Eco-Hindi – Vinay IAS Academy https://vinayiasacademy.com Rashtra Ka Viswas Thu, 06 Aug 2020 06:53:44 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=5.3.4 स्वर्ण जयंती स्वरोजगार योजना https://vinayiasacademy.com/?p=2894 https://vinayiasacademy.com/?p=2894#respond Thu, 06 Aug 2020 06:53:36 +0000 https://vinayiasacademy.com/?p=2894 Share it1. स्वर्ण जयंती स्वरोजगार योजना से क्या समझते हैं? 2. झारखंड में भूमि और पर्यावरण से संबंधित मुद्दे की चर्चा करें। स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना गरीबों को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए एक समन्वित कार्यक्रम के रूप में शुरू की गई। इस योजना को शुरू करने का उद्देश्य गरीबी रेखा से […]

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1. स्वर्ण जयंती स्वरोजगार योजना से क्या समझते हैं?
2. झारखंड में भूमि और पर्यावरण से संबंधित मुद्दे की चर्चा करें।

स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना गरीबों को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए एक समन्वित कार्यक्रम के रूप में शुरू की गई। इस योजना को शुरू करने का उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे लोगों को रोजगार देना तथा उनको सक्षम और समृद्ध बनाना है। सरकार का उद्देश्य है कि गरीबी रेखा से नीचे आने वाले लोगों को अच्छा प्रशिक्षण दिया जाएगा । आमदनी बढ़ाने के तरीके बताए जाएंगे ताकि यह लोग अपने आप को मजबूत बना सके और आमदनी बढ़ा कर अपने जीवन यापन को सुधार सकें। ग्राम स्वरोजगार योजना शुरू करने का सरकार का यही उद्देश्य है कि ग्रामीण और गरीब इलाकों की उन्नति की जाए। गरीबों को पोषण युक्त आहार दिया जाए। ग्रामीण इलाकों में भूमि तथा खेतों की किस्मों पर ध्यान दिए जाने के बारे में भी बताया जाता है। इस योजना के तहत 30% की दर से सब्सिडी दी जाती है और ज्यादा से ज्यादा ₹75 का प्रावधान है। अनुसूचित जातियों और विकलांगों के लिए इसकी सीमा 50% रखी गई है। इस योजना के तहत महिलाओं को विशेष प्रावधान है। अकेली महिलाओं को 40% की सब्सिडी दी जाती है।

झारखंड में परिस्थितिकी एवं पर्यावरण का अधिक महत्व है। क्योंकि कुल भौगोलिक क्षेत्र में जनसंख्या का 2.69 करोड़ भार है। कुल वन क्षेत्र 28.4% है। क्षेत्र की पारिस्थितिकी संतुलन के लिए इसे 33% होना अति आवश्यक है। इसके अतिरिक्त यहां खनिज संपदा की प्रचुर मात्रा होने के कारण उत्खनन का भार भी बहुत अधिक है। छोटानागपुर मुख्य रूप से औद्योगिक क्षेत्र है इन सब कारणों से यहां की प्रमुख नदियों का जल प्रदूषित हो रहा है। जिसे झारखंड के कुछ भाग काफी प्रभावित हो रहे हैं। इंसाफ आपदाओं से प्राकृतिक संसाधनों को बचाने तथा बढ़ाने में पारिस्थितिकी और पर्यावरण के ज्ञान का प्रसार जरूरी है इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए विभाग ने का कार्य किए हैं।। आने वाले समय में झारखंड को इस प्राकृतिक स्वरूप को बचाने तथा सामान्य में हम सभी को योगदान करना होगा। इसके लिए पारिस्थितिकी का ध्यान रखें तथा जंगल के शुद्ध वातावरण प्रदूषित जल तथा वायु को कायम रखते हुए उन्नत कृषि तथा सुखी जीवन व्यतीत करने में हमें योगदान देना चाहिए। इसके लिए दिए गए सुझावः

  1. सभी परती भूमि पर वृक्षारोपण करें, 2.अपनी आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर वृक्षों की प्रजातियों का चुनाव करें, 3.भू एवं जल संरक्षण की समस्याओं से निपटने हेतु विशेषज्ञों से सलाह लेकर वृक्षारोपण करें,। 4.गत 100 वर्ष से मनुष्य की जनसंख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है इसके कारण अन्य जल घर बिजली सड़क वाहन और अन्य वस्तुओं की मांग में भी वृद्धि हुई है। 5.परिणाम स्वरूप हमारे प्राकृतिक संसाधनों पर काफी दबाव पड़ रहा है और वायु जल तथा भूमि प्रदूषण लगातार बढ़ता चला जा रहा है हमारी आज भी आवश्यकता है कि विकास की प्रक्रिया को बिना रोके अपने महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों को खराब होने और इनके अपक्षय को रोके। 6.पर्यावरण प्रदूषण और महत्वपूर्ण संसाधनों से संबंध मुख्य समस्याएं स्थानीय और क्षेत्रीय स्तर से लेकर विश्व स्तर पर अलग-अलग है। 7.वायु प्रदूषण मुख्य रूप से उद्योगों तथा स्वचालित वाहनों में जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला तथा पेट्रोलियम के जलने से होता है। यह मनुष्य जानवरों तथा पौधों के लिए हानिकारक होता है । आसपास के वायु को स्वच्छ रखने के लिए इनको हटाना जरूरी है। 8.वैश्विक प्रकृति की दो मुख्य पर्यावरणीय समस्या है ग्रीन हाउस के बढ़ते हुए प्रभाव जिसके कारण पृथ्वी पर गर्मी बढ़ रही है और समताप मंडल में ओजोन का अवक्षय हो रहा है।

