जेपीएससी नोट्स – Vinay IAS Academy https://vinayiasacademy.com Rashtra Ka Viswas Mon, 17 Aug 2020 07:02:14 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=5.3.4 झारखंड आंदोलन व राज्य गठन (आधुनिक झारखंड) https://vinayiasacademy.com/?p=928 https://vinayiasacademy.com/?p=928#respond Mon, 06 Apr 2020 07:30:19 +0000 http://vinayiasacademy.com/?p=928 1765 ई० – सर्वप्रथम झारखंड में अंग्रेजों का प्रवेश (सिंहभूम) में हुआ एवं बाहरी लोगों की बाढ़ सी आ गई। उस समय 3 राज्य प्रमुख थे – ढ़ालभूम (ढाल राजाओं का क्षेत्र),पोड़ाहाट (सिंह राजाओं का क्षेत्र),हो देशाम /कोल्हान (हो लोगों का क्षेत्र) पहला लड़ाई 1767 ढालभूम को राजा माना गया। ढाल राजा को नेता रघुनाथ […]

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  • 1765 ई० – सर्वप्रथम झारखंड में अंग्रेजों का प्रवेश (सिंहभूम) में हुआ एवं बाहरी लोगों की बाढ़ सी आ गई।
  • उस समय 3 राज्य प्रमुख थे – ढ़ालभूम (ढाल राजाओं का क्षेत्र),पोड़ाहाट (सिंह राजाओं का क्षेत्र),हो देशाम /कोल्हान (हो लोगों का क्षेत्र) पहला लड़ाई 1767 ढालभूम को राजा माना गया।
  • ढाल राजा को नेता रघुनाथ महतो (चुआड़ आंदोलन) के नेता का साथ मिला।
  • ढाल राजा के वंशजों ने सरायकेला पर राज्य कायम किया था , पोड़ैयाहाट राजा का चाचा विक्रम सिंह ने 12 गांव दान किया।
  • 1820 ई० मेजर रफसेज ने कोल्हान /देशाम में प्रवेश किया, चाईबासा के रोरो नदी तट पर युद्ध हुआ जहां अंग्रेजों को सफलता मिली।
  • 1821 अंग्रेजों द्वारा वह लोगों का दमन।
  • 1821 में हुई लड़ाई के बाद हो लोगों ने कंपनी की अधीनता स्वीकार की तथा 8 प्रति आना व बाद में ₹1 प्रतिवर्ष देना स्वीकार किया।
  • 1771 ई०- झारखंड क्षेत्र ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन आया ।
  • 1785ई०- तिलकामांझी का आंदोलन ।
  • 1797 ई०- मुंडा विद्रोह (बूंदी) (नेता- विष्णु मानकी)।
  • 1800ई०-चेरो विद्रोह (नेता -भूषण सिंह ) 1819-20 ई०- मुंडा विद्रोह (तमाड़ ,नेतृत्व कर्ता- रुदू कोनरा)
  • 1831-32 ई०- कोल विद्रोह (नेतृत्व कर्ता- दिनरे मानकी व सिधरे)
  • 1832-34ई०- भूमिज विद्रोह नेतृत्वकर्ता- गंगा नारायण सिंह)
  • 1845 ई०- झारखंड में क्रिश्चियनो का प्रवेश। 1856-57ई०-सिपाही विद्रोह (नेता – शेख भिखारी, विश्वनाथ शाही, गणपत राय )
  • 1859ई०- रांची में एंग्लिकन चर्च की स्थापना , छोटा नागपुर में “खरीद बिक्री कानून” लागू, सरदार आंदोलन की शुरुआत।
  • 1860ई०- मुंडा विद्रोह (नेता- दुखन मानकी, तमाड़)
  • 1869ई०- छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम लागू।
  • 1872ई०- संथाल परगना बंदोबस्त नियम लागू। 1878ई०- सरदार आंदोलन भारतीय कानूनवन कानून लागू (छोटा नागपुर)।
  • 1891ई०- आर्य समाज की स्थापना (रांची) (इस समय आदिवासियों ने शुद्धिकरण का अभियान चलाया)
  • 1895 ई०- उलगुलान (नेतृत्व कर्ता -बिरसा मुंडा)
  • 1893 ई०- झारखंड में रेल परिवहन की स्थापना ,झरिया में कोयला खनन प्रारंभ ।
  • 1900 ई०-ओरिजिनल सर्व सेटेलमेंट (1901) बना ।
