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भारतीय प्रायद्वीप के भू आकृति और उत्पत्ति को बताएं( ओरिजिन एंड ज्योग्राफी ऑफ द पेनिनसुला इंडिया)#vinayiasacademy.com# ऐसा माना जाता है कि भारतीय प्रायद्वीप की चट्टाने लगभग 36 सौ लाख साल पुरानी है तथा मूल रूप से यह गोंडवाना भूखंड का ही भाग है, भू वैज्ञानिकों के अनुसार कार्बोनिफरस एज तक यह गोंडवाना लैंड के ही साथ था भूवैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि उस समय गोंडवाना भूमि के अंतर्गत भारतीय प्रायद्वीप का यह भाग इतना ऊंचा था कि समुद्र में भी यह नहीं डूबा और यह स्थिति था किसी भी प्रकार के पर्वत बनने की प्रक्रिया से अलग हो चुका था इसलिए जब कभी भी यहां पर दबाव हुआ यहां की चट्टाने टूटने लगी यहां पर भ्रंश घाटी का निर्माण हुआ धारवाड़ और गोंडवाना जैसी कई घाटी नर्मदा नदी ताप्ती नदी एवं सोन नदी में दिखाई देती है
जैसा कि हम जानते हैं कार्बोनिफरस काल में भारत में अधिकांश कोयले का जमाव हुआ है खासकर यह कोयला दामोदर महानदी एवं गोदावरी के बेसिन में पाया जाता है क्रीटेशस काल में जब ज्वालामुखी उद्गार हो रहे थे दक्षिण भारत में deccan नाम का ज्वालामुखी से लावा निकलकर बहुत बड़े भूभाग को अधिग्रहित कर लिया लगभग 146 लाख साल पहले इस क्षेत्र का मैग्मा जो पृथ्वी के ऊपरी सतह से 40 किलोमीटर अंदर तक फैला हुआ है इसने मालवा के पठार सतपुड़ा की पहाड़ियां दकेन लावा क्षेत्र गुजरात का क्षेत्र में फैल गया#vinayiasacademy.com


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