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भारत में पाए जाने वाले प्रमुख फसलों का विस्तार रूप से वर्णन-

भारत एक कृषि प्रधान देश है तथा यहां की लगभग दो-तिहाई जनसंख्या का निर्वाह कृषि से होता है। भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की अहम भूमिका है। कृषि हमारे देश की रीढ़ है। संपूर्ण भारत में कार्यशील जनसंख्या का करीब 55% लोग कृषि में लगे हुए हैं जबकि ब्रिटेन में 3% अमेरिका में 4% तथा कनाडा में 8%। भारत में कुल भूमि के 57.1% भाग पर खेती की जाती है जबकि चीन में 12%, जापान में 15%, ब्रिटेन में 23%, अमेरिका में के 22.8%, फ्रांस 36.3% तथा स्पेन में35.6% भाग पर खेती की जाती है। भारत में खाद्यान्न फसलों का प्रतिशत 70, अखाद्यान्न फसलों का 8%, रेशेदार फसल 4%, तिलहन 4% कचरा 4% है। भारत में मुख्य रूप से 4 फसले पाई जाती है:-
1.खाद्यान फसले
2.व्यवसायिक फसलें
3.पेय फसलें
4.रेशेदार फसलें


1. खाद्यान फसले

गेहूं– भारत की मुख्य खाद्यान्न फसल में से एक गेहूं है। यह भारत की प्रमुख रवि की फसल है जो कि समशीतोष्ण क्षेत्रों में पाई जाती है। भारत में गेहूं उत्पादन का लगभग70% पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान पता बिहार में होता है। गेहूं के उत्पादन में भारत का विश्व में तीसरा स्थान है। गेहूं को विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जाता है। लेकिन अच्छे जल निकास वाली मध्यम दोमट मिट्टी इसके लिए अच्छी होती है। गेहूं की अच्छी पैदावार करने के लिए इसकी बिजाई सही समय पर करनी चाहिए बिजाई का समय राज्य के विभिन्न खंडों की जलवायु पर निर्भर करता है।हरित क्रांति के कारण भारत में गेहूं के उत्पादन में आत्मनिर्भरता हुई और अप्रत्याशित बढ़ोतरी भी हुई।

मक्का- मक्का की फसल भी प्रमुख फसलों में से एक हैं जिसका उपयोग चारे खाद्यान्न के रूप में किया जाता है। देश में कुल मक्का उत्पादन का लगभग 60% आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश तथा पंजाब में किया जाता है भारत का मक्का उत्पादन में विश्व में दसवां स्थान है।

चावल- खरीफ फसलों में चावल भी एक प्रमुख फसल है। चावल के उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। इसकी पैदावार उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है। चावल उत्पादन के लिए उपयुक्त मिट्टी फास्फोरस वाली होती है। हरित क्रांति के दौरान भारत में चावल की अनेक प्रजातियां विकसित की गई जिनमें विजया, पदमा, कांची आदि प्रमुख है। भारत के विभिन्न भागों में उपजाए जाने वाले चावल के प्रकार ,मिट्टी संरचना और विशेषताओं पर निर्भर करते हैं।मौसम के अनुसार पूरे वर्ष भर में चावल की तीन फसलें अमन, ओस और बोरो को पैदा किया जाता है। भारत मैं चावल के उत्पादन का 90% पश्चिमी बंगाल, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, तमिलनाडु आदि राज्यों में किया जाता है। पूरे देश के कुल कृषि योग्य भूमि के लगभग 45% भाग पर चावल की खेती की जाती है। बुवाई और रोपण के लिए दो मौसम होते हैं रवि और खरीफ मौसम क्योंकि चावल एक खरीफ फसल है चावल की कटाई अक्टूबर से नवंबर में की जाती है एवं भारत में इसकी मानसूनी जलवायु में खेती की जाती है। चावल धार्मिक जिसे भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।


