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जलवायु (climate):-
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जलवायु किसी स्थान के वातावरण की दशा को व्पक्त करने के लिये प्रयोग किया जाता है। यह शब्द “मौसम” के काफी करीब है। पर जलवायु और मौसम में कुछ अन्तर है। जलवायु बड़े भूखंडो के लिये बड़े कालखंड के लिये ही प्रयुक्त होता है जबकि मौसम अपेक्षाकृत छोटे कालखंड के लिये छोटे स्थान के लिये प्रयुक्त होता है। उदाहरण:- आज से तीस हजार साल पहले पृथ्वी की जलवायु आज का अपेक्षा गर्म थी।

  • वायुमंडल की गतिक अवस्था 9 को ही हम मौसम कहते हैं।
    *किसी भी स्थान की जलवायु वहां के मौसम के तत्वों का सहयोग करती है या होती है।
    *मौसम वायुमंडल की क्षणिक अवस्था का बोध कराते हैं, और जो स्थान तथा समयानुसार परिवर्तित होते रहते हैं जब की जलवायु दीर्घकालिक अवस्था काबोध कराती है एवं इसमें परिवर्तन मौसम की अपेक्षा काफी धीरे होती है।

जलवायु मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं :-
(१) सम
(2) विषम

१.सम जलवायु:-सम जलवायु उस जलवायु को कहा जाता है। जहां गर्मियों में ना अधिक गर्मी पड़ती है और ना सर्दियों में अधिक सर्दी तापमान में पाई जाती है। वह समुद्र के प्रभाव के कारण तटीय क्षेत्रों में सम जलवायु पाई जाती है, ऐसी जलवायु में दैनिक तथा वार्षिक तापांतर बहुत ही कम पाया जाता है। केरल के तिरुवंतपुरम में इसी प्रकार की जलवायु पाई जाती है।

२.विषम जलवायु:-विषम जलवायु उस जलवायु को कहते है, जहां गर्मियों में अत्यधिक गर्मी तथा सर्दियों में अधिक सर्दी पड़ती है। जहां तापमान वर्ष भर आसमान रहते है, ऐसे जलवायु महाद्वीपों के आंतरिक भागों अथवा समुद्र से दूर के भागों में पाई जाती है सूर्य की किरणों से जल की अपेक्षा धरती दिन में जल्दी गर्म होती है और रात में जल्दी ठंड हो जाती है। अतः धरती के प्रभाव के कारण विषम जलवायु का जन्म होता है। ऐसी जलवायु में दैनिक तापांतर और वार्षिक तापांतर अपेक्षाकृत अधिक पाया जाता है जोधपुर (राजस्थान) तथा अमृतसर (पंजाब) में इसी प्रकार की जलवायु पाई जाती है।

  • सामान्य रूप में विश्व की जलवायु को 12 प्रमुख जलवायु प्रदेशों में विभाजित किया गया है:-
  • बादल:-वायुमंडल में जलवाष्प शीतल होकर जल के अति सूक्ष्म कणों में संघनित हो जाता है। जिसे बादल कहते हैं।
    *गुप्त ऊष्मा:- वाष्पीकरण मैं ऊष्मा खर्च होती है तथा संघन में ऊष्मा मुक्त होती है या मुक्त ऊष्मा संघन की गुप्त ऊष्मा कहलाती है।
  • 1 ग्राम बर्फ के पिघलने के लिए 79 कैलोरी ऊर्जा जरूरी होती है जबकि 1 ग्राम जल को वाष्प मैं बदलने के लिए 607 कैलोरी ऊर्जा की जरूरत पड़ती है या आवश्यकता पड़ती है।
  • आर्द्रता :- वायुमंडल में विद्यमान जलवाष्प की मात्रा को आर्द्रता करते हैं वायुमंडल में इसकी मात्रा 4% होती है।
  • निरपेक्ष आर्द्रता:- किसी वायु के निश्चित आयतन पर उसमें उपस्थित आर्द्रता की मात्रा निरपेक्ष आर्द्रता कहलाती है इसे प्रति वर्ग सेंटीमीटर पर ग्राम में प्रदर्शित किया जाता है।
  • सापेक्ष आर्द्रता:- किस अनिश्चितता पर एक निश्चित आयतन वाली वायु राशि में आर्द्रता का सामर्थ्य तथा उसमें उपस्थित जलवाष्प की वास्तविक मात्रा के अनुपात को सापेक्ष आर्द्रता कहते हैं।
  • विशिष्ट आर्द्रता:-
    वायु में पाए जाने वाले वाष्प के बाहर और अदर वायु के भार के अनुपात को विशिष्ट आर्द्रता कहते हैं।
  • संघनन:-जलवाष्प को जल के रूप में बदलने की क्रिया को संघनन कहते हैं।
  • ओस बिंदु:- जिस तापमान पर वायु संतृप्त हो जाती है उसे तापमान को ओस बिंदु कहां जाता है।

*ओस:-रात में ठंडे धरातल के संपर्क में आने वाली वायु की आर्द्रता के कण पेड़-पौधों, धरातल एवं अन्य वस्तुओं पर जलबिंदु के रूप में बैठ जाती है इन्हीं जल बिंदुओं को हम ओस कहते हैं।

*तुषार:- जब जलवाष्प का संघनन 0॰ कम तापमान पर होता है तो जलकण के बजाए हिमकण उत्पन्न होता है। हिमकण परस्पर जुड़कर तुषार रवों की रचना करते हैं।

*पाला:- धरातल पर जलवाष्प का घनीभवन यदि 0॰(32॰F) या उससे कम तापमान पर होती है, जल के बजाय हम उत्पन्न होती है तो वह पाला कहलाती है। पर्वतीय दलों की अपेक्षा घाटियों एवं मैदानों में पाला अधिक पड़ता है।

  • कोहरा:- सत्ता के निकट पाया जाता है जब जलवाष्प के कण वायुमंडल में व्याप्त धूल व धुएं के कणों के ऊपर बैठ जाती है तो संघनित होकर सूक्ष्म जलबिंदुओं के रूप में लटक जाती है। समूह के रूप में ये धुएं के बादल की तरह दिखाई देती है हल्के कोहरे को भून दिया कुहासा कहते हैं।

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