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चट्टानों के प्रकार और विशेषताएं:
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पृथ्वी की ऊपरी परत या भू-पटल (क्रस्ट) में मिलने वाले पदार्थ चाहे वे ग्रेनाइट तथा बालुका पत्थर की भांति कठोर प्रकृति के हो या चाक या रेत की तरह कोमल; चाक एवं लाइमस्टोन की भांति प्रवेश्य हों या फिर स्लेट की भांति अप्रवेश्य हों, चट्टान को शैल (रॉक) भी कहा जाता हैं। इनकी रचना विभिन्न प्रकार के खनिजों का सम्मिश्रण से हैं। चट्टान कई बार केवल एक ही खनिज द्वारा निर्मित होती है, किन्तु सामान्यतः यह दो या अधिक खनिजों का योग से होती हैं। पृथ्वी की पपड़ी या भू-पृष्ठ का निर्माण लगभग 2000 खनिजों से हुआ है, परन्तु मुख्य रूप से केवल 20 खनिज ही भू-पटल निर्माण की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। भू-पटल की संरचना में ऑक्सीजन 46.6%, सिलिकन 27.7%, एल्यूमिनियम 8.1 %, लोहा 4%, कैल्सियम 3.6%, सोडियम 2.8%, पौटैशियम 2.6% तथा मैग्नेशियम 2.1% भाग का निर्माण करती हैं।


चट्टान के प्रकार:

चट्टान मुख्यतः आग्नेय अवसादी और कायांतरित तीन प्रकार के होते हैं। आग्नेय चट्टानें पृथ्वी के तप्त, पिघले मैग्मा के ठंडा होकर ठोस हो जाने से निर्मित होती हैं या बनता है। हमारी पृथ्वी प्रारम्भ में गर्म एवं पिघली अवस्था में थी। अतः पृथ्वी के ऊपरी आवरण के ठंडा होने से पृथ्वी पर सर्वप्रथम आग्नेय चट्टानें ही बनीं थीं। इसी से आग्नेय चट्टानों को प्रारम्भिक चट्टानें भी कहा जाता हैं। स्थिति के आधार पर ये अन्तर्निर्मित या बहिनिर्मित प्रकार की होती हैं। सूर्य-ताप, वर्षा, पाला आदि द्वारा चूर्ण किए गये पदार्थों को नदी या हिमनदी बहाकर अथवा हवा उड़ाकर किसी झील, समुद्र या अन्य निचले भागों में परत के ऊपर परते जमा कर देती हैं। इन जमा किए गये पदार्थों को ‘अवसाद’ तथा इनसे निर्मित चट्टानों को अवसादी चट्टानें कहा जाता हैं। इन चट्टानों में परते पायी जाती हैं, अतः इन्हें परतदार चट्टानें भी कहते हैं। पृथ्वी के आन्तरिक ताप, दबाव अथवा दोनों के प्रभाव से आग्नेय, अवसादी अथवा अन्य परिवर्तित चट्टानों के मूल रूप में परिवर्तन हो जाने से बनने वाली चट्टानों को परिवर्तित या रूपान्तरित चट्टान कहें जाते हैं।


१.बेसाल्ट:
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बेसाल्ट एक ज्वालामुखी चट्टान होती है। यह चट्टान काले भूरे रंग की होती है। यह चट्टान सूक्ष्म कणों से बनी हुई होती है। इस प्रकार की चट्टान मेंटल के पिघलने की वजह से बनती है। इसका प्रयोग मूर्तियाँ बनाने में किया जाता है।
लावा पिघली हुई चट्टान आर्थात मैग्मा का धरातल पर प्रकट होकर बहने वाला भाग है। यह ज्वालामुखी उद्गार द्वारा बाहर निकलता है और आग्नेय चट्टानों की रचना करता है।
जिसे हम बेसाल्ट कहते हैं। ज्वालामुखी से निकले लावा से बेसाल्ट चट्टानो का निर्माण हुआ।

२. ग्रेनाइट:
यह चट्टानें गुलाबी भूरे रंग की होती हैं। यह बहुत ही कठोर होती हैं, और इनका प्रयोग निर्माण कार्य में बहुत अधिक मात्रा में होता है। इन्हें हिन्दी में कणाश्म भी कहते हैं।


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