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झारखंड में गरीबी और बेरोजगारी, कार्यक्रम और योजनाऐ व खाद्य सुरक्षा और पोषण अर्थात स्वास्थ्य सूचकांक https://vinayiasacademy.com/?p=2892 https://vinayiasacademy.com/?p=2892#respond Thu, 06 Aug 2020 06:44:10 +0000 https://vinayiasacademy.com/?p=2892 Share it 1. झारखंड में गरीबी और बेरोजगारी की क्या स्थिति है? 2.झारखंड में ग्रामीणों के विकास के लिए बनाए गए प्रमुख कार्यक्रम और योजनाओं का विवरण दें। 3.झारखंड के गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम पी यू आर ए से आप क्या समझते हैंं? 4.मनरेगा तथा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से क्या समझते हैं? 5.झारखंड में खाद्य […]

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1. झारखंड में गरीबी और बेरोजगारी की क्या स्थिति है?
2.झारखंड में ग्रामीणों के विकास के लिए बनाए गए प्रमुख कार्यक्रम और योजनाओं का विवरण दें।
3.झारखंड के गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम पी यू आर ए से आप क्या समझते हैंं?
4.मनरेगा तथा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से क्या समझते हैं?
5.झारखंड में खाद्य सुरक्षा और पोषण अर्थात स्वास्थ्य सूचकांक से आप क्या समझते हैंं?

झारखंड में ग्रामीण क्षेत्रों के बजाय शहरी क्षेत्रों में भी बेरोजगारी दर अधिक है। राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी की दर 6.। प्रतिशत है, लेकिन झारखंड में यह दर 7.7 प्रतिशत है। झारखंड के आर्थिक सर्वेक्षण 2019 से 2020 के अनुसार झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 7.1% है। राष्ट्रीय स्तर पर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर क्रमश 5.3% और 7.8% है। झारखंड में पुरुषों एवं महिलाओं की कुल बेरोजगारी दर क्रमश 8.2% और 5.2% है।। सामान्य स्थिति में कुल रोजगार के विरुद्ध झारखंड में कार्यरत श्रमिकों में 61.3% स्वरोजगार के क्षेत्र में है। वहीं 23.6% अनियमित श्रमिक है और 15.1% ही नियमित वेतन पर कार्यरत हैं। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार जुलाई 2019 में ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इन सिटी और यूनाइटेड नेशनल डेवलपमेंट प्रोग्राम, यूएनडीपी द्वारा प्रकाशित वैश्विक बहुआयामी गरीबी इंडेक्स 2019 के अनुसार झारखंड के लगभग 45.6%(1.62 करोड )लोग 2015 से 2016 में नीचे जीवन बसर कर रहे हैं। वर्ष 2019 से 2020 में प्रति व्यक्ति आय वर्तमान मूल्य पर ₹83592 तथा स्थिर मूल्य पर ₹60339 अनुमान लगाया गया है। जबकि वर्ष 2014 से 2015 में उचित मूल्य पर झारखंड की प्रति व्यक्ति आय ₹47781 थी। 2016 से 2017 में इसमें ₹45 की वृद्धि हुई तथा 2018 से 2019 में इसमें 4% वृद्धि हुई। आने वाले समय में इसमें 6% की वृद्धि होने का अनुमान है।

