Q. मानसून क्या है ?मानसून की उत्पत्ति में कौन-कौन से कारक सहायक है? मानसून की क्रिया विधि क्या है ?भारत में मानसून कितने प्रकार का होता है? दक्षिणी पश्चिम मानसून और उत्तर पूर्वी मॉनसून में क्या अंतर है विस्तारपूर्वक बताइए vinayiasacademy.com एली नो क्या है जेट स्ट्रीम क्या है itcz क्या है premonsoonकिसे कहते हैं?
Ans:-भारत की जलवायु को मुख्य रुप से उप उष्ण कटिबंधीय मॉनसून जलवायु कहा जाता है कभी-कभी उष्ण कटिबंधीय मानसून भी कहा जाता है मानसून शब्द अरेबियन भाषा के मौसम से लिया गया है जिसका अर्थ रितु होता है इसका प्रयोग मूल रुप से अरब के रहने वाले नेविगेटर के द्वारा किया जाता था जब अलग-अलग रितु में कोई पवन अपनी दिशा परिवर्तित कर लेती है तो उसे मॉनसून कहा जाता है कि किसी खास समय में दक्षिण पश्चिम दिशा में बहने वाली हवाएं उत्तर पूर्व दिशा में बहने लगती है रितु के अनुसार परिवर्तित होने लगती है इसलिए मानसून भारत के अलावा चीन कोरिया जापान ऑस्ट्रेलिया देशों में भी प्रभाव डालता है मेडागास्कर पूर्वी अफ्रीका दक्षिण अफ्रीका फिलिपिंस जैसे देशों में भी मानसून का प्रभाव होता है प्रत्येक क्षेत्र में एक ही मॉनसून नहीं होता है बल्कि हर इलाके में मानसून का नाम अलग-अलग हो जाता है vinayiasacademy.com हेली के अनुसार स्थल खंड और जल खंड अलग-अलग क्रम होते हैं जिसके चलते दोनों खंड के बीच दाब का अंतर हो जाता है इसलिए ही ग्रीष्म काल में मॉनसून की उत्पत्ति हो जाती है लेकिन मानसून की उत्पत्ति में कुछ ऐसे कारक हैं जिसका रहना जरूरी होता है जैसे कि ऊपरी वायुमंडल में तेज गति से बहने वाली जेटवायू धाराएं ग्रीष्म काल के समय सूर्य के उत्तरायण के कारण धीरे-धीरे चीन की ओर खिसक जाता है, जिसके चलते ऊपर का वायुमंडल खाली हो जाता है अब यहां पर मानसून की हवाएं आ सकती है, इसलिए मॉनसून आने के लिए यह जरूरी है कि ऊपरी वायुमंडल की जेट वायु धाराएं और अधिक उत्तर की ओर खिसक जाए ,शीतकाल में यह जेट वायु धाराएं भारत में मध्य भारत के अंदर ऊपर से नीचे की और गतिशील हो जाती है जिससे मध्य भारत में ही उच्च दाब का निर्माण हो जाता है

Vinayiasacademy.com ग्रीष्म काल में उत्तरी गोलार्ध में बनने वाला निम्न दाब का क्षेत्र स्थिर नहीं होता है। यह निम्न दाब का क्षेत्र समय-समय पर बदलता रहता है
भारत में ग्रीष्म काल में निम्न दाब का क्षेत्र बन जाने के बाद भी जून के पहले मानसून आने की संभावना नहीं होती है इसका एक और महत्वपूर्ण कारण दक्षिण अमेरिका में पेरू एवं चिली के तट पर बनने वाला शीतकाल का निम्न दाब है अगर प्रशांत महासागर का गर्म जल प्रशांत महासागर में ही रह जाता है तो उसे एल नीनो कहते हैं। अगर एल नीनो की उत्पत्ति चिली पेरू के तट पर हो जाता है तो वहां मरुस्थलीय प्रदेश में शीत काल में वर्षा होने लगती है ,लेकिन इससे प्रशांत महासागर का गर्म जल जो हिंद महासागर की ओर स्थानांतरित होता है इस प्रक्रिया में बाधा हो जाती है जिसके कारण भारत का मानसून कमजोर हो जाता है अगर एल नीनो की उत्पत्ति नहीं होती है तो प्रशांत महासागर का गर्म जल हिंद महासागर में स्थानांतरित होता जाएगा जिसके चलते हिंद महासागर अपेक्षाकृत अधिक गर्म हो जाएगा, इसके चलते निम्न दाब के समय में जो हवाएं अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से होकर जाती है वह आद्रता ग्रहण कर लेती है, यह हवाएं ही भारत में आकर वर्षा करवाती है।
Vinayiasacademy.com 1951 ईस्वी में flohnने एक और सिद्धांत दिया जिसमें आईटीसी जेड के बारे बताया उन्होंने यह बताने की कोशिश की कि जैसे-जैसे निम्न दाब का क्षेत्र विश्व के प्रदेश से उत्तर अथवा अथवा दक्षिण में स्थानांतरित होगा मानसून उसी और में आकर्षित होता जाएगा कर्क रेखा के पास जैसे ही यह निम्न दाब का क्षेत्र विश्वत रेखा से स्थानांतरित होकर आ जाता है वैसे ही यह दक्षिणी गोलार्ध के दक्षिणी पूर्वी व्यापारिक पवन को अपनी और आकर्षित कर लेता है जिसके कारण मानसून आने में सहायता मिल जाती है

Vinayiasacademy.com मानसून के निर्माण में हिमालय एवं तिब्बत के पठार का भी बहुत अधिक महत्व होता है जिससे उच्च स्थान वाले क्षेत्र में भी अधिकतम तापमान हो जाता है क्योंकि तापमान को यह बाहर की ओर जाने नहीं देती है
Vinayiasacademy.com मानसून आने के पहले जैसे जैसे उत्तरी गोलार्ध की और सूरज की स्थिति होती जाती है वैसे-वैसे निम्न दाब का क्षेत्र में भारत के उत्तर पश्चिमी प्रांत में विकसित होता जाता है अब यहां पर निम्न दाब होने के कारण मानसून के पहले देर शाम को बारिश शुरू हो जाती है यह बारिश कम होती है इस वर्षा को दक्षिण भारत में आम्र वृष्टि कहते हैं कर्नाटक में चेरी ब्लॉसम कहा जाता है इसे उत्तर पूर्वी भारत में नॉर्वेस्टर बंगाल और झारखंड में काल बैशाखी उत्तर भारत में आंधी या तूफान कहते हैं vinayiasacademy.com