खनिज संसाधन तथा ऊर्जा संसाधन से आप क्या समझते हैं उनके बारे में विस्तार रूप से वर्णन करें?
खनिज संसाधन उद्योगों की आधार भूमि है। तथा आर्थिक विकास के संचालक है। खनिजों का दोहन उनके आर्थिक महत्व को देखते हुए लाभ के लिए किया जाता है। उत्खनन कार्य का लाभ खनिज के मूल्य एवं उसकी उपयोगिता तथा उत्खनन पर होने वाले व्यय के ऊपर निर्भर करता है। खनिज एक ऐसा भौतिक पदार्थ है जिसे खान से खोदकर निकाला जाता है । कुछ उपयोगी खनिज पदार्थों के नाम है लोहा, अभ्रक, कोयला, बॉक्साइट आदि। मुलतः खनिज शब्द का अर्थ है खनि+ ज। इसका अंग्रेजी शब्द मिनरल भी माइन से संबंध रखता है।
भारत में खनिज का वितरण
भारत में खनिज संसाधनों का काफी असमान वितरण पाया गया है। देश के कुल कोयला भंडार का 97% सोन, दामोदर, गोदावरी एवं महानदी की घाटियों में पाया जाता है। प्रयास अभी पेट्रोलियम भंडार गुजरात के कुछ और शादी बे सीन ओं असम तथा महाराष्ट्र की महाद्वीपीय में पाए जाते हैं। अधिकांश लौह अयस्क भंडार बिहार ,उड़ीसा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक तथा तमिलनाडु की चट्टानों में स्थित है। कर्नाटक में समस्त स्वर्ण भंडार स्थित है। इसी प्रकार क्रोमाइट उड़ीसा में कर्नाटक, बॉक्साइट बिहार ,मध्य प्रदेश एवं गुजरात, मैग्नीज मध्य प्रदेश, उड़ीसा और महाराष्ट्र तथा तांबा शीशा एवं जिक अयस्क बिहार राजस्थान में पाए जाते हैं। केरल तट पर पाई जाने वाली इनमें नाइट्रेट या बालू में नाभिकीय ऊर्जा खनिजों का अधिकांश संचय मौजूद है।

भारत में खनिज अन्वेषण और विकास
भारत में खनिज संसाधनों के लिए भौतिक अन्वेषण कठिन है, मुख्य रूप से उत्तर में जहां जलोढ़ मिट्टी की पड़ते रवेदार चट्टानों से गिरी है । पुरातन लावा प्रवाह एवं रेगिस्तान खनिज संसाधनों के प्रभावी अन्वेषण में एक अन्य बाधा है। भारत की अर्थव्यवस्था में खनिजों के महत्व को स्वीकार किया गया है तथा भारत सरकार ने खनिज संसाधनों के विकास के लिए कई संगठनों एवं संस्थानों का गठन भी किया है। उत्खनन को संविधि दर्जा देने के लिए वर्ष 1957 में खदान एवं खनिज अधिनियम लागू किया गया। इसके अतिरिक्त मिनरल एक्सप्लोरेशन लिमिटेड, इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस तथा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम भी इस कार्य में शामिल है।
खनिज नीति के मूल उद्देश्य निम्नलिखित हैं
भूमि और तटीय इलाकों में खनिज संपदा के अभी चिन्ह अंकन के लिए खोज करना।
राष्ट्रीय और सामरिक बैटन को दृष्टिगत करते हुए खनिज संसाधनों का विकास करना और उनकी पर्याप्त आपूर्ति और वर्तमान की आवश्यकता और भाभी अपेक्षाओं के मध्य नजर सर्वोत्तम उपयोग सुनिश्चित करना।
देश की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए खनिज उद्योग के सुचारू एवं निर्विघ्नं विकास के लिए आवश्यक संबंध का संवर्धन करना।
खनिज में अनुसंधान और विकास का संवर्धन करना।
उपयुक्त रक्षात्मक उपायों के द्वारा वन पर्यावरण और पारिस्थितिकी पर खनिज विकास के प्रतिकूल प्रभाव को कम करना।
सभी संबंधित व्यक्ति की सुरक्षा और स्वास्थ्य को अहम मानते हुए खनन कार्य करना सुनिश्चित करना।
खनिज को दो भागों में बांटा गया है धात्विक खनिज और अधात्विक खनिज।
धात्विक खनिज- जिन खनिजों से धातु प्राप्त होती है उन्हें धात्विक खनिज कहते हैं , जैसे लौह अयस्क, बॉक्साइट आदि।