  • 1903ई०- काश्तकारी संशोधन कानून लागू तथा जमीन के स्थानांतरण पर रोक ।
  • 1907ई०- जमशेदपुर में लोहा इस्पात संयंत्र की स्थापना।
  • 1912 ई०- बंगाल से बिहार व उड़ीसा अलग।
    • 1917 ई०-गांधीजी पहली बार 4 जून को रांची आए।
    • 1918ई०- राम विनोद सिंह को 14 दिसंबर को पकड़ लिया गया ,इन्हें हजारीबाग का “जतिन बाघा” कहा जाता है।
    • 1919 ई०- 6 विद्यार्थियों ने 6 अप्रैल को एक साथ उपवास रखा, जमशेदपुर व चाईबासा में “विरोध दिवस” मनाया गया ।
    • 1919 ई०- 27 दिसंबर को मौलाना अब्दुल कलाम को रिहा किया गया ,3 जनवरी 1920 को वे कोलकाता चले गए।
    • 1919 ई०-कांग्रेस कमेटी की स्थापना (पलामू)(नेता- बिंदेश्वरी पाठक तथा भागवत पांडे) 1920ई०- रांची जिला कमेटी की स्थापना भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का कोलकाता में विशेष अधिवेशन हुआ।
    • 1920ई०- में गांधीजी झारखंड आए, उन्होंने एक पंक्ति कहा-” कपास बाद, चरखा चलाओ, कपड़ा बुनो, छोटानागपुर आजाद हो जाएगा” 1920-21ई०-गांधीजी धर्मशाला के सामने लंका शायर मैनचेस्टर मेलों के विदेशी कपड़ों को जलाएं।
    • 1920 ई०- पलामू के आदिवासी नेता धनी सिंह को “पलामू का राजा” घोषित किया गया। (इन्होंने पलामू किला के हाते में आयोजित सभा में निर्णय लिया कि जंगलों को काट कर कपास की खेती की जाए)
    • 1927 ई०- जनवरी में गांधीजी डाल्टेनगंज आए और साइमन कमीशन के विरोध में रांची इसका केंद्र बना।
    • असहयोग आंदोलन (4 सितंबर 1920) में राँची इसका प्रमुख केंद्र बना। उस समय डोरंडा, नामकुम, घागरा, इटकी ,सेन्हा ओरमांझी, कोकर, तमाड़ ,बुंडू ,गुमला तथा लोहरदगा में कई जनसभाएं आयोजित किया गया जिसमें मौलवी उस्मान, गुलाब तिवारी और स्वामी विश्वानंद ने भाग लिया।
    • 1921ई०-रांची में वार्षिक पिंजरापोल समारोह हुआ ।
    • 1921ई०- हजारीबाग में बिहार स्टूडेंट का 16 वां अधिवेशन हुआ।
    • 1922 ई०- चौरी -चौरा कांड के बाद कांग्रेस में विभाजन हुआ तथा स्वराज पार्टी की स्थापना हुई ।
    • 1923 ई०-अप्रैल में राष्ट्रीय सप्ताह मनाया गया। 1923ई०- लेजिसलेटिव काउंसिल बनी तो कृष्ण बल्लभ सहाय “स्वराज पार्टी” के प्रतिनिधि चुने गए ।
    • 1926ई०- जमशेदपुर के खादी प्रदर्शनी का उद्घाटन कंपनी के उच्चस्थ अधिकारी टेंपल ने किया ।
    • 1928ई०- छोटानागपुर उन्नति संघ की स्थापना।
    • 1930ई०-नमक सत्याग्रह आंदोलन (दांडी मार्च) (नेतृत्व- मोहन महतो ,गणेश महगेे व सहदेव महतो )
    • यह आंदोलन 12 मार्च 1930 से 6 अप्रैल 1930 तक चला।
    • 6 अप्रैल 1930ई०- सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई। इस क्रम में सिल्ली, रांची, चुटिया ,लोहरदगा ,गुमला आदि जगहों पर सभाएं हुए ।
    • 3 मई 1930 ई०-को रांची बार एसोसिएशन की बैठक में विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया।
    • 1930ई० में सितंबर में रांची में स्वदेशी सप्ताह मनाया गया तथा 16 नवंबर का सर्वत्र “जवाहर दिवस ” मनाया गया।
    • 1936ई० में बिहार से उड़ीसा को पृथक किया गया।
