गरीबी क्या है तथा इसके मापन और गरीबी रेखा के बारे में विस्तार पूर्वक वर्णन?
गरीबी का आशय उस सामाजिक अवस्था से है जिसमें समाज के 1 वर्ग के लोग अपने जीवन की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पाते हैं। एक दृष्टिकोण में गरीबी को निम्न भोजन, आवास, शिक्षा और चिकित्सा से संबंधित सारी आवश्यकताएं नहीं होती है आयस्तर पर विचार किए बिना यदि किसी परिवार में इन आधिकारिक सुविधाओं की कमी होती है तो उसे गरीब माना जाता है। अर्थ अर्थ हम कह सकते हैं कि गरीबी वह अवस्था है जब आपके पास मौजूद संसाधन आपकी जरूरत से कम है गरीबी कहते हैं।
गरीबी की मापः
सामान्यता गरीबी की माफ करने के लिए निम्नलिखित दो प्रतिमान का उपयोग किया जाता हैः
सापेक्षिक प्रतिमान
निरपेक्ष प्रतिमान
सापेक्षिक प्रतिमानः अपेक्षित प्रतिमान के अंतर्गत देश की जनसंख्या को आया स्तर के आधार पर क्रमिक वर्गों में विभक्त किया जाता है उच्चतम आय वर्ग की तुलना निम्नतम आयु वर्ग के साथ की जाती है और निर्धनता की कोठी में निम्न आय वर्ग को रखा जाता है। भारत और इसके सामान्य अन्य विकासशील देशों में गरीबी मापने के लिए इस प्रतिमान का प्रयोग नहीं किया जाता है।
निरपेक्ष प्रतिमानः गरीबी मापने का निरपेक्ष प्रतिमान न्यूनतम आय तथा उपभोग स्तर पर आधारित है। इस प्रतिमान का निर्धारण करते समय मनुष्य की पोषक आवश्यकता तथा अनिवार्यता ओं के आधार पर आए अथवा उपभोग व्यय के न्यूनतम स्तर को ज्ञात किया जाता है। इस न्यूनतम स्तर से कम आय प्राप्त करने वाले अथवा निर्धारित न्यूनतम स्तर से कम उपभोग करने वाले को गरीबी वर्ग में रखा जाता है। इस प्रतिमान का सर्वप्रथम प्रयोग खाद्य एवं कृषि संगठन के प्रथम महानिदेशक ने 1945 में किया था और इसके आधार पर उन्होंने गरीबी की माफ करने के लिए क्षुधा रेखा की संकल्पना का प्रतिपादन किया था। 12 मापी गई गरीबी को हैंड काउंटर विधि कहते हैं।

भारत में गरीबी के कारणः भारतीय अर्थव्यवस्था आज दुनिया की सबसे तेजी से से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। अत्यधिक गरीबी के कारण भारत आर्थिक रूप से शक्तिशाली देश नहीं बन पा रहा है। यह एक असामान्य और जटिल स्थिति है जिसमें किसी व्यक्ति के पास आय का कोई स्रोत नहीं होता या फिर समय के दौर में अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त धन होता है। अत्यधिक गरीबी एक ऐसी स्थिति है जो अपने आप विकसित नहीं हुई है कई कारण है जो समाज में इस स्थिति को उत्पन्न करने के लिए जिम्मेदार है। भारत में गरीबी की निम्नलिखित कारण हैः
रोजगार के अवसरों में धीमी वृद्धि
कमाया अर्जुन का निम्न स्तर
जनसंख्या में भारी वृद्धि
दोषपूर्ण विकास रणनीति
मुद्रा प्रसार और मूल्य वृद्धि
अत्यधिक गरीबी के परिणामः
देश के आर्थिक विकास और उन्नति में बाधा
खराब चिकित्सा सुविधाओं के कारण उच्च शिशु मृत्यु दर
स्कूलों में बच्चे का काम दाखिला होना क्योंकि माता-पिता उनकी शिक्षा का खर्च वहन नहीं कर पाते हैं।
जन्म के वक्त कम वजन वाले शिशु मानसिक और शारीरिक विकलांगता से ग्रसित होते हैं
बेरोजगारी और अत्यधिक गरीबी घरेलू हिंसा के लिए प्रेरित होती है
परिवारों के सदस्यों के बीच तनाव
कुपोषण
आतंकवाद
जनसंहार
अत्यधिक गरीबी के उन्मूलन के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमः
दीनदयाल उपाध्याय ग्राम कौशल योजनाः यह योजना लोगों के कष्ट को दूर करने के लिए की गई थी। ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं को मासिक आधार पर कौशल और कमाई करने की बेहतर क्षमता के के साथ यह योजना बनाई गई थी। यह भारत में गरीबों के लिए एक महत्वपूर्ण योजना है जिसमें उचित प्रशिक्षण दिया जाता है।