अधात्विक खनिज– जिन खनिजों से अधातु प्राप्त होते हैं उन्हें अधात्विक खनिज कहते हैं जैसे अभ्रक, चूना पत्थर आदि।
भारत में पाए जाने वाले प्रमुख खनिज

लौह अयस्क– भारत में लोहे का अनुमानित भंडार 32 सौ करोड़ टन है, जिसमें 85% हेमेटाइट, 8% मैग्नेटाइट तथा 7% अन्य प्रकार के होते हैं। धरती के गर्भ में और बाहर मिलाकर यह सर्वाधिक प्राप्त्य तत्व है। लौह धातु का पुरातन काल से मनुष्य को ज्ञान है। पृथ्वी का कोर लोह धातु का बना है, परंतु ऊपरी सतह पर दूसरे तत्वों द्वारा अभिक्रिया के फल स्वरुप लौह के योगी की मिलते हैं। पृथ्वी की ऊपरी सतह पर लौह योगीक प्रचुर मात्रा में उपस्थित हैं। लोहा दो मुख्य रूप में पाया जाता है मैग्नेटाइट और हेमेटाइट। मैग्नेटाइट काला क्रिस्टलीय खनिज पदार्थ है जिसमें तेज चुंबकीय गुण होता है। हेमाटाइट ज्यादातर जल द्वारा हाइड्रेटेड लिमो नाइट बनने के कारण क्रिस्टलीय रूप में कब मिलता है। शुद्ध हेमाटाइट के क्रिस्टल भूरे या काले रंग के होते हैं जिसमें लाल धारियां पड़ी रहती है इसमें निर्बल चुंबकीय गुण होते हैं। लोहा को सर्वप्रथम भूनकर जलवाष्प आदि दूर करते हैं कार्बोनेट एवं सल्फाइड का ऑक्सीकरण कर देते हैं। इस अयस्क का अपचयन कोक द्वारा एक भट्टी मैं किया जाता है। अयस्क को कैलशियम कार्बोनेट अथवा मैग्निशियम कार्बोनेट, सिलिका तथा कोक के साथ मिलाकर भट्टी ऊपरी क्षेत्र से डाला जाता है तथा नीचे के छिद्रों से गरम भाइयों को ऊपर की ओर प्रवाहित किया जाता है अंदर की प्रक्रिया द्वारा गैस बाहर निकलती है और द्रव लोह तथा धातु मल जमा हो जाते हैं। विश्व के कुल लॉयर्स का लगभग 20% भारत में संचित है संचित भंडार की दृष्टि से भारत का विश्व में प्रथम स्थान है। देश के कुल लौह अयस्क का लगभग 75% 2 राज्यों झारखंड एवं उड़ीसा से प्राप्त होता है। लौह अयस्क निर्यात की दृष्टि से भारत का स्थान विश्व में चौथा है। भारत सर्वाधिक लौह अयस्क का निर्यात जापान को करता है उसके बाद चेक स्लोवाकिया, श्रीलंका, इटली तथा अलग-अलग देशों को करता है।

मैग्नीज– मैग्नीज रसायनिक नजरिए से संक्रमण धातु समूह का सदस्य हैं। प्रकृति में शुद्ध रूप में नहीं मिलता बल्कि अन्य तत्वों के साथ बने यौगिकों में मिलता है, जिनमें अक्सर लोहे के योगिक शामिल होते हैं। शुद्ध करने के बाद इसका रंग स्लेटी होता है और अगर इसे इस्पात में मिलाया जाए तो इस बात में जंग नहीं लगता है। मनुष्य वन्यजीवों को थोड़ी मात्रा में मैग्नीज अपने आहार में जरूरी होता है लेकिन उससे अधिक मात्रा में या विषैला भी साबित होता है। मैगनीज उत्पादन में भारत का विश्व में तीसरा स्थान है। अभी का सर्वाधिक संचित भंडार कर्नाटक में है। देश में सर्वाधिक मेहंदी उत्पादन करने वाला राज्य उड़ीसा में है तथा मैग्नीज उत्पादक देशों में भारत का विश्व में छठा स्थान है। यह मुख्य रूप से उड़ीसा, झारखंड, महाराष्ट्र ,आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान तथा गुजरात में पाया जाता है।