    • 1938 ई०- आदिवासी महासभा का गठन (नेतृत्व कर्ता -जयपाल सिंह)
    • 1939ई०- अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक (नेतृत्व कर्ता- सुभाष चंद्र बोस)
    • 1940 ई०- रेडिकल डेमोक्रेटिक पार्टी ( एम एन राय)
    • 1942ई०- भारत छोड़ो आंदोलन
    • 22 अगस्त 1943 ई० को भारत छोड़ो आंदोलन संबंधित अंतिम घटना थी जिसमें वाचस्पति त्रिपाठी को गिरफ्तार किया गया।
    • 1948 ई०- खरसावा आंदोलन ,झारखंड आंदोलन।
    • 1953 ई०- “राज्य पुनर्गठन आयोग” की स्थापना की गई इसके बाद झारखंड के स्वतंत्र राज्य के रूप में गठन की मांग उठी।
    • 1969ई०- बिहार में गठबंधन सरकार बनी जिसमें प्रखंड क्षेत्र के प्रतिनिधि अलग राज्य बनाने का प्रयास करते रहे।
    • 1972ई०- संसदीय चुनाव हुए जिसके बाद इंडियन नेशनल कांग्रेस भारी बहुमत से सत्ता में आए।
    • 1972ई०- झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन ( नेतृत्वकर्ता- शिबू सोरेन)
    • 1979ई०- झारखंडी नेता शक्ति नाथ महतो की हत्या ।
    • 1987 ई०- झारखंड समन्वय समिति का गठन (शिबू सोरेन व बाबूलाल मरांडी द्वारा)
    • 1989ई०- केंद्र सरकार ने झारखंड मसले पर एक समिति गठित की।
    • भाजपा ने सन् 1987 में पृथक झारखंड राज्य बनाने की मांग पर समर्थन किया था।
    • उसी समय झारखंड के अलावा उत्तराखंड व छत्तीसगढ़ राज्य को भी पृथक करने की मांग थी।
    • 1978ई०- में आदिवासियों में राजनीतिक चेतना जगाने हेतु काटो अभियान चलाया।
    • 1987ई०- में 1 फरवरी को झामुमो पार्टी ने दिल्ली चलो का नारा दिया।
    • 1982 में बिहार की कांग्रेसी सरकार ने छोटानागपुर विकास प्राधिकरण और संथाल परगना विकास प्राधिकरण नाम के दो स्वायत्त प्राधिकरण की स्थापना की।
    • 1987ई०- भाजपा ने पहली बार झारखंड राज्य की मांग उठाई।
    • तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने 23 अगस्त 1989 को झारखंड राज्य के गठन की जांच के लिए 24 सदस्य समिति को उड़ीसा, बिहार ,मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल दौरा करने भेजा।
    • 1991ई०- बिहार सरकार ने “झारखंड क्षेत्र विकास परिषद” का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा ।
    • 1992ई०- झारखंड गठन की समिति ने जनरल काउंसिल की बैठक की संस्तुति की।
    • 1994ई०- बिहार विधानसभा में 20 दिसंबर 1994 को तुलसी सिंह द्वारा परिषद् विधेयक पारित किया गया।
    • 1995ई०- 9 अगस्त को झारखंड क्षेत्र विकास परिषद का गठन हुआ जिसके अध्यक्ष शिबू सोरेन और उपाध्यक्ष सूरज मंडल बने।
    • 1997ई०- बिहार विधानसभा से पृथक झारखंड (वनांचल )राज्य संबंधी प्रस्ताव पारित ।
    • 1998ई०- बिहार विधानसभा में बिहार पुनर्गठन विधेयक पर चर्चा , 3 दिनों का विशेष सत्र आयोजित।
    • इस विधेयक के समर्थन में 107 वोट तथा विपक्ष में 181 वोट मिले थे।
    • 1999ई०- झामुमो में मतभेद हुए जिसके कारण 2000 में विधानसभा चुनाव में उपाध्यक्ष सूरज मंडल को दल से बाहर किया गया।
    • 2000 ई०- लगभग 3 शताब्दियों के बाद 15 नवंबर 2000 को झारखंड भारत का 28 वां राज्य बना।