झारखंड सरकार द्वारा ग्रामीण शहरों के विकास के लिए बनाए गएविभिन्न योजनाएंः
मुख्यमंत्री लक्ष्मी लाडली योजनाः बेटियों के बारे में समाज में पाई जाने वाली नकारात्मक सोच और लड़कों के मुकाबले उनकी कम होती संख्या बालिका शिक्षा की कमजोर स्थिति तथा बेटियों की जल्दी ब्याह कर देने की प्रवृत्ति जैसी समस्याओं का निराकरण आदि को देखते हुए लक्ष्मी लाडली योजना राज्य में 15 नवंबर 2011 से चालू कर दिया गया। इस योजना के आधार पर बालिका के कक्षा 6 में प्रवेश करने पर ₹2000 का एकमुश्त भुगतान बालिका को होगा, कक्षा 9 में प्रवेश करने पर ₹4000 का भुगतान होगा, 11वीं में प्रवेश करने पर ₹75000 का भुगतान होगा। बालिका की आयु 21 वर्ष होने 12वीं की परीक्षा में सम्मिलित हो जाने पर लगभग ₹108000 का एकमुश्त भुगतान बालिका को दिया जाएगा।
स्वामी विवेकानंद निशक्त स्वालंबन प्रोत्साहन योजनाः इस योजना का लाभ उठाने के लिए निवासियों में यह मूल्य योग्यता होनी चाहिएः व झारखंड का निवासी होना चाहिए, वह केंद्र तथा राज्य सरकार की योजना के अंतर्गत पेंशन प्राप्त नहीं कर रहा हो, जिला चिकित्सा पार्षद द्वारा उसे निशक्त प्रमाण पत्र निर्गत किया हो।
विकलांग कार्यशाला योजनाः इस योजना विकलांग व्यक्तियों को जीवन यापन शैली से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाता है। इस योजना के अंतर्गत सभी विकलांग व्यक्तियों को उनके बेहतर जीवन यापन हेतु आवश्यक यंत्र एवं उपकरण उपलब्ध कराया जाता है।
अंतरजातीय विवाह योजनाः इस योजना के अंतर्गत विवाह करने वाले वर्ग एवं वधु को ₹25000 अनुदान स्वरूप राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र के माध्यम से दी जाती है।
अति कुपोषित बच्चों के लिए कुपोषण उपचार केंद्रः कुपोषण उपचार केंद्र में गांव के वैसे बच्चे जो अति कुपोषित है पुरस्कार उनका उपचार किया जाता है एवं उनके स्वस्थ होने पर उन्हें वहां से भेज दिया जाता है।
महिलाओं के दक्षता एवं उद्यमिता विकास हेतु प्रशिक्षणः इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण महिलाओं को उनके जीवन स्तर को सुधारने के लिए विभिन्न प्रकार के व्यवसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे प्रशिक्षण प्राप्त का व्यवसाय के माध्यम से धन उपार्जन कर सके और अपने परिवार के बेहतर जीवन यापन हेतु वित्तीय आधार दे सके।
राजीव गांधी योजनाः इस योजना के अंतर्गत किशोरी बालिकाओं को सशक्तिकरण हेतु प्रतिदिन पोषाहार स्वास्थ शिक्षा उपलब्ध कराया जाता है एवं विभिन्न प्रकार के दैनिक जीवन उपयोगी प्रशिक्षण दिए जाते हैं।
मुख्यमंत्री कन्यादान योजनाः इस योजना का लाभ गरीबी रेखा से नीचे बसर करने वाले परिवार को दिया जाता है। इस्लाम को अर्जित करने वाले लोग के चयन में इस बात का विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है की कन्या की आयु 18 वर्ष से अधिक हो तथा वह पूर्व से विवाहित ना हो।
सिद्धू कानू आवास योजनाः इस योजना के तहत प्रति आवास पर ₹45000 की मानक दर पर राशि उपलब्ध कराई जाती है तथा लाभार्थियों के द्वारा आवास निर्माण स्वयं कराया जाता है जिला स्तर पर इस योजना का क्रियान्वयन जिला ग्रामीण विकास अभिकरण तथा प्रखंड स्तर पर प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा लाभार्थियों के माध्यम से कराया जाता है।

सरकार द्वारा बनाई गई सामाजिक सुरक्षा संबंधी योजनाएंः


इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धा पेंशन योजनाः राष्ट्र वृद्धापेंशन योजना 15 अगस्त 1995 से केंद्र सरकार द्वारा प्रारंभ किया गया। इस योजना के अंतर्गत राज्य के सभी जिलों का लक्ष्य बीपीएल परिवारों की संख्या के आधार पर निर्धारित किया गया एवं तत्काल केंद्रास ₹75 एवं राज्य ₹25 कुल 100 रुपए प्रतिमाह की दर से प्रति पेंशन धारी को पेंशन भुगतान किया जाता रहा है। 1998 में पेंशन राशि ₹200 की दर से केंद्र सरकार द्वारा पेंशन भुगतान राज्य सरकार के माध्यम से किया जाता था। 19 नवंबर 2007 से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना लागू किया गया। इस योजना के अंतर्गत वर्ष 2002 के सर्वेक्षण बीपीएल परिवार के 65 वर्ष एवं अधिक आयु के सभी वृद्धों को केंद्राश ₹200 एवं राज्य ₹200 कुल ₹400 की दर से मासिक पेंशन भुगतान पेंशन धारियों के बैंक खाता कैसे किया जाता है।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजनाः इस योजना के अंतर्गत 2002 में सर्वोच्च बीपीएल परिवार के ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के असहाय विधवा जिनकी आयु 40 वर्ष से 64 वर्ष के बीच है। प्रत्येक को ₹400 मासिक पेंशन राशि भुगतान करने का प्रावधान है। केंद्र प्रायोजित योजना अंतर्गत योग्य लाभुकों का चयन अंचल कार्यालय द्वारा किया जा रहा है।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विकलांग पेंशन योजनाः यह योजना केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजना है। योजना के अंतर्गत वर्ष 2002 में सर्वोच्च बीपीएल परिवार क्षेत्र के अत्यंत विकलांग जिनका आयु 18 वर्ष 64 वर्ष के अंतर्गत है उन्हें ₹400 मासिक पेंशन बैंक खातों के माध्यम से भुगतान किया जाता है।
आम आदमी बीमा योजनाः अमीन भूमिहीन मजदूर जिनकी आयु 18 वर्ष से अधिक उम्र 60 वर्ष से कम है तथाआ वास की जमीन रहित 50 डेसीबल से अधिक जमीन नहीं हो परिवार के अर्जुन करता मुखिया का सरकार द्वारा मुफ्त बीमा किया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय प्रवासी मजदूर कल्याण कार्यक्रमः अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी अधिनियम 1979 एवं झारखंड राज्य प्रवासी मजदूर अधिनियम 2005 के प्रावधान के आलोक में 5 से अधिक मजदूरों को किसी नियोजक या ठेकेदार द्वारा राज्य के बाहर नियोजन हेतु ले जाने राज्य के बाहर के 5 या 5 से अधिक मजदूरों को राज्य में नियोजित करने के लिए जिला के उपायुक्त से लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य होता है। ताकि नियोजक द्वारा मजदूरों का शोषण नहीं हो एवं उचित मजदूरी भुगतान हो।

