Q. कार्स्ट टोपोग्राफी क्या है? भूमिगत जल के द्वारा इसका निर्माण कैसे होता है? इसकी अपरदित एवं जमाव आकृतियों का वर्णन करें?vinayiasacademy.com
Ans:-युगोस्लाविया के adriatic coast से dineric alps के बीच karst एक स्थान है जो लगभग 500 किलोमीटर लंबा और लगभग 80 किलोमीटर चौड़ा है यह लाइमस्टोन का क्षेत्र है ,क्रश शब्द का अर्थ चट्टान होता है ,इसी प्रकार की आकृति चीन के दक्षिणी प्रांत में, वेस्टइंडीज में, अमेरिका के दक्षिणी प्रांत में, इंडोनेशिया, बर्मा, थाईलैंड ,लाओस एवं भारत में पाई जाती है vinayiasacademy.com
इसकी आकृति का विकास होने के लिए यह जरूरी है कि उस क्षेत्र में लाइम स्टोन ,डोलोमाइट या चाॅक खनिज पदार्थ से चट्टानों से भरा हुआ क्षेत्र, बीच-बीच में इसके जॉइंट तथा उच्चावच स्थिति जिसमें कुछ उच्च भूमि भी हो और कुछ निम्नतम तल भी हो ,वर्षा होना चाहिए अगर बारिश होती है तो वर्षा का जल कार्बन डाइऑक्साइड के साथ मिलकर कार्बोनेट का निर्माण कर देता है यह पेड़ पौधे के पत्ते से मिलकर भी कार्बोनेट का निर्माण कर देता है यही कारण है कि आमतौर पर शुष्क प्रदेश में इस प्रकार की स्थलाकृति नहीं पाई जाती है
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Q. भूमिगत जल के द्वारा बनने वाली प्रमुख अपरदित आकृतियां कौन सी है?
भूमिगत जल के द्वारा अपरदन के लिए कौन-कौन सी प्रक्रिया सहायक है?
Ans:-भूमिगत जल के द्वारा आमतौर पर abrasions, solution, hydraulic action,attrition सहायक प्रक्रिया है अपरदन के द्वारा बनने वाली आकृति निम्नलिखित है#lapies- इस प्रकार की आकृति फ्रांस में पाई जाती है, जर्मनी और ब्रिटेन में भी अधिकतम आकृति इसी प्रकार की है। भूमिगत जल के द्वारा लाइमस्टोन चूना पत्थर के क्षेत्र में लंबे- लंबे गड्ढेनुमा खेती लंबवत तैयार हो जाती है जिस में पानी भरा होता है
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Sinkhole- इस प्रकार की आकृति का निर्माण 3 से 9 मीटर की गहराई में होता है अगर वर्षा का जल लगातार आता रहे तो धीरे-धीरे वह अंदर की ओर गड्ढे को चौड़ा करता जाता है जिससे सिंकहोल बन जाता है, ऐसी क्षेत्र में अंधी घाटी का भी निर्माण हो जाता है भारत में मेघालय प्रदेश में इसे देखा जा सकता है
Swallow holes इसका आकार बेलनाकार हो जाता है तथा इसकी गहराई बढ़ती चली जाती है।doline,uvala,polje- यह तीन आकृति का निर्माण इसके आकार के अनुसार है जैसे-जैसे रंध्र घाटी छोटा से बड़ा हो जाती है इसे डोलाइन कहते हैं, कई डोलाइन एक साथ मिलकर उवाला बनाता है और कई वाला एक साथ मिलकर पोलजे का निर्माण करता है,
भूमिगत जल में जब पानी धीरे-धीरे किसी भी छत के नीचे से एक-एक बूंद करके टपकता है तो कुछ जल वाष्पित हो जाता है, चूने पत्थर के क्षेत्र में और इस प्रकार से ऊपर से नीचे की ओर एक छोटी सी चट्टान आगे बढ़ती जाती है जिसे स्टैलेक्टाइट कहते हैं इसी प्रकार से जब बूंद नीचे फर्श पर पड़ता है तो वह बूंद के कुछ भाग वाष्पित हो जाते हैं तथा उसमें घुले हुए पदार्थ नीचे में ही जमा हो जाते हैं यह प्रक्रिया लगातार चलने के कारण नीचे से ऊपर की ओर एक चट्टान आगे की ओर बढ़ती चली जाती है जिसे स्टैलेक् माइट कहा जाता है कभी-कभी दोनों चट्टान एक साथ मिल जाते तो यह ड्रिपस्टोन या कॉलम के नाम से जाना जाता है इस में कैल्शियम की मात्रा बहुत अधिक होती है
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भूमिगत जल पृथ्वी के कुल जल का कुछ हिस्सा ही है जो बारिश होती है उसका लगभग एक तिहाई भाग वायुमंडल में ही रह जाता है एवं एक तिहाई भाग समुद्र में चला जाता है बाकी एक तिहाई भाग चट्टानों के द्वारा छोटे-छोटे दरारों के द्वारा भूमिगत जल के रूप में रहता है भूमिगत जल में पानी रखने की क्षमता चट्टानों में होती है और पानी की वाहन क्षमता भी चट्टानों में होती है इसलिए चट्टानों को असंतृप्त पेटी एवम संतृप्त पेटी के नाम से जानते हैं , जिस स्थान पर एवं जिन चट्टानों पर पानी की मात्रा बहुत अधिक होती है उसे aquifer कहते हैं . कभी-कभी क्षेत्र में artesian well तैयार हो जाता है थोड़े से गड्ढे करने के बाद ही पानी निरंतर आता रहता है
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भूमिगत जल के कारण प्राकृतिक झरने का निर्माण होता है जिसमें प्राकृतिक से पानी पृथ्वी के किसी दरार से लगातार बाहर की ओर आते रहते हैं यह झरना ठंडा भी हो सकता है और गरम भी हो सकता है हिमालय छोटानागपुर पश्चिमी घाट और कोंकण के तट पर कई प्राकृतिक झरने ठंडे जल के हैं वहीं गर्म जल के झरने आमतौर पर ज्वालामुखी प्रदेश जम्मू कश्मीर हिमाचल प्रदेश बिहार असम में पाया जाता है कुछ झरने खनिज पदार्थों से जुड़े होते हैं जिसमें कुछ ना कुछ जमा होता रहता है इसी प्रकार से पृथ्वी के अंदर भ्रंशोत्थ शक्ति के कारण डाइक के कारण भी झरने का निर्माण हो जाता है
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