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    झारखंड के विभूति https://vinayiasacademy.com/?p=914 https://vinayiasacademy.com/?p=914#respond Sun, 05 Apr 2020 06:59:05 +0000 http://vinayiasacademy.com/?p=914 अल्बर्ट एक्का:- 1971 के भारत-पाक युद्ध में अहम भूमिका निभाई। यह थल सेना के “ब्रिगेड ऑफ द गॉडस्”के लांस नायक थे। इनका जन्म गुमला जिले के जरी गांव में 27 दिसंबर 1942 को आदिवासी ईसाई परिवार में हुआ था। इन्हें मरणोपरांत सरकार द्वारा परमवीर चक्र की उपाधि दी गई। भूषण सिंह:- भूषण सिंह चेरो जनजाति […]

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    अल्बर्ट एक्का:-

    • 1971 के भारत-पाक युद्ध में अहम भूमिका निभाई।
    • यह थल सेना के “ब्रिगेड ऑफ द गॉडस्”के लांस नायक थे।
    • इनका जन्म गुमला जिले के जरी गांव में 27 दिसंबर 1942 को आदिवासी ईसाई परिवार में हुआ था।
    • इन्हें मरणोपरांत सरकार द्वारा परमवीर चक्र की उपाधि दी गई।

    भूषण सिंह:-

    • भूषण सिंह चेरो जनजाति के थे इस वंश के सबसे प्रसिद्ध राजा मेदिनी राय थे।
    • इस समय चेरों वंश (1880) के राजा चुड़ामन राय थे।
    • इन्होंने 1880 में चेरो विद्रोह किया तथा इसका नेतृत्व जमींदार भूषण सिंह ने किया था।
    • 1802 इसे में अंग्रेजों द्वारा इन्हें फांसी दे दी गई।

    अर्जुन सिंह:-

    • 1857 ई० के पोरहट के राजा थे इन्होंने कैप्टन बश् का विरोध किया था।
    • 1859 में इन्होंने कैप्टन डाल्टन के सामने आत्मसमर्पण किया ।
    • इन्हें बनारस में बंदी बनाकर रखा जहां 1870 में उनकी मृत्यु हो गई।

    दिवा किशुन :-

    • जन्म – वर्ष 1820 में हुआ (पश्चिम सिंहभूम के राजनगर थाना अंतर्गत मातकोम बेड़ा गांव) किशन सोरेन का जन्म राजनगर थाना क्षेत्र में गुमिदपुर में हुआ था।
    • किसुन सोरेन व दीवा सोरेन रिश्ते में मामा भांजे थे ।
    • उस समय पोरहट के राजा अभिराम सिंह थे, 1872 ईसवी में दिवा-किसुन जिनके नेतृत्व में विद्रोह आरंभ हुआ।
    • ब्रिटिश प्रशासन के सैनिकों द्वारा इन्हें गिरफ्तार किया गया तथा सरायकेला में फांसी दे दी गई।

    शरत चंद्र राय :-

    • यह भारत के पहले मानव निरविज्ञानी थे। इन्होंने “मैन इन इंडिया” नामक संस्था की स्थापना की ।
    • जन्म- 1871 ( करपाड़ा ,खुलना जिला, पूर्वी बंगाल )
    • मुख्य पुस्तके- मुंडाज एंड दर कंट्री (1912), उराँव ऑफ छोटा नागपुर (1915),बिरहोर (1925), रांची डिस्टिक गैजेटियर (1917) में विशेष योगदान ।
    • मृत्यु -1942 (रांची)

    रानी सर्वेश्वरी:-

    • सन् 1758 में इनके पति गर्जन सिंह के देहांत के बाद इन्होंने संथाल परगना के महेशपुर की बागडोर संभाली ।
    • 1781-82 में कुछ अन्य पहाड़ियों सरदारों के साथ मिलकर कंपनी शासन के खिलाफ विद्रोह किया ।
    • 1783 ई० में 6 मई को उनके पद से वंचित कर दिया गया और राजा के भतीजे माकुम सिंह को दे दी गई।
    • 6 मई 1807 को भागलपुर जेल में इनके मृत्यु होकर

    गया मुंडा:-

    • जन्म – खूंटी जिला, मुरहू प्रखंड, एटकेडीह गांव यह बिरसा मुंडा के सेनानायक थे (उस वक्त बिरसा मुंडा के नेतृत्व में अबुआ दिसुम (अपना देश) का आंदोलन हुआ था।
    • 6 जनवरी 1900 में इन्हें गिरफ्तार किया गया तथा बाद में फांसी दे दी गई।