बॉक्साइट– बॉक्साइट एलुमिनियम का प्रमुख अयस्क है। यह पत्थर सर्वप्रथम फ्रांस में लैंसबॉक्स के निकट मिला था इसी आधार पर इस खनिज का नाम बॉक्साइट पड़ा। इसी खनिज से विश्व का अधिकांश एलुमिनियम निकाला जाता है। इसका रंग सफेद या बुरा होता है। सामान्यता इसमें लोहे का अर्थ विद्यमान होता है। खदान से निकलने पर या इतना मुलायम होता है कि हाथ से टूट जाता है पर वायुमंडल के संपर्क में आने पर इसकी कठोरता बढ़ती चली जाती है। बॉक्साइट का निर्माण पृथ्वी की सतह पर या उसके निकट मिट्टी तथा एलुमिनियम के आग्नेय सिलाओ के विघटन से होता है। बॉक्साइट पठानों के ऊपरी भागों में पहाड़ियों में तथा चूने की शिला में अनियमित समुदायों में मिलता है। भारत में इसका प्रमुख उत्पादक राज्य झारखंड है जहां रांची एवं पलामू जिले के ऊपर घाट तथा खुड़िया क्षेत्रों में इसकी महत्वपूर्ण खाने स्थित है। इसके अलावा यह उड़ीसा, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र तथा आंध्र प्रदेश में भी पाया जाता है। उड़ीसा तथाआंध्र प्रदेश में देश का 79% बॉक्साइट का संचित भंडार है। भारत में बॉक्साइट की तीन किस्म पाई जाती है बोकोमाइट, गिव राइट तथा डायस कोर। बॉक्साइट उत्पादन में भारत का विश्व में तीसरा स्थान है।
अधात्विक खनिज के कुछ उदाहरण

कोयला– कोयला वास्तव में वैदिक सभ्यता का प्रमुख संसाधन है। ज्यादातर यह लकड़ी के अंगारों को बुझाने से बच रहे जले हुए अंशों से प्राप्त होता है।भारत का 98% कोयला गोंडवाना युगीन है। कोयला उत्पादन में चीन व अमेरिका के बाद भारत का तीसरा स्थान है। यह एक ठोस कार्बनिक पदार्थ है जिसको इंधन के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। ऊर्जा के प्रमुख स्रोतों के रूप में कोयला अत्यंत महत्वपूर्ण है। कुल प्रयुक्त ऊर्जा का 35% से 40% भाग कोयले से प्राप्त होता है कोयले से अन्य दहन शिव तथा उपयोगी पदार्थ भी प्राप्त किए जाते हैं। कोयला भी विभिन्न प्रकार का होता है जिसमें कार्बन की मात्रा अलग-अलग होती है
एथे साइट– यह सबसे उच्च गुणवत्ता वाला कोयला माना जाता है क्योंकि इस में कार्बन की मात्रा 94 से 98% तक होती है। यह कोयला मजबूत चमकदार एवं काला होता है। इसका प्रयोग घरों तथा व्यवसाय में स्पेस हिटिंग के लिए किया जाता है। भारत में कोयला मुख्यता दो विभिन्न युगों के अस्तर समूहों में मिलता है पहला गोंडवाना योग तथा दूसरा तृतीय कल्प। इनमें गोंडवाना कोयला उच्च श्रेणी का होता है इसमें राख की मात्रा अर्थ तथा ताप उत्पादक शक्ति अधिक होती है। तृतीय कल्प का कोयला घटिया श्रेणी का होता है जिसमें गंधक की प्रचुरता होने के कारण या उद्योगों में भी प्रयुक्त नहीं किया जा सकता। भारत में गोंडवाना युग के प्रमुख क्षेत्र झरिया तथा रानीगंज हैं अन्य प्रमुख क्षेत्रों में बोकारो, गिरिडीह, करणपुरा, सिंगरेनी, उमरिया तथा सोहागपुर आदि हैं। तृतीय कल्प के कोयले लिग्नाइट और बिटुमिनस आदि के निक्षेप असम, कश्मीर, राजस्थान, तमिलनाडु और गुजरात राज्य में है।
बिटुमिनस– यह कोई सा भी अच्छी गुणवत्ता वाला माना जाता है। इस में कार्बन की मात्रा 78 से 86% तक पाई जाती है। यह फोटो शादी चट्टान है जो कालि या गहरी भुरे रंग की होती है। इस प्रकार के कोयले का उपयोग भाग तथा विद्युत संचालित ऊर्जा के इंजनों में होता है। इस कोयले से कोक का निर्माण भी किया जाता है।
लिग्नाइट– यह कोयला भूरे रंग का होता है तथा स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक हानिकारक होता है। इस में कार्बन की मात्रा 28 से 30% तक होती है और इसका उपयोग विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।
पीट– यह कोई लेकिन निर्माण से पहले की अवस्था होती है इस में कार्बन की मात्रा 27% से भी कम होती है। तथा या कोयला स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यधिक हानिकारक होता है।

