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भारत की जलवायु उसके प्रकार तथा प्रभावित करने वाले कारक पर संक्षिप्त विवरण।

जलवायु मौसम के प्रमुख तत्व वायुदाब, तापमान, आद्रता, वर्षा 50 और प्रकाश की लंबी अवधि के औषतीकरण को उस स्थान की जलवायु कहते हैं। करोड़ों वर्ष पूर्व जब पृथ्वी का निर्माण हुआ था तब वह तपता हुआ गोला थी। धीरे-धीरे उस तपते हुए गोले से सागर तथा महाद्वीपों आदि का निर्माण हुआ। सृष्टि जीवन के प्रारंभ में जल निर्मल था, वायु स्वच्छ थी तथा मनुष्य के विचार भी शुद्ध थे। चारों दिशाओं में वासुदेव कुटुंबकम का वातावरण था तथा प्रकृति भली-भांति पूर्णता संतुलित थी। परंतु जैसे-जैसे समय बीता मानव ने विकास और अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु शुद्ध जल शुद्ध वायु तथा संसाधनों का भरपूर प्रयोग किया। किंतु बदले में मनुष्य ने प्रदूषण जैसे कभी भी खत्म ना होने वाली समस्या भी पैदा कर दी।
जलवायु एक विस्तृत एवं व्यापक शब्द है जिससे किसी प्रदेश के दीर्घकालीन मौसम का आभास होता है इस शब्द की उत्पत्ति जल एवं वायु के पारस्परिक सम्मेलन से हुई है जिसका शाब्दिक अर्थ वायु मंडल के जल एवं वायु प्रारूप से है यह शब्द वायुमंडल के संगठन का द्योतक है।
एक अन्य परिभाषा के अनुसार जलवायु एक लंबी काली अवधि तक पृथ्वी एवं वायुमंडल में ऊर्जा एवं पदार्थ के विनिमय की क्रियाओं का प्रतिफल है।
जलवायु की विशेषताएं-

  1. जलवायु सांख्यिक औसत ही नहीं है, अपितु इसके अंतर्गत दीर्घकालीन अवधि में उत्पन्न वायुमंडलीय को एवं परिवर्तनों को भी सम्मिलित किया जाता है।
    2 . जलवायु काफी लंबी कालावधी के औसत मौसम की दशाओं की परिचायक है
  2. जल वायु द्वारा पृथ्वी एवं वायुमंडल में दीर्घकालीन ऊर्जा एवं पदार्थों के विलय की प्रक्रिया का आभास होता है।
  3. जलवायु किसी प्रदेश की स्थाई वायुमंडलीय विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करती है।
  4. जलवायु का वर्गीकरण- बीसवीं सदी के प्रारंभ से ही जलवायु प्रदेशों का वर्गीकरण का आधार तापमान और वर्षा रहा है। तापमान वर्षा के वितरण और वनस्पतियों के आधार पर कोपेन ने(1918 से1936 के मध्य) विश्व के जलवायु प्रदेशों को छह प्रमुख भागों में विभाजित किया।
  5. उष्णकटिबंधीय आद्र जलवायु – यह जलवायु कोरोमंडल तट के किनारे सीमित क्षेत्र में पाई जाती है यहां औसत मासिक तापमान सभी महीनों के लिए 18 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहता है। यहां वर्ष के अधिकांश भाग में बारिश होती है।
  6. शुष्क जलवायु- इन क्षेत्रों में वर्षा कम और वाष्पीकरण की मात्रा अधिक पाई जाती है।
  7. समशीतोष्ण जलवायु- सर्वाधिक सीट वाले महीने में तापमान 19 डिग्री से 0.3 डिग्री सेल्सियस तथा सबसे अधिक उसने महीने का तापमान 50 डिग्री सेल्सियस रहता है।
  8. मध्य अक्षांशो की आदर्श सुक्ष्म तापीय अथवा शीतोष्ण जलवायु-
    आद्र जलवायु- जहां सबसे अधिक ठंडे महीने का ताप – 3 डिग्री सेल्सियस तथा सबसे अधिक उष्ण महीने का ताप – 10 डिग्री सेल्सियस से कम ना रहता हो।
  9. ध्रुवीय जलवायु- किस प्रकार की जलवायु जम्मू कश्मीर के ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड में पाई जाती है। बर्थ के अधिकांश समय में यह क्षेत्र बर्फ से ढके रहते हैं। प्रत्येक महीने औसत ताप 10 डिग्री सेल्सियस से कम रहता है।
  10. उच्च पर्वतीय जलवायु- विश्व के अधिक ऊंचे पर्वतों पर इस प्रकार की जलवायु पाई जाती है।
  1. अर्ध शुष्क स्टेपी जलवायु- यह जलवायु कर्नाटक और तमिलनाडु के वृष्टि छाया क्षेत्र में, पूर्वी राजस्थान, गुजरात तथा दक्षिण-पश्चिम हरियाणा के कुछ भागों में पाई जाती है।
    भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक-
  2. अक्षांशीय स्थिति- भारत का भूमध्य रेखा से अधिक निकट होने के कारण यहां वर्ष भर गर्म जलवायु पाई जाती है। विश्वत रेखा पर सूर्य की किरणें लंबवत पड़ती है और इन क्षेत्रों में तापमान अधिक रहते हैं। तथा ध्रुवों की और के नेतृत्व की होती है अतः किरणों को धरातल तक पहुंचने के लिए वायुमंडल के अधिक भाग को पार करना पड़ता है, अतः ध्रुव की ओर के भागों में सूर्यताप की कम प्राप्ति के कारण तापमान कम रहते हैं।
  3. समुद्र तल से ऊंचाई- किसी स्थान की समुद्र तल से ऊंचाई जलवायु को प्रभावित करती है, धरातल से अधिक ऊंचे भाग तापमान और वर्षा को प्रभावित करते हैं। समुद्र तल से ऊंचाई के साथ का तापमान घटता जाता है, क्योंकि जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती जाती है वायु हल्की होती जाती है धरातल के निकट की वायु का ताप ऊपर की वायु के ताप से अधिक रहता है। अतः जो फल समुद्र तल से जितना अधिक ऊंचा होगा वह उतना ही ठंडा होगा इसी कारण अधिक ऊंचाई के पर्वतीय भागों में ज्यादा बर्फ जमी रहती है।
  4. पर्वतों की दिशा- पर्वतों की दिशा का हवाओं पर प्रभाव पड़ता है, हवाई तापमान एवं वृष्टिको प्रभावित करती हैं। हिमालय पर्वत किस ऋतु में मद्धेशिया की ओर से आने वाली सीट हवा को भारत में प्रवेश करने से रोकता है जिस वजह से भारत का तापमान शीत ऋतु में अधिक नहीं गिर पाता है। हिमालय एवं पश्चिमी घाट के कारण यह भारत आद्र जलवायु वाला देश बना हुआ है।
  5. पवनों की दिशा- पवनों की दिशा भाइयों को प्रभावित करती है ठंडे स्थानों की ओर से आने वाली हवाई ठंडी होती है और तापमान को घटा देती है इस प्रकार हवाएं जलवायु को प्रभावित करती है।

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