    फादर जॉन बापटिस्ट हॉफमैन:-

    • जन्म – 21 जून 1857
    • यह जर्मन यीशु समाजी पुरोहित थे ।
    • भूमि कानून सुधार के संरक्षण में इन्होंने पहला एवं निर्णायक कदम उठाया था, जो आज भी भारत में लागू है।
    • इन्होंने कोलकाता के संत जेवियर कॉलेज में पढ़ाया बाद में रांची में भी पढ़ाया वह पर वह असफल रहे ।
    • 1909 में “कैथोलिक सहकारी सोसायटी” की स्थापना की।
    • उन्होंने ग्रामीण स्तर पर मासिक बैठक में यह निर्णय लिया जिसमें ऋण किससे लिया जा सकता है यह सुनिश्चित करते थे , 1913 में एक सहकारी स्टोर खोला गया था यह दोनों पहल सफल रही ।
    • इन्होंने “मुंडा ग्रामर” और “इनसाइक्लोपीडिया मुंडारीका” भी तैयार की थी ।
    • इनकी मृत्यु 19 नवंबर 1928 को हो गई ।

    सिनगी दई व कईली दई:-

    • दई का अर्थ होता है दीदी। यह शब्द आग्नेय भाषा से निकली है।
    • 400 वर्ष पूर्व इन दोनों महिलाओं ने मुगलों के खिलाफ विद्रोह में शौर्य प्रदर्शन किया था।
    • इनके नेतृत्व में महिलाओं ने पुरुष वेश में विद्रोह किया था।
    • इस युद्ध के याद में हर 12 वर्ष में ‘जनी शिकार’ का आयोजन किया जाता है

    डॉ दिनेश्वर प्रसाद:-

    • आलोचक तथा लोक संस्कृति के मर्मज्ञ थे।
    • पुस्तके- लोक साहित्य और संस्कृति , ऑन मुंडारी पोयटरी चर्चित पुस्तकें रही।
    • डॉक्टर कामिल बुल्के के साथ इन्होंने अंग्रेजी हिंदी कोश तैयार किया।

    डॉक्टर कुमार सुरेश सिंह (1935 से 2006) :-

    • पेशा- भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी व मानव विज्ञान सर्वेक्षण के महानिदेशक के रूप में कार्य किया।
    • पीपुल्स ऑफ इंडिया सर्वेक्षण के संपादक के रूप में जाना जाता है ।
    • चर्चित पुस्तकें- फेमिन इन इंडिया ,कॉलोनियल ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ ट्राइबल सोसाइटी इन मिडिल इंडिया

    नागरमल मोदी :-

    • स्वतंत्रता सेनानी व समाज सुधारक थे।
    • इन्होंने झारखंड में स्वदेशी आंदोलन तथा मारवाड़ी समाज में आधुनिक शिक्षा का प्रचार प्रसार करने वाले प्रथम व्यक्ति थे ।
    • उन्होंने बाल विधवाओं के कल्याण के लिए कई संस्थाएं स्थापित किया।

    केदारनाथ साहू:-

    • यह छऊ नृत्य के विश्व प्रसिद्ध नृतक थे ।
    • इन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से नवाजा गया है।
    • निधन – 8 अक्टूबर 2008

    पंडित रघुनाथ मुरमू (5 मई 1905 से 1 फरवरी 1982) :-

    • संताली भाषा की लिपि “ओलचिकी” (1941) में तैयार की।
    • इनका जन्म उड़ीसा के मयूरभंज में हुआ था। यह विचारक,लेखक, दार्शनिक व नाटककार थे। प्रमुख पुस्तकें- बिंदु चंदन , खरगोश वीर, दरेज धन, सिद्धू कान्हू आदि।
    • इनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए पंडित की उपाधि दी गई।

    राधा कृष्ण :-

    • पेशा- साहित्यकार
    • घोष-बोस- बनर्जी-चटर्जी उपनाम के हास्य व्यंग लिखी।
    • आदिवासी पत्रिका का संपादन किया (1947 से 1970)
    • हिंदी के अलावा नागपुरी में भी लेखन किया।