पेट्रोलियम– यह पृथ्वी से प्राप्त होने वाला हाइड्रोजन एवं कार्बन का मिश्रण होता है। दूसरे शब्दों में तेल रिफाइनरी मैं संसाधित कच्चे तेल से प्राप्त होने वाली उपयोगी सामग्री ओं को कहते हैं। कच्चे तेल की संरचना और मांग के अनुसार पेट्रोलियम उत्पादों को विभिन्न मात्राओं में उत्पादित कर सकती है। तेल उत्पादों का सबसे अधिक मात्रा में ऊर्जा वाह को के रूप में इस्तेमाल किया जाता है जैसे कि ईंधन तेल तथा पेट्रोल। पेट्रोलियम में अक्सर सल्फर भी थोड़ी मात्रा में शामिल होता है सर पर को भी अक्सर एक पेट्रोलियम उत्पाद के रूप में उत्पादित किया जाता है पेट्रोलियम हाइड्रोजन और कार्बन कॉपी पेट्रोलियम उत्पादों के रूप में उत्पादित किया जा सकता है। तेल रिफाइनरी कंपनियां विभिन्न प्रकार के कच्चे माल को मिश्रित करती है तथा उचित योजको को मिलाती है लघु अवधि का भंडारण प्रदान करती है और ट्रकों, नौका, पानी के जहाज तथा रेलों में भारी मात्रा में लाने के लिए तैयार करती है। भारत में विश्व के कुल संचित तेल का मात्र 0.5% उपलब्ध है। 1956 ईस्वी में तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग की स्थापना हुई तथा तेल का सर्वप्रथम उत्पादन 1890 एसपी में डिगबोई क्षेत्र में प्रारंभ हुआ। तेल शोधक कारखाना की स्थापना सर्वप्रथम 1950 ईस्वी में डिगबोई में की गई। 1953 एसपी के बाद नहरकटिया में तेल निकालना प्रारंभ हुआ। अरब सागर के मुंबई हाई से खनिज तेल निकालने का कार्य सर्वप्रथम 1976 ईस्वी में शुरू हुआ। देश के कुल खनिज तेल का 58% उत्पादन मुंबई हाई से किया जाता है। जामनगर तेल शोधक कारखाना एशिया का सबसे बड़ा तेल शोधक कारखाना है। भारत में पेट्रोलियम उत्पादक राज्य निम्नलिखित हैं गुवाहाटी, मथुरा पानीपत, विशाखापट्टनम, मंगलौर, मुंबई, कोच्चि, डिगबोई, हल्दिया, मथुरा आदि।

प्राकृतिक गैस- प्राकृतिक गैस कई गैसों का मिश्रण होती है जिसमें मुख्यता मिथेन होती है तथा जीरो से 20% तक अन्य उच्च हाइड्रोकार्बन जैसे एथेन गैसे होती है। प्राकृतिक गैस इंधन का प्रमुख स्रोत होता है जो कि अन्य जीवाश्म इधनो के साथ पाया जाता है। यह करोड़ों वर्ष पूर्व धरती के अंदर जमे हुए मरे हुए जीवो के सड़े गले पदार्थ से बनती है। यह गैसीय अवस्था में पाई जाती है। सामान्यता यह मेथेन, एथेन, प्रोपेन, ब्यूटेन आदि का मिश्रण है जिसमें 70 से 90% तक मेथेन गैस पाई जाती है। इसका उपयोग खाद निर्माण में, विद्युत बनाने में, नगर गैस वितरण में, घरेलू गैस उपयोग में, वाहनों के ईंधन के रूप में तथा कारखानों के ईंधन के रूप में किया जाता है। सबसे प्राकृतिक गैस दो तंत्र के द्वारा बनाई गई है जैव जनित तथा उस्मा जनित। भारत में प्राकृतिक गैस के भंडार का पता प्राकृतिक गैस कॉरपोरेशन ऑयल इंडिया लिमिटेड लगाती है। भारत में गैस का भंडार विश्व के कुल गैस भंडार का करीब0.5% है। आंध्रप्रदेश के तट पर कृष्णा गोदावरी बेसिन में डी से ब्लॉक में प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार की खोज रिलायंस इंडस्ट्रीज ने की है। प्राकृतिक गैस के भंडार तमिल नाडु, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, जम्मू कश्मीर, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, त्रिपुरा एवं अरुणाचल प्रदेश में स्थित है।