बाजरा– बाजरा का उत्पादन खाद्यान्न और चाबी दोनों के लिए किया जाता है। इसकी कृषि गर्म तथा स्वस्थ जलवायु में होती है इसलिए इसकी खेती जून से अक्टूबर के मध्य की जाती है इसे 15 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान तथा 40 से 60 सेंटीमीटर वर्षा की आवश्यकता होती है। भारत में राजस्थान में इसका सबसे ज्यादा उत्पादन होता है।


2.व्यावसायिक फसलें-


गन्ना-
गन्ना सारे विश्व में पैदा होने वाली प्रमुख फसल है। भारत को गन्ने का जन्म स्थान माना जाता है जहां आज भी विश्व में गन्ने के अंतर्गत सर्वाधिक क्षेत्रफल प्रार्थी प्रतिशत पाया जाता है। वर्तमान में गन्ना उत्पादन में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है यद्यपि ब्राजील एवं क्यूबा भारत के लगभग बराबर ही करना उत्पन्न करते हैं। भारत में गन्ने की खेती का मुख्य भाग अरध्रउष्णकटिबंधीय भाग है। इस क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल, बिहार, पंजाब हरियाणा मुख्य गन्ना उत्पादक राज्य है। मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और आसाम के भी कुछ क्षेत्रों में गन्ना उत्पन्न किया जाता है। गन्ने की खेती व्यापक रूप से उसने कटिबंधीय क्षेत्र में की जाती है क्योंकि गन्ना एक उष्णकटिबंधीय फसल है लिए इन राज्यों में अनुकूलतम कृषि जलवायु स्थित है। इसके लिए 100 से 200 सेंटीमीटर वर्षा की जरूरत होती है। यह साधारणतः मध्य दिसंबर से मार्च तक बोया जाता है तथा आगामी दिसंबर से मार्च के मध्य तक काट लिया जाता है।


गरम मसाले– भारतीय मसाले देश और दुनिया सभी जगह अपनी खुशबू और रंग के लिए मशहूर होते हैं। खारी बावली ना केवल एशिया का सबसे बड़ा थोक मसाला बाजार है बल्कि इसे उत्तरी भारत का एक सबसे महत्वपूर्ण व्यवसायिक केंद्र भी माना जाता है। यहां पर व्यापारी और दुकानदार मसालों, सूखे मेवों और अन्य वस्तुओं को सबसे सस्ते दामों रूप में खरीदने आते हैं। इन प्रमुख मसालों में काली मिर्च, लॉन्ग, दालचीनी, अदरक, धनिया और सरसों आदि शामिल है यह ज्यादातर महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश ,केरल, कर्नाटक तथा तमिलनाडु आदि क्षेत्रों में उगाई जाती है।
रबड़– सन 1902 में पहला रबड़ का ब्रिज केरल में पेरियार नदी के किनारे लगाया गया जोकि दक्षिण अमेरिका से मंगवाया गया था। देश के कुल रबड़ उत्पादन का लगभग 90% रबड़ उत्पादन केरल में होता है। रबड़ उत्पादन में भारत को विश्व में चौथा स्थान प्राप्त है। भारत में रबड़ के कलमी पौधों को इंडोनेशिया तथा मलेशिया से आयात किया जाता है। यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जाता है इसके लिए 150से 200 सेंटीमीटर बारिश की आवश्यकता होती है।

