वन्य जीव एवं उनके संरक्षण से संबंधित तथ्यों का वर्णन
- भारत की परिस्थिति एवं भौगोलिक दशा में विविधता पाई जाती है। इस के कारण यहां अनेक प्रकार के जीव जंतु भी पाए जाते हैं। संपूर्ण विश्व में कुल जीव जंतुओं के 15 लाख प्रजातियों में से लगभग 81000 प्रजातियां भारत में मिलती है। भारत में पक्षियों की 12 सौ प्रजातियां पाई जाती है। यहां पर लकड़बग्घा एवं चिंकारा अफ्रीकी मूल के हैं। भेड़िया ,हंगल व जंगली बकरी यूरोपीय मूल के हैं।
- वन्य जीवन के समुचित ज्ञान हेतु भारत को पांच क्षेत्रों में विभाजित किया गया है-
- 1 . हिमालय पर्वत श्रृंखला: इस पर्वत श्रृंखला को तीन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है
- हिमालय की तलहटी- उत्तरी भारत के स्तनपाई, जैसे हाथी, शीतल तथा जंगली भैंस इस क्षेत्र में पाए जाते हैं।
- पश्चिमी हिमालय- जंगली गधा, जंगली हिरण कस्तूरी हिरण इसी क्षेत्र में पाए जाते हैं।
- पूर्वी हिमालय- इस क्षेत्र में लाल पांडा, सूअर तथा रीच आदि पाए जाते हैं।

- प्रायद्वीपीय भारतीय क्षेत्र- इस क्षेत्र को दो भागों में बांटा गया है
प्रायद्वीपीय भारत- क्षेत्र के अंतर्गत हाथी, सांभर, बारहसिंघा, जंगली कुत्ता तथा जंगली सांड पाए जाते हैं।
राजस्थान का मरुस्थलीय क्षेत्र- रेगिस्तानी बिल्ली, तथा जंगली गधा इस क्षेत्र में पाए जाते हैं। - प्रायद्वीपीय भारतीय क्षेत्र- इस क्षेत्र को दो भागों में बांटा गया है
प्रायद्वीपीय भारत- क्षेत्र के अंतर्गत हाथी, सांभर, बारहसिंघा, जंगली कुत्ता तथा जंगली सांड पाए जाते हैं।
राजस्थान का मरुस्थलीय क्षेत्र- रेगिस्तानी बिल्ली, तथा जंगली गधा इस क्षेत्र में पाए जाते हैं। - उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन क्षेत्र- इस क्षेत्र मैं जानवरों की बहुतायत है। क्षेत्र में भारी बारिश होती है। यहां हाथी पाए जाते हैं।
अंडमान व निकोबार दीप समूह- यहां भारी संख्या में स्तनपाई, रेंगने वाले पशु तथा समुद्री जीव पाए जाते हैं। स्तनपाई जीवों में चमगादर तथा चूहों की प्रधानता है। समुद्री जीवो में डॉल्फिन तथा हेल प्रमुख है।
सुंदरबन का ज्वारीय दलदली क्षेत्र- इस क्षेत्र में नरभक्षी शेर, हिरण, तथा बड़ी छिपकली आ पाई जाती है।
पक्षी वर्ग के संकटग्रस्त जिओ में जाडन नुकरी, जंगली उल्लू, बगुला, सफेद पीठ वाला गीद्ध, हिमालयन बटेर, साइबेरियाई सारस आदि शामिल है। स्तनधारी जीवो में पिग्मी हॉग, अंडमान श्वेत दंत छुछंदर, जवाई गेंडा आदि शामिल है। सरीसृप वर्ग के जीवो में घड़ियाल, बाजठोंठी कछुआ, लाल सिर वाला रूफेड कछुआ, छिपकली आदि शामिल है। उभयचर जीवो में अन्नामलाई लाइन फ्रॉग, गुंडिया इंडियन फ्रॉग, छोटी झाड़ी वाला मेंढक, टाइगर बूस टोड आदि शामिल है - संरक्षण परियोजनाएं
देश में संकटग्रस्त जीव जंतु प्रजातियों में लगातार वृद्धि के कारण वन्यजीव व्यवस्था और संरक्षण के लिए काफी उपाय किए गए हैं। भारत में वन्य जीव प्रबंधन के उद्देश्य हैं-
1 . प्रजातियों के नियंत्रण एवं सीमित उपयोग के लिए प्राकृतिक आवासों का संरक्षण करना।
2 . संरक्षित क्षेत्रों में पर्याप्त संख्या में प्रजातियों का रखरखाव करना।
3 . वनस्पति और जीव प्रजातियों के लिए बायोस्फीयर रिजर्व की स्थापना करना। - कानून के जरिए संरक्षण।
- वन्य जीव संरक्षण परियोजनाएं- केंद्र और राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर वन्य जीव की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए कई नियम तथा कानून पारित किए गए हैं इनमें से महत्वपूर्ण है-
- 1 . मद्रास वाइल्ड एलीफेंट प्रिप्जर्वेशन एक्ट,1873
- ऑल इंडिया एलीफेंट प्रिजर्वेशन एक्ट,1879
- द वाइल्ड बड एंड एनिमल्स प्रोहिबिशन एक्ट,1912
- बंगाल राइनोसेरॉस प्रिजर्वेशन एक्ट,1932
- असम राइनोसेरस प्रिजर्वेशन एक्ट,1954
- इंडियन बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ,1952
- वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट,1972
- राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना 1983 को संशोधित करके नईवन्य जीवन कार्य योजना(2002-2016) स्वीकृत की गई है। भारत में वन्य जीव की सुरक्षा के लिए दो प्रकार के निवास स्थानों का निर्माण किया गया है पशु विहार और राष्ट्रीय उद्यान।पशु बिहार में पक्षियों और पशुओं की सुरक्षा की व्यवस्था की गई है। जबकि राष्ट्रीय उद्यानों में संपूर्ण परिस्थिति को। देश में इस समय लगभग 513 पशु विहार या अभयारण्य है, जबकि 99राष्ट्रीय उद्यान है, चीन का कुल क्षेत्रफल लगभग15,63,492 वर्ग किलोमीटर है, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 4 पॉइंट 5 प्रतिशत हैै
- प्रोजेक्ट टाइगर- भारत सरकार ने 1 अप्रैल 1973 में बाघ संरक्षण के लिए कोस वृद्धि एवं जन जागरूकता की दिशा में किए गए ठोस अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के परिणाम स्वरूप कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान में प्रोजेक्ट टाइगर प्रारंभ किया। इसने भारत में मौजूद टाइगर की संख्या को वैज्ञानिक, आर्थिक, सांस्कृतिक मूल्यों के दृष्टिगत एवं सुनिश्चित किया। प्रारंभ में 9 टाइगर वन्यजीव आरक्षित क्षेत्रों जिसमें कूल 268 टाइगर थे को प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत संगठित किया गया। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा इस दिशा में निम्नलिखित प्रशासकीय कदम उठाए गए –
● वन्यजीवों के अवैध शिकार के विरुद्ध गतिविधियों को मजबूत करना, मानसून के समय रणनीति अपनाना शामिल है।
● वर्ष 2007 से कार्य करने वाले एक बहुत योगी टाइगर एवं अन्य संकट आपन प्रजाति अपराध नियंत्रण ब्यूरो का गठन किया गया जिसमें पुलिस अधिकारी, वन अधिकारी एवं अन्य प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारी शामिल हैं ताकि वन्यजीवों के अवैध व्यापार को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सके।
प्रोजेक्ट एलीफेंट- भारत में हाथी मुख्यता केरल, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, बिहार तथा उत्तर प्रदेश के हिमालय पर्वत पादो में पाए जाते हैं। विश्व में हाथियों की कुल जनसंख्या 40000 है जिसमें 25000 भारत में है. वर्ष 2007 में 70 राज्यों के अतिरिक्त पूरे भारत में हाथियों का आकलन किया गया। 3 हाथी अभयारण्य दो छत्तीसगढ़ में और एक अरुणाचल प्रदेश में स्थापना करने की अनुमति दी गई। इसके साथ ही वर्ष 2009 तक देश में हाथी अभयारण्यों की संख्या 27 हो गई। परियोजना के अंतर्गत शुरू की गई विभिन्न महत्वपूर्ण गतिविधियां इस प्रकार है-
● अवैध शिकारियों से जंगली हाथियों की सुरक्षा हेतु उपायों को मजबूत बनाना|
● हाथियों के मौजूदा प्राकृतिक वास स्थलों तथा प्रवास रूटों की बहाली करना|
● हाथी संरक्षण से संबंधित मामलों पर अनुसंधान करना|
● जन शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रम तथा फील्ड स्टाफ, पशु चिकित्सकों के लिए क्षमता निर्माण करना।
घड़ियाल संरक्षण- घड़ीयालो संरक्षण तथा उनके विकास के लिए एक नया वन्य जीव अभ्यारण बनाया जाएगा। या अभ्यारण चंबल नदी के किनारे मध्य प्रदेश, राजस्थान की सीमा में 16 से 1 किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला होगा। गौरतलब है कि घड़ियाल भारत एवं नेपाल में मुख्य रूप से पाए जाते हैं। आईयूसीएन ने जलीय जीव की इस प्रजाति को संकट आपन प्रजाति घोषित किया है। भारत में घड़ियाल मुख्य रूप से चंबल नदी, गंगा नदी सोन नदी तथा महानदी के जलीय क्षेत्रों में पाया जाता है। भारतके कुल 14 साल घर वालों में से लगभग 70% चंबल में ही पाए जाते हैं।
भारत सरकार द्वारा वन्यजीवों के संरक्षण के लिए काफी महत्वपूर्ण एवं ठोस कदम उठाए जा रहे हैं तथा इनका पालन ना करने पर कठोर दंड का भी व्यवस्था सरकार द्वारा किया गया है।