Bio Technology – Vinay IAS Academy https://vinayiasacademy.com Rashtra Ka Viswas Thu, 26 Mar 2020 15:27:12 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=5.3.4 विषाणु (Virus) https://vinayiasacademy.com/?p=698 https://vinayiasacademy.com/?p=698#respond Thu, 26 Mar 2020 15:27:09 +0000 http://vinayiasacademy.com/?p=698 Share it विषाणु एक अतिसूक्ष्म संक्रामक सामग्री है जो केवल एक जीव के जीवित कोशिकाओं के अंदर अपनी प्रतिकृति तैयार करता है वायरस वास्तव में एक अनुवांशिक सामग्री है जो जानवरों और पौधों से लेकर सूक्ष्मजीवों बैक्टीरिया और आर्किया सहित सभी प्रकार के जीवन रूपों को संक्रमित कर सकता है वायरस नाभिकीय अम्ल और प्रोटीन […]

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  • विषाणु एक अतिसूक्ष्म संक्रामक सामग्री है जो केवल एक जीव के जीवित कोशिकाओं के अंदर अपनी प्रतिकृति तैयार करता है
  • वायरस वास्तव में एक अनुवांशिक सामग्री है जो जानवरों और पौधों से लेकर सूक्ष्मजीवों बैक्टीरिया और आर्किया सहित सभी प्रकार के जीवन रूपों को संक्रमित कर सकता है
  • वायरस नाभिकीय अम्ल और प्रोटीन से मिलकर बने होते है
  • ये शरीर के बाहर तो ये मृत-समान होते हैं परंतु शरीर के अंदर प्रवेश करते ही सक्रिय हो जाते है
  • वायरस का शाब्दिक अर्थ विष होता है और सर्वप्रथम यह नाम डच के सूक्ष्मजीव विज्ञानी और वनस्पतिशास्त्री मार्टिनस विल्म बेजेरिनक ने 1898 में दिया था
  • हालांकि 1892 में एक रूसी वनस्पतिविज्ञानी दिमित्री इओसिफ़ोविच इवानोव्स्की ने पूरी दुनियां को बताया था कि तम्बाकू की पत्तियों पर