झारखंड प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनाः झारखंड में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाई गई सड़कों की गुणवत्ता देश में सबसे खराब है। ग्रामीण विकास के कार्यकर्ताओं द्वारा इस बात पर उजागर किया गया है। इस योजना की गुणवत्ता के मानकों की अनदेखी की जा रही है यहां पर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के माध्यम से बनाई गई सड़कों मैं 12% सड़कों की स्थिति खराब है। सड़कों के निर्माण के दौरान कहीं ग्रेड वन टू का बेस नहीं है तो कहीं मोरम पर ही बीच बिछा दिया गया है। मनरेगा से आप क्या समझते हैं भारत मिलाप एक रोजगार का योजना 5 को विभाग द्वारा अधिनियमित किया गया खंड में मनरेगा से आप क्या समझते हैं
नरेगा को लागू करने में झारखंड नंबर वन राज्य बन चुका है। यह उपलब्धि विलंब से मजदूरी भुगतान का प्रतिशत देश में सबसे कम रहने डोभा निर्माण जैसी अभिनव योजना का संचालन तथा योजना बनाओ अभियान जैसी गतिविधियों के लिए हासिल हुई है। इससे प्रभावित ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राज्य को 50 अन्य प्रखंड में क्लस्टर फैसिलिटेशन टीम विकसित करने का तोहफा भी दिया है। 2013 से 2014 तक झारखंड में मनरेगा की स्थिति काफी दयनीय थी इन बीते सालों तथा चालू वित्तीय वर्ष के इन 2 महीनों में मनरेगा के क्षेत्र में झारखंड में बड़ी उपलब्धि हासिल की है बीते साल जहां मनरेगा के तहत झारखंड में 5 दशमलव 86 करोड दिनों तक लोगों को काम मिला वही चालू वित्तीय वर्ष के महज 2 महीने में लगभग ढाई करोड़ दिनो का काम दिया जा चुका है। झारखंड में मनरेगा रोजगार के अवसर में पिछले 3 वर्षों में क्रमशः 13 से 2014 में 436. 22 लाख मानव दिवस से 2016 से 2017 में 707. 59 लाख मानव दिवस तक बढ़ोतरी हुई है लेकिन सृजित रोजगार ग्रामीण परिवारों की काम की आवश्यकता की तुलना में अभी काम है। 2011 के सामाजिक आर्थिक जातीय जनगणना के अनुसार राज्य के 50% से भी अधिक ग्रामीण परिवार अकुशल मजदूरी पर निर्भर है। लेकिन 2016 से 17 में केवल 32% परिवार को ही मनरेगा में काम मिल पाया। मनरेगा के अंतर्गत मजदूरों को रोजगार मांगने के 15 दिनों के अंदर काम मिलने का प्रावधान है लेकिन प्रशासनिक कर्मियों से काम के आवेदन की तारीख के अनुसार राशि देना और मांग परियोजनाओं को शुरू करवाना राज्य के मजदूरों के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है। अधूरी भुगतान में देरी व्यापक पैमाने पर हो रही है लेकिन हाल ही में सरकार ने यह दावा किया कि 2017 से 2018 में 94% मजदूरों को समय पर मजदूरी मिली है। यह आंकड़ा मनरेगा के मैनेजमेंट ऑफ इंफॉर्मेशन सिस्टम पर आधारित है जिसके अनुसार वेतन भुगतान को फंड ट्रांसफर के हाजिरी के 15 दिनों के अंदर अपूर्व हो जाने की स्थिति में समय पर हुआ भुगतान मान लिया जाता है।

झारखंड स्वास्थ्य सुधारों में सिर्फ तीन राज्यों में शामिल हो चुका है। नीति आयोग द्वारा जारी हेल्थ स्टेटस प्रोग्रेसिव इन इंडिया रिपोर्ट के अनुसार झारखंड स्वास्थ्य सुधारों में वार्षिक इंक्रीमेंटल परफॉर्मेंस के आधार पर तीसरे स्थान पर रहा है। नीति आयोग ने सबसे अधिक स्वास्थ्य सुधारों में जिन पांच राज्यों को शामिल किया है उसमें झारखंड भी है। ठंड ने 10 वर्ष सूचकांकों में काफी अधिक सुधार दिखाया है। इसके सफलतापूर्वक इलाज में झारखंड सभी राज्यों में अव्वल है यहां इसकी दर 90% से 91% तक बढ़ चुकी है। झारखंड के स्वास्थ सूचकांकों में हुए सुधार का आंकड़ाः

2015-16 2017-18

नवजात मृत्यु दर। 23 21
5 वर्षों के बच्चों की 33 39
मृत्यु दर।
टोटल फर्टिलिटी रेट। 2.6 2.7
कम वजन के शिशु
का जन्म। 7.1 7.4
लिंग अनुपात। 918 902
पूर्ण टीकाकरण। 88.1 100


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झारखंड की अर्थव्यवस्था की आर्थिक समृद्धि और संरचना https://vinayiasacademy.com/?p=2889 https://vinayiasacademy.com/?p=2889#respond Thu, 06 Aug 2020 06:14:25 +0000 https://vinayiasacademy.com/?p=2889 Share it1.झारखंड की अर्थव्यवस्था की आर्थिक समृद्धि और संरचना का वर्णन करें । 2.झारखंड के क्षेत्रीय संरचना का वर्णन करें। 3.झारखंड के पिछले दशक के एसडीपी तथा प्रति व्यक्ति जीडीपी के बारे में व्याख्या करेें। 4.झारखंड के कृषि वृद्धि का वर्णन करें। 5.झारखंड के औद्योगिक वृद्धि से आप क्या समझते हैं? 6.झारखंड की जनसंख्यकी विशेषता […]

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1.झारखंड की अर्थव्यवस्था की आर्थिक समृद्धि और संरचना का वर्णन करें ।
2.झारखंड के क्षेत्रीय संरचना का वर्णन करें।
3.झारखंड के पिछले दशक के एसडीपी तथा प्रति व्यक्ति जीडीपी के बारे में व्याख्या करेें।
4.झारखंड के कृषि वृद्धि का वर्णन करें।
5.झारखंड के औद्योगिक वृद्धि से आप क्या समझते हैं?
6.झारखंड की जनसंख्यकी विशेषता क्या हैै?
7.जनसंख्या वृद्धि से आप क्या समझते हैंै?
8.लिंगानुपात के बारे में अपनी राय दें।
9.झारखंड के साक्षरता के बारे में चर्चा करें।

झारखंड भारत का एक राज्य है जिस की राजधानी रांची है। झारखंड की सीमाएं उत्तर में बिहार, पश्चिम में उत्तर प्रदेश छत्तीसगढ़, दक्षिण में उड़ीसा और पूर्व में पश्चिम बंगाल को छूती है। लगभग सारा प्रदेश छोटा नागपुर के पठार पर अवस्थित है। बिहार के दक्षिणी हिस्से को विभाजित कर झारखंड प्रदेश का सृजन किया गया था। कृषि और कृषि संबंधित गतिविधियां झारखंड की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। कृषि योग्य भूमि का क्षेत्रफल केवल 3800000 हेक्टेयर है। झारखंड राज्य के 79714 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में से 18423 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में वन है। दामोदर, मयूराक्षी, बराकर, उत्तरी कोयल, दक्षिणी कोयेल, संख, स्वर्णरेखा, खरकाई और अजय की प्रमुख नदियां हैं और झारखंड के जल का प्रमुख स्रोत है। राज्य में कुल बुवाई का क्षेत्र 1.57 लाख हेक्टेयर है जिसमें से 8% क्षेत्र में ही सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो पाती है| झारखंड में स्थापितविद्युत क्षमता 2590 मेगा वाट है। जिस के स्रोत हैं 420 मेगा वाट( तेनुघाट ताप बिजलीघर) से, 840 मेगा वाट( पतरातू ताप पन बिजली घर) से,130 मेगा वाट( सिकिदिरी बिजली परियोजना) और 1200 मेगा वाट( दामोदर घाटी निगम परियोजना) से। ताप और पनबिजली पर आधारित विभिन्न बिजली घरों की क्षमता 4736 मेगा वाट है जिसमें 686 पनबिजली उत्पादन शामिल है। झारखंड में कुछ उद्योग और खनिज भंडार भी हैं जैसेः सार्वजनिक क्षेत्र का बोकारो स्टील प्लांट, जमशेदपुर में निजी क्षेत्र की टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी( टिस्को), टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी( टेल्को), टिमकें इंडिया लिमिटेड( जमशेदपुर), भारत कुकिंग लिमिटेड( धनबाद), खिलाड़ी सीमेंट फैक्ट्री( पलामू), इंडियन एलुमिनियम( मुरी), ए पीसी सीमेंट( चाईबासा), सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड( रांची), उषा मार्टिन यूरेनियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (जादूगोड़ा), हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड( मुसाबनी), टिनप्लेट ऑफ इंडिया लिमिटेड( जमशेदपुर), इंडियन एक्सप्लोसिव लिमिटेड( गोमिया), हिंडालको बॉक्साइट( लोहरदगा)। झारखंड राज्य खनिज संसाधनों में देश का समृद्ध तम राज्य है। यहां उपलब्ध खनिज हैः कोयला, कच्चा लोहा, चूना पत्थर, तांबा, बॉक्साइट, चीनी मिट्टी, डोलोमाइट, ग्रेफाइट बेंटोनाइट, साबुन पत्थर और सिलिका बालू। खनिज संपदा से परिपूर्ण राज्यः पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, बोकारो, हजारीबाग, रांची, कोडरमा, धनबाद आदि। यह सभी राज्य में खनिजों के दोहन की अपार क्षमताएं हैं।

