चों को नियमित रूप से स्कूल आने और कक्षा के कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करने में सहायता करना।
  • काश के दौरान अकाल पीड़ित क्षेत्रों में प्रारंभिक स्तर के बच्चों को पोषण संबंधित सहायता प्रदान करना।
  • केंद्रीय सहायता के संघटक ः
  • इस समय मध्यान भोजन योजना राज्य सरकारों तथा क्षेत्र के प्रशासन के लिए निम्नलिखित सहायता प्रदान करती हैः
  • प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों के लिए 100 ग्राम प्रति बच्चा प्रति स्कूल दिवस की दर से और उच्च प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों के लिए 50 ग्राम प्रति बच्चा प्रति स्कूल दिवस की दर से भारतीय खाद्य निगम के निकटतम गोदाम से निशुल्क खाद्यान्न की आपूर्ति।
  • विशेष श्रेणी वाले राज्य( अरुणाचल प्रदेश, आसाम, मेघालय, मिजोरम सिक्किम, गंगटोक, कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश ) के लिए 1 दिसंबर 2009 से प्रचलित पीडीसी दरों के अनुसार परिवहन सहायता।
  • ₹5000 प्रति विद्यालय की औसत लागत के आधार पर किचन के सामान प्राप्त करने के लिए सहायता दी जाना।
  • मध्यान्ह भोजन योजना का नवीनीकरण
  • मध्यान्ह भोजन योजना का जनजाति, अनुसूचित जाति अल्पसंख्यक बहुल जिलों के गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों में विस्तार।
  • विद्यालयों की परिसरों में पूर्व प्राइमरी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों के लिए भी इस योजना का विस्तार।
  • मौजूदा घटकों या स्कूलों के लिए सहायता के तौर तरीकों का संशोधन।


मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के साथ समन्वय के उद्देश्य से सभी राज्य के शिक्षा विभागों को अवगत किया है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम केंद्र सरकार की नई पहल है जिसका उद्देश्य जन्म से 18 वर्ष की आयु के बच्चों की स्वास्थ्य जांच और पोषण का प्रबंध करना है।


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