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजनाः गरीबी को कम करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना या कौशल भारत 16 जुलाई 2015 को लांच किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य लगभग 40 करोड़ भारतीय युवाओं को प्रशिक्षण दिलाकर रोजगार के लायक बनाना है। गरीब छात्रों के लिए सरकारी योजना कौशल विकास के तहत नए क्षेत्रों को खोजने वाली पहल को बढ़ावा देती है।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजनाः दलित लोगों के जीवन से गरीबी को दूर करने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई। इस योजना में सरकार विशेष रुप से गरीब लोगों को सामने लाने के लिए संसद सदस्यों को प्रेरित करती है।
आयुष्मान भारत योजनाः आयुष्मान भारत योजना या राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना 14 अप्रैल दो हजार अट्ठारह को शुरू की गई। इस योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा गरीब परिवारों के कल्याण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए और उन्हें चिकित्सा लाभ प्रदान करने के लिए बहुत सारे कदम उठाए गए। इस योजना के तहत लगभग 10 करोड़ गरीब परिवारों को हर साल ₹500000 का बीमा प्रदान किया जाएगा।
इनके अलावा और भी बहुत सारी योजनाएं हैं जो भारत सरकार द्वारा शुरू की गई जो कि इस प्रकार हैंः
जवाहर रोजगार योजना
बाल श्रम उन्मूलन योजना
स्वर्ण जयंती ग्राम योजना
प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना
भारत निर्माण योजना
जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय योजना
महात्मा गांधी नरेगा योजना
राजीव गांधी किशोरी सशक्तिकरण योजना
भारत में गरीबी उन्मूलन के लिए अपनी तरफ से भरसक प्रयास किए हैं बस उन योजनाओं को सफलतापूर्वक उच्च श्रेणी तक पहुंचाना भारत के नागरिकों का काम है।

भारत में गरीबी रेखा की मापः
भारत में गरीबी की माप के साथ अनेक अर्थ शास्त्रियों के नाम जुड़े हैं जिनमें से प्रमुख हैं डांडेकर, बीएस मिन्हास, प्रमोद वर्धन, आईजीएल वालिया, एसपी गुप्त टेंडोलकर आदि। भारत में निर्धनता रेखा के निर्धारण का पहला आधिकारिक प्रयास योजना आयोग द्वारा जुलाई 1962 में किया गया। योजना आयोग ने गरीबी रेखा के निर्धारण तथा जीवन के न्यूनतम स्तर के निर्धारण के संबंध में एक कार्य दल का गठन किया जिसके सदस्य थे डीआर गाडगिल, अशोक मेहता, बीएन गांगुली, पितांबर पंथ, वीकेआर बी राव, तथा अन्नासाहेब। इस कार्य दल ने आधार वर्ष 1960 से 1961 के मूल्य पर ग्रामीण तथा शहरी दोनों क्षेत्र के लिए प्रति व्यक्ति प्रति माह ₹20 वांछित न्यूनतम उपभोग व्यय का सुझाव दिया। गरीबी रेखा के निर्धारण के संबंध में अधिक प्रभावी तथा आधिकारिक प्रयास 30 योजना के दौरान सन 1977 में हुआ जब योजना आयोग ने न्यूनतम आवश्यकता तथा प्रभावपूर्ण मांग के पूर्वानुमान के लिए एक कार्यबल गठित किया। इस कार्य दल ने 1978 में भारतीय चिकित्सा शोध परिषद के न्यूनतम पोषाहार आवश्यकता रिपोर्ट के आधार पर ग्रामीण क्षेत्र के लिए प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 2435 कैलोरी तथा शहरी क्षेत्र के लिए 2095 कैलोरी संतुष्टि की। योजना आयोग ने देश में निर्धनता की माप के लिए सन 1989 में प्रोफेसर डीटी लकड़ावाला की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ दल का गठन किया जिस ने 1993 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। यह हमारे लिए बहुत ही दयनीय स्थिति है कि भारत को आज भी एक विकासशील देश कहा जाता है परंतु यहां अभी भी गरीबी रेखा से नीचे बहुत आबादी निवास करती है।

सुरेश तेंदुलकर समितिः सुरेश तेंदुलकर की अध्यक्षता में इस समिति ने अपनी रिपोर्ट 2 दिसंबर 2009 को सौंपी। इस कमेटी ने गरीबी रेखा के अनुमान के लिए एमआरपी को आधार बनाया। इस समिति के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर गरीबी अनुपात वर्ष 2004 से 2005 में 37.2% था जो कि ग्रामीण क्षेत्र में 41.8% तथा शहरी क्षेत्र में 25.7% था। यू आर बी आंकड़ों के अनुसार निर्धनों की संख्या उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक थी कुल जनसंख्या में गरीबों के प्रतिशत की दृष्टि से उड़ीसा का स्थान सबसे ऊपर है। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में गरीबी को 2005 से 2006 के 27.8% के स्तर से कम कर के 2011 से 2012 तक 16.2% तक लाने का लक्ष्य रखा गया था।
नीति आयोग की सतत विकास लक्ष्य इंडेक्स 2019 से 2020 की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2030 तक गरीबी मुक्त भारत के अपने लक्ष्य में भारत 4 अंक और नीचे गिर चुका है। 22 राज्य गरीबी दूर करने में आगे बढ़ने की बजाय और पीछे जा चुके हैं तथा देश में गरीबी रेखा से भी नीचे बसर करने वाली आबादी अब 21 फ़ीसदी पहुंच चुकी है। नीति आयोग की एसडीजी की रिपोर्ट में देश में गरीबी का आकलन जिस हिसाब से किया गया है उन पांच संकेत को में मनरेगा में रोजगार पाने वाले लोगों का प्रतिशत भी शामिल है ग्रामीण भारत में मनरेगा में काम कर रहे मजदूर मौजूदा मजदूरों की दरों और मिलने वाले कामों से संतुष्ट नहीं हैं। गरीबी और बेरोजगारी से उपजी भयावह तस्वीर को देशभर में अपराध के आंकड़े एकत्र करने वाली संस्था एनसीआरबी ने भी एक रिपोर्ट तैयार किया है उसने दो हजार अट्ठारह की रिपोर्ट के अनुसार गरीबी और बेरोजगारी की वजह से हर रोज 10 लोग आत्महत्या कर रहे हैं को दर्शाया है।