झारखंड के राज्य सरकार द्वारा मुख्य 9 क्षेत्रीय जनजातीय भाषाओं के विकास के लिए काफी प्रयास किए गए हैं तथा इसके कई केंद्र बनाए गए हैं जैसे पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद, युवा कार्य विभाग यह केंद्र बनाएगा। हो, मुंडारी, संथाली, खड़िया, नागपुरी, पंचपड़गानिया, कुरमाली खोरठा भाषा के लिए ये केंद्र विभिन्न जिला मुख्यालय और प्रखंड में बनेंगे। झारखंड की जनजातियां और क्षेत्रीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए सरकार द्वारा कोई ठोस पहल नहीं करने के बाद राज्य स्तरीय समिति द्वारा इस कार्य को पूर्ण किया गया।
सीमा के अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों में मुख्य रूप से 9 जन जातियां और क्षेत्रीय भाषाएं प्रचलित है इन सभी को द्वितीय राज भाषा का दर्जा प्राप्त है। पर अब तक किसी भी भाषा के संरक्षण और विकास के लिए ना तो कोई स्थापना केंद्र उपलब्ध है और ना ही इसकी प्रक्रिया चल रही है । झारखंड पूरी तरह सांस्कृतिक विविधताओं से भरा हुआ है। यहां के लोगों द्वारा गायन और नृत्य में संगीत और बजाने के लिए विभिन्न प्रकार के उपकरणों का प्रयोग किया जाता है। झारखंड संगीत और लोक नृत्य के क्षेत्र में संपन्न हैं। नगाड़ा, पशु लकड़ी के हाथ से बने सहजन की कली से खेला जाता है बात यह है कि नगाड़ा की ध्वनि कृष्ण काल में सर्वश्रेष्ठ ठंड के मौसम में वह अपनी आधुनिकता को खो देता है। बेलनाकार मांदर हाथ से बजाया जाता है। झारखंड के जनजातीय समुदायों में अन्य मशहूर नित्य में शामिल है सरहुल जिसमें महुआ फूलों का उपयोग किया जाता है। झारखंड में ऐतिहासिक गुफा चित्रों और चट्टान की कला का प्राचीन समय में संकेत मिलता है इन भागों में संबंधित सभ्यताएं भी पाए गए हैं। झारखंड जाति और जनजाति के समूह में अनूठी परंपरा के लोग हैं। झारखंड के लोगों ने पीढ़ियों से बेहतरीन कारीगरों को बनाया है और कला में उत्कृष्ट कार्य सिद्ध किया है और यह प्राकृतिक संसाधनों का अनूठा देश है।

झारखंड में रहने वाले लोगों की आमदनी बिहार में रहने वाले लोगों की आमदनी से डेढ़ गुनी ज्यादा है। इसका खुलासा 2018 से 2019 के आर्थिक सर्वेक्षण से हुआ है जिसके मुताबिक 2017 से 2018 में झारखंड के लोगों की प्रति व्यक्ति आय ₹63754 सालाना थी। जबकि बिहार के निवासियों की इस अवधि में औसत कमाई ₹38860 थी। प्रति व्यक्ति आय में देश के राज्यों में निचले पायदान पर होने के बावजूद झारखंड की हालत बिहार से बेहतर है। आर्थिक सर्वेक्षण में जिन राज्यों के लिए 2017 से 18 के प्रति व्यक्ति आय का आंकड़ा उपलब्ध हो पाया है उनमें बिहार सबसे नीचे है और झारखंड और बिहार दोनों में 2017 से 2018 की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत ₹114958 से काफी कम है। झारखंड के लोगों की प्रति व्यक्ति आय में 2016 से 2017 की तुलना में 2017 से दो हजार अट्ठारह में लगभग 4000 का इजाफा हुआ है। 2016 से 2017 में झारखंड के लोगों की सालाना आय 59799 रुपए थे जो 2017 से 18 में बढ़कर 63554 हो गए। परंतु आयु वृद्धि की दर में कमी आई है। 2017 से 18 में झारखंड की प्रति व्यक्ति आय वृद्धि दर 6.6 फ़ीसदी थी। झारखंड के सकल घरेलू उत्पाद में 2016 से 17 की तुलना में 2017 से 18 में लगभग 18000 करोड का इजाफा हुआ है। झारखंड का सकल घरेलू उत्पाद 234000 52 करोड़ है। झारखंड की आबादी 2041 में चार करोड़ 40 लाख होने के अनुमान है।
झारखंड का जीडीपीः
2012 से 13ः1004607.43
2013 से 2014:1094088.91
2014 से 15:1187438.53
2015 से 16:1292258.83

सरकार की नीतियों और विकास की उम्मीदों के कारण कारपोरेट घराने झारखंड की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इसका मुख्य प्रमाण मुंबई में संपन्न मेक इन इंडिया सप्ताह के दौरान झारखंड इन्वेस्टर्स समिट में देश के नामी-गिरामी कारपोरेट घरानों द्वारा एक ही दिन में ₹62000 के निवेश प्रस्तावों पर सहमति दिखाना है। प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि राज्य सरकार के सकारात्मक पहलुओं को दर्शाती है। विकास की प्रक्रिया अगले वर्षों में अपना जबरदस्त प्रभाव छोड़ेगी। बजट आवंटन एवं क्रियान्वयन में शासन द्वारा की गई लगातार मॉनिटरिंग से आर्थिक विकास में ऊंची छलांग तय है।

कृषि और कृषि संबंधित गतिविधियां झारखंड की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। कृषि योग्य भूमि का क्षेत्रफल केवल 3800000 हेक्टेयर है। झारखंड राज्य के 79714 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में से 18423 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में वन हैं। कृषि के क्षेत्र में झारखंड सरकार कई महत्वपूर्ण कार्य किसानों के हित में कर रही है। रांची पठारी क्षेत्र होते हुए भी यहां की भूमि कृषि के लिए उपयुक्त है। यहां सिंचाई के रूप में मुख्य रूप से लोग बारिश पर निर्भर होते हैं। निचला क्षेत्र धान की खेती के लिए उपयुक्त स्थितियां प्रदान करता है। झारखंड के किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित करने और उन्हे सरकार प्रत्येक जिले में जैविक प्रमाणन केंद्र खोलेगी। कृषि मंत्री द्वारा लिया गया फैसला झारखंड के खेत में काफी सराहनीय है। झारखंड में कृषि उत्पादकता का मानक 116% है अर्थात राज्य में 100 एकड़ में मात्र 16 हेक्टेयर में ही खेती की जाती रही है। सरकार इसे राष्ट्रीय औसत 37 हेक्टेयर तक ले जाने की कोशिश में लगा। कृषि वैज्ञानिक के अथक परिश्रम एवं किसानों की निरंतर प्रयास से हरित क्रांति का सपना साकार हो गया। झारखंड भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि से काफी योगदान करता है। झारखंड राज्य का 1.8 मिलियन हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है जो कि यहां के भौगोलिक क्षेत्रफल का 22% है। कुल सिंचित क्षेत्रफल 0.16 मिलियन हेक्टेयर है। चावल का सिंचाई क्षेत्रफल 5.6% है। चावल मक्का गेहूं और चना यहां की मुख्य फसलें हैं। यहां की उपज लगभग 126% है। के कारण चावल की खेती ऊंची और उतनी भूमि में लगभग 1.4 मिलियन हेक्टेयर में होती है। केंद्र सरकार के द्वारा पेश किए नई योजना जिससे किसानों को काफी लाभ मिलेगा वह है” अल्पकालीन कृषि ऋण राहत योजना“। इस योजना के तहत सरकार की तरफ से किसानों को दो हजार करोड़ रुपए का बजट दिया गया है। धान की उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए एम किसानों को प्रोत्साहन करने के लिए धान उत्पादन एवं बाजार सुलभता नाम की योजना का भी शुरुआत किया जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार ने 200 करोड़ रुपए का आवंटन जारी किया है। किसानों को कृषि यंत्र सब्सिडी के लिए वित्त वर्ष 2020 से 2021 के लिए ₹500000000 दिए जाने की आवंटन घोषणा की गई है। तथा इनके लिए चल रहे पहले से फसल बीमा योजना में बदलाव किया गया है यह बदलाव खरीफ सीजन 2020 से किया गया है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के स्थान पर अब राज्य में झारखंड राज्य किसान राहत कोष लाया गया है।

औद्योगिक विकास, उद्योगों, और खानों की स्थापना के लिए काफी भूमिका अर्जन झारखंड के द्वारा किया गया। झारखंड राज्य के सृजन के बाद झारखंड औद्योगिक नीति 2001 को उद्योग विभाग के द्वारा कार्यान्वित किया गया। जिस का मुख्य उद्देश्य राज्य की औद्योगिकीकरण के लिए उपलब्ध संसाधनों को सुनियोजित और व्यवस्थित रूप से उपयोग करना था। इसका लक्ष्य प्राकृतिक संसाधनों का मूल्यवर्धन एवं मानव संसाधनों को प्रभावी तरीके से उपयोग कर राज्य के विकास के लिए अतिरिक्त रोजगार तथा संसाधन उपलब्ध करने में सहायता प्रदान करना था। इस नीति के दौरान औद्योगिकीकरण के क्षेत्र में झारखंड का काफी विकास हुआ। निवेशकों के पसंदीदा निवेश स्थल में बदलना और राज्य के औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने में भी काफी सहायता मिली। इसके साथ ही बड़े उद्योगों और एमएसएमई के बीच संबंध काफी अच्छे हो गए। प्रमुख औद्योगिक इलाकों में उद्योगों के विकास के लिए टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएं, इंजीनियरिंग का सामान आदि के विनिर्माण की गतिविधि में भी काफी प्रगति हुई। तथा राज्य में खनिज और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के सर्वोत्कृष्ट उपयोग को सुविधाजनक बनाने में सफलता हासिल हुए। उन्नत उत्पादन के लिए औद्योगिक इकाइयों के तकनीकी उन्नयन और शोध को बढ़ावा दिया। मानव संसाधन विकास कार्यक्रम और अन्य कौशल विकास कार्यक्रम के तहत इंजीनियरिंग कॉलेजों और मेडिकल कॉलेजों तथा प्रबंधन संस्थानों में निजी निवेश को बढ़ावा मिला। झारखंड की ऊर्जा नीति 2011 का मुख्य उद्देश उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं की पूर्ति करना और विश्वसनीय गुणवत्ता युक्त और किफायती दर पर ऊर्जा की उपलब्धता कराना है इसके साथ ही राज्य के सभी गांवों एवं घरों को शीघ्र विद्युतीकरण कर ऊर्जा की आपूर्ति को सुनिश्चित करना है। झारखंड की नई पर्यटन नीति 2015 का मुख्य उद्देश्य राज्य में रोजगार के अवसरों को निर्माण करना तथा राज्य की आय में वृद्धि करके पर्यटकों की संख्या को बढ़ाना है। अर्थव्यवस्था में प्रगति करने के लिए झारखंड निर्यात नीति 2015 का मुख्य उद्देश्य शीघ्र एवं उच्च निर्यात को प्रोत्साहन देना एवं राज्य की भागीदारी को 2021 तक 5% तक लाना है। इसका एक प्रमुख उद्देश्य भी है कि वैश्विक बाजार में झारखंड का स्थान सर्वोपरि हो और निर्यात इकाइयों को नई तकनीकों से लैस किया जाए। इसके साथ ही झारखंड की खाद्य प्रसंस्करण नीति 2015 खाद्य क्षेत्र, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराना, निवेश को प्रोत्साहित करना, तकनीकी सहायता प्रदान करना, अनुदान देना आदि। परंतु झारखंड में अभी तक करोड़ रुपए की निवेश परियोजनाओं के खराब क्रियान्वयन की वजह से उनकी लागत करीब 94400 करोड़ रुपए तक बढ़ गई है यह सरकारी लागत के 47 फ़ीसदी से ज्यादा है। झारखंड में अब तक 200000 करोड रुपए से ज्यादा लागत की 180 परियोजनाएं की शुरुआत अभी तक नहीं हुई है। झारखंड में औद्योगिक विकास काफी हद तक सफल रहा है। झारखंड का रांची एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र है जहां मुख्य रूप से एचईसी, भारतीय इस्पात प्राधिकरण शादी के कारखाने हैं। रांची के साथ-साथ जमशेदपुर और बोकारो झारखंड प्रांत के दो प्रमुख औद्योगिक केंद्र हैं जो झारखंड के अर्थव्यवस्था में 80% भूमिका निभाते हैं।

झारखंड की आबादी लगभग 32. 98 मिलियन है। जो भारत की कुल जनसंख्या का 2 .72% है। यहां का लिंगानुपात 948 स्त्री प्रति हजार पुरुष है। प्रति वर्ग किलोमीटर जनसंख्या का घनत्व लगभग 414 है। झारखंड में कई जातियां और जन जातियां हैं जिसमें 26% अनुसूचित जनजाति , 12% अनुसूचित जाति शामिल है। राज्य की बहुसंख्यक आबादी हिंदू धर्म है दूसरे स्थान पर इस्लाम तथा अन्य धर्म स्थित है।
2011 की जनगणना के अनुसार
कुल जनसंख्याः 3.3 करोड़
पुरुषः 1.69 करोड़

महिला:1.60 करोड़
जनसंख्या वृद्धि: 22. 42%
जनसंख्या घनत्व: 414
भारत की जनसंख्या में अनुपात:2.72%
लिंगानुपात:948
औसत साक्षरता:66.41
पुरुष साक्षरता:76.84
महिला साक्षरता:55.42%
शहरी और ग्रामीण जनसंख्या
शहरी जनसंख्या:24.05%
ग्रामीण जनसंख्या75.95%

झारखंड में साक्षरता की दर काफी हद तक सुधर चुकी है यह तो हम सभी जान चुके हैं कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार झारखंड की कुल आबादी 3.29 करोड़ है। इनमें से1.60 करोड़ महिलाएं साक्षर हैं। जबकि 74. 45 लाख महिलाएं पढ़ी-लिखी नहीं है। कि राज्य में 55. 4 फ़ीसदी महिलाएं साक्षर हैं। राज्य के वैैसे शहर जहां शहरी आबादी अधिक है वहां पुरुष और महिला साक्षरता दर भी अधिक है। राज्य में महिला और पुरुषों की कुल जनसंख्याः 3 2988134 है, इसमें महिलाओं की कुल आबादी 16057819 है, राज्य की कुल साक्षर महिलाएं7445550, वर्ष 2001 में महिला साक्षरता38.9%, वर्ष 2011 में महिला साक्षरता55.4%। शिक्षण संस्थानों की संख्या और पढ़ने लिखने के अवसर सहित सामाजिक सोच सबसे बड़ा कारण है परंतु हमारे लिए यह सबसे बड़ी उपलब्धि है कि 10 वर्ष पहले की जनगणना के अनुसार अभी महिलाओं की साक्षरता प्रतिशत में वृद्धि हुई है। झारखंड के राज्य का ऐसा कोई जिला नहीं है जहां साक्षरता दर 40 फ़ीसदी से कम हो


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