बेरुत में हुए अमोनियम नाइट्रेट विस्फोट का क्या कारण है?
भारत को इस हादसे से क्या सबक लेनी चाहिए?
हाल ही में लेबनान की राजधानी बेरुत के पोर्ट इलाके में विस्फोट हुआ जिसमें डेढ़ सौ से अधिक लोग मारे गए एवं 5000 से भी अधिक अधिक लोग जख्मी हुए इस हमले में सुपर सोनिक और मशरूम के आकार का एक शॉकवेव उठा जिससे जो पूरे शहर में फैल गया । वैज्ञानिकों के अनुसार यह धमाका 3.3 तीव्रता के भूकंप जैसा था जिसका असर विरुद्ध के 200 किलोमीटर दूर तक महसूस किया गया है। यह हादसा खतरनाक अमोनियम नाइट्रेट के कारण हुआ है जो विश्व के औद्योगिक सुरक्षा को लेकर बड़े सवाल खड़े करता है – बता दें कि लेबनान की कि लेबनान की में हुए हमले में सरकार के मुताबिक 2,750 टन अमोनिया नाइट्रेट गोदाम में रखा गया था जिसका उपयोग उर्वरक बनाने तथा विस्फोटक बनाने में किया जाता है ।
बता दें कि मीडिया के अनुसार 2014 में पकड़े गए रूसी जहाज ने इस अमोनियम नाइट्रेट को बंदरगाह के गोदाम में रखा था परंतु अदालत की अनुमति नहीं मिलने के कारण इस से हटाया नहीं जा सका एवं इसकी मात्रा अधिक होने के कारण यह तबाही हुआ ।
वहां बिल्डिंग कार्य होने की वजह से वेयरहाउस में आग फैल गया जिससे यह व्यापक विस्फोट हुआ । इस विस्फोट के कारण 160 के कारण 160 एकड़ के क्षेत्र में सब कुछ नष्ट हो चुका है इससे कई जहाजों को भी नुकसान पहुंचा है इसके साथ ही साथ वाणिज्यिक बंदरगाह क्षेत्र के बाहर भी कई इमारत क्षतिग्रस्त हो गई है ।

यह हादसा सबसे शक्तिशाली औद्योगिक विस्फोट के तौर पर दर्ज हो सकता है बता दें कि अमोनियम नाइट्रेट के हमले कई अन्य देश में भी ऐसे धमाके पहले हो चुके हैं – जिसमें चीन के तियान जिन स्थित सीपोर्ट पर 2015 में भी ऐसा ऐसा अमोनियम नाइट्रेट हादसा हुआ था जिसमें 800 से भी अधिक लोग घायल हुए थे एवं 173 लोगों की मौत हो गई थी । इसके अलावा अमेरिका ,मेक्सिको ,उत्तर कोरिया ,फ्रांस ,ऑस्ट्रेलिया स्पेन आदि शहरों में भी अमोनियम नाइट्रेट से हादसा हो चुका है ।
लेबनान के राष्ट्रपति मिशेल आउन का कहना है कि हादसे के पीछे के कारणों का पता नहीं चल पाया है। उन्होंने कहा कि जांच तीन स्तरों पर शुरू की गई है- जिसमें पहला विस्फोटक पदार्थ को कैसे संग्रहित किया गया ,दूसरा क्या हादसा लापरवाही या दुर्घटना के कारण हुआ है तथा तीसरा क्या किसी बाहरी इसमें भूमिका है ?
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने हादसे की स्वतंत्र जांच की मांग उठाई है एवं कहा कि विश्व सामाजिक आर्थिक संकट, कोविड-19 और अमोनियम नाइट्रेट विस्फोट के कारण तीन स्तरों पर त्रासदी का सामना कर रहा है ।
इसमें के बाद भारत को औद्योगिक सुरक्षा के लिए सबक लेनी चाहिए बता दे कि 1984 में हुए भोपाल त्रासदी के बाद कई कई औद्योगिक सुरक्षा के लिए कई नीतिगत सुधार किए गए थे ।भारत में भी औद्योगिक की दुर्घटनाएं जैसे जैसे विशैले गैस का रिसाव,आग व विस्फोट, बॉयलर फटना ,ऊंचाई से गिरना आदि जैसी घटनाएं होती रहती हैं।
देशव्यापी लॉकडाउन के बाद कई औद्योगिक संयंत्र बंद हो गए थे जिसके बाद में खोला गया में खोला गया खोला गया जिससे कई जगह विस्फोट की घटनाएं हुए हैं । ऐसी छोटी बड़ी घटनाएं होती रहती है एवं इन दुर्घटनाओं में शिकार हुए गैर असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को मुआवजा नहीं मिल पाता है। इसमें और सुधार की जरूरत है। हालांकि इसके संदर्भ में भारत में कई कानून बनाए गए हैं बावजूद इसके कि दुर्घटनाओं के शिकार मजदूरों, श्रमिको को मुआवजा नही मिल पाता। हांलाकि मेक इन इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत औद्योगिक इकाइयों की स्थापना से रोजगार रोजगार से रोजगार रोजगार की स्थिति में सुधार हो सकेगा। आपदा से निपटने के लिए आपात योजना बनाई जानी चाहिए जिससे स्वतंत्र होनी चाहिए, जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान ना पहुंचे। भारत में बनाई गई सभी नीति का पालन होना चाहिए जिससे औद्योगिक सुरक्षा में बढ़ोतरी हो।