राजस्थान का मैदान जिसे बागर कहते हैं यह बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है लगभग 200000 वर्ग किलोमीटर में इसकी ढलान उत्तर पूरब से लेकर दक्षिण पश्चिम की ओर है गुजरात की लूनी नदी जो समुद्र से सिर्फ 25 मीटर ऊंची है यही बहती है इस क्षेत्र में समुद्र के वापस लौटने के कारण एक मैदान का निर्माण हुआ है इसलिए यहां पर कई छोटे-छोटे नमकीन झील पाए जाते हैं जैसे कि सांभर झील जो 300 वर्ग किलोमीटर का है, कार्बोनिफरस कॉल के कुछ समय पश्चात यहां की कई नदियां सूखने लगी जैसे सरस्वती या लूणी इसके कुछ भाग में अभी भी उपजाऊ मिट्टी है जिसे रो ही कहते हैं तथा इसके शुष्क इलाके के को घग्गर कहा जाता है
- पंजाब हरियाणा के मैदान में भी लगभग दो लाख वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है यहां कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां दोआब का निर्माण होता है, स्थानीय स्तर पर इसके कई नाम है जैसे धारा खादर वेट कुछ जल धाराओं वाले क्षेत्र को चाऊस भी कहते हैं प्रमुख द्वार क्षेत्र में बारी bist मालवा का मैदान एवं हरियाणा भिवानी क्षेत्र शामिल है vinayiasacademy.com
- गंगा का मैदान इसमें लगभग 360000 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है इसमें गंगा यमुना के साथ उसकी सहायक नदियों का भी संवर्धित क्षेत्र शामिल होता है जिसे केचमेंट एरिया कहते हैं इसकी औसत चौड़ाई 300 किलोमीटर उत्तर से दक्षिण है जबकि 14 किलोमीटर लंबा है इसके उत्तर पश्चिम से लेकर दक्षिण पूरब के बीच 15 सेंटीमीटर प्रति किलोमीटर हाल है इस क्षेत्र में भारत लड़ाई बांगर खादर सारी चीजें देखी जाती है यहां डैडलैंड टोपोग्राफी बनता है तालस का क्षेत्र है यही कारण है कि गंगा के मैदान को ऊपरी गंगा का मैदान मध्य गंगा का मैदान और निचले गंगा का मैदान में बांट दिया जाता है
- ब्रह्मपुत्र मैदान- इस का कुल क्षेत्रफल लगभग 57000 वर्ग किलोमीटर का है यह 700 किलोमीटर से लेकर लगभग 90 किलोमीटर तक चौड़ा है ब्रह्मपुत्र नदी इस क्षेत्र का निर्माण करती है असम की घाटी जिसमें लंबे बाल है और एक और सामान्य ढाल है, इसमें मजुली नदी द्वीप एवं (मराजो नदी के द्वीप ) जो अमेजन नदी के द्वारा बनाई गई है वह ऐसा ही दिखता है#vinayiasacademy.com