3.पेय फसलें


चाय के पौधे का उत्पादन भारत में पहली बार 1234 में अंग्रेज सरकार द्वारा परीक्षण के रूप में व्यापारिक पैमाने पर किया गया था। चाय उत्पादन के लिए आदर जलवायु उपयुक्त मानी जाती है। भारत में असम, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा कर्नाटक, दार्जिलिंग आदि क्षेत्रों में उगाया जाता है।यदि बसंत एवं शीत ऋतु में वर्षा हो जाए तो चाय की पत्तियों को वर्ष में चार से पांच बार तोड़ा जा सकता है। इसके का औसत 150 से 180 सेंटीमीटर होना चाहिए असम के पहाड़ी भागों में 125 से 375 सेंटीमीटर तक में दार्जिलिंग में 250 से 500 सेंटीमीटर तक वर्षा वाले भागों में होता है। चाय को अक्टूबर से नवंबर में बोया जाता है तथा या चुनने का मौसम वर्ष में तीन से चार बार चलता है पहली बार अप्रैल से जून तक, दूसरी बार जुलाई से अगस्त तक, और तीसरी बार सितंबर से अक्टूबर तक। भारत से चाय का निर्यात विश्व के 80 से अधिक देशों में किया जाता है। चायउत्पादक देशों में भारत, श्रीलंका, चीन, जापान आदि प्रमुख हैं। भारत में चाय का उत्पादन
तंबाकू– दुनिया भर में तंबाकू के कारण हर साल लगभग 600000 लोग असमय मौत के शिकार बनते हैं। बावजूद इसके तंबाकू के उत्पादन में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है। इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण है तंबाकू का उत्पादन एक व्यवसाय है लागत कम और आमदनी ज्यादा है। चीन के बाद भारत ज्यादा दूसरा तंबाकू उत्पादन करने वाला देश है। भारत से तकरीबन 90 देशों में तंबाकू निर्यात किया जाता है। देश में कुल तंबाकू उत्पादन का 78% भारत के सिर्फ 4 राज्यों में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिल नाडु और कर्नाटक में किया जाता है। निकोटीना ट्यूबेकप तथा निकोटीना रस्टिका तंबाकू के मुख्य किस्में है।


कहवा( कॉफी)– भारत में कॉफी का उत्पादन मुख्य रूप से दक्षिणी भारतीय राज्यों के पहाड़ी क्षेत्रों में होता है। भारतीय कॉफी दुनिया भर की सबसे अच्छी गुणवत्ता की कॉफी मानी जाती है क्योंकि इसे छाया में उगाया जाता है जबकि दुनियाभर में अन्य स्थानों में कॉफी को सीधे सूर्य के प्रकाश में उगाया जाता है। कॉफी भारत के प्रो में उगाई जाती है कर्नाटक केरल और तमिलनाडु दक्षिणी भारत के पारंपरिक कॉफी उत्पादक क्षेत्र है, इसके बाद देश के पूर्वी तट में उड़ीसा और आंध्र प्रदेश के गैर पारंपरिक क्षेत्रों में मैं कॉफी उत्पादक क्षेत्रों का विकास हुआ है, तथा तीसरे क्षेत्र में उत्तर पूर्वी भारत के अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, त्रिपुरा, मिजोरम, मेघालय, मणिपुर और आसाम के राज्य शामिल हैं इसे भारत के साथ बंधु राज्यों के रूप में भी जाना जाता है। विश्व के कुल कॉफी उत्पादन का 4% भारत में उत्पादित होता है।

4.रेशेदार फसलें-

कपास एक नकदी फसल है। कपास के पौधे बहू वर्षीय झाड़ी नुमा वृक्ष जैसे होते हैं। कपास के पल को बॉल्स कहा जाता है जो चिकने वह हरे पीले रंग के होते हैं। कपास की फसल उत्पादन के लिए काली मिट्टी की आवश्यकता पड़ती है। भारत का सबसे ज्यादा कपास उत्पादन गुजरात में होता है। कपास से निर्मित वस्त्र सूती वस्त्र कराते हैं भारत की लगभग 9.4 मिलियन हेक्टेयर की भूमि पर कपास की खेती की जाती है। भारत में सबसे ज्यादा कपास का उत्पादन गुजरात में होता है।
जूटजूट भी एक प्रकार की रेशेदार फसल है। जूट की पैदावार फसल की किस्म भूमि की उर्वरता काटने का समय आदि अनेक बात पर निर्भर करता है भारत दुनिया भर में सबसे अधिक जूट का उत्पादन करने वाला देश है। पूरी दुनिया के लगभग 60% जूट का उत्पादन भारत में होता है। यह मुख्य रूप से गंगा के डेल्टा में पैदा की जाने वाली बायोडिग्रेडेबल फसल है। यह एक ऐसी फसल है जिसे जलोढ़ मिट्टी और भारी वर्षा की आवश्यकता होती है।


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