    सुरेंद्र नारायण सिंह देव:-

    • पेशा- छऊ नृत्य (सरायकेला शैली, नर्तक व नृत्य निर्देशक थे )
    • पुरस्कार- संगीत कला अकादमी पुरस्कार
    • छऊ नृत्य विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

    बालकृष्ण सहाय:-

    • पेशा -प्रसिद्ध समाज सुधारक, पत्रकार व लेखक
    • 1898-1905 तक रांची से झारखंड का पहला साप्ताहिक “आर्यावर्त” का प्रकाशन हुआ था।

    पी.एन.बोस:-

    • भूगर्भ शास्त्र थे । इनके ही शोध के निष्कर्ष पर जमशेदपुर में टाटा ने 1907 में साकची में टिस्को कंपनी की स्थापना की।
    • उन्होंने सर्वप्रथम मयूरभंज के गौर महिषानी लोहा का खान का पता लगाया था।

    सखाराम गणेश देउस्कर:-

    • यह क्रांतिकारी लेखन एवं पत्रकारिता से प्रसिद्ध हुए।
    • जन्म – 17 दिसंबर 1869 (करौं, देवघर)
    • बाल गंगाधर तिलक इन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते थे।
    • 1904 के स्वदेशी आंदोलन में इनका प्रमुख योगदान रहा ।
    • उन्होंने “हितवाद” पत्र का संपादन किया ।
    • चर्चित पुस्तकें- तिलकेर मुकदमा, दशेरड कोथा, एटा कोन जुग आदि (अंग्रेजों द्वारा जब्त किया गया).
    • निधन- 23 नवंबर 1912

    प्रदीप चंद्र साहू एवं चेतना साहू:-

    • उपनाम – प्रदीप चंद्र साहू को “पहाड़ चढ़ो साहू” के नाम से जाना जाता है ।
    • टाटा स्टील के नोवामुंडी माइंड डिवीजन के पूर्व अधिकारी प्रदीप चंद्र व पत्नी चेतना साहू ने एवरेस्ट पर 19 मई 2016 को झंडा फहराकर राज्य का नाम रोशन किया।

    सिमोन उरांव:-

    • पद्मश्री- इन्हें जल संरक्षण एवं पर्यावरण की रक्षा के लिए पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया। नारा- आदमी बनना है तो जमीन से लड़ो।
    • सिंचाई के लिए नहर का निर्माण – विदेशी तकनीक से पहला गाय घाट बांध तथा देशवाली बांध का निर्माण ।

    अशोक भगत:-

    • पुरस्कार – जल प्रबंधन एवं पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य के लिए पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया। “विकास भारती” नामक एनजीओ के सचिव है।
    • बोरा बांध योजना की शुरुआत की जो ग्रामीण क्षेत्र में प्रसिद्ध है।

    रामदयाल मुंड(23 अगस्त 1939 से 30 सितंबर 2011) :-

    • प्रसिद्ध – शिक्षाविद ,समाजवाद ,संस्कृति वाद के अग्रणी नेता के रूप में प्रसिद्ध ।
    • सम्मान – पद्मश्री एवं संगीत नाटक अकादमी सम्मान।

    पीतांबर सोरेन:-

    • यह संथाली साहित्यकार , सिने अभिनेता, स्टोरीराइटर के रूप में जाने जाते हैं।
    • पुरस्कार – आईसफा व रास्का फिल्म फेस्टिवल पुरस्कार से सम्मानित, 2014 में ‘आमी दुलाड’ फिल्म को अवार्ड मिला( बेस्ट संथाली फिल्म) निधन -1 अगस्त 2015

    बलबीर दत्त:-

    • जन्म -1935 (रावलपिंडी)
    • पेशा- पत्रकार
    • पुरस्कार- झारखंड सारस्वत सेवा हीरक सम्मान, क्रांतिकारी पत्रकारिता पुरस्कार, झारखंड एक्सीलेंस अवार्ड, साईनाथ हीरक सम्मान, राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार (2008),झारखंड गौरव सम्मान (2009), पत्रकारिता शिखर सम्मान (2011), लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड (झारखंड सरकार) 2011,पद्मश्री सम्मान भारत सरकार द्वारा (2017)

    मुकुंद नायक:-

    • जन्म- 15 अक्टूबर 1949 (सिमडेगा ,झारखंड)
    • पेशा- लोक गायक , गीतकार और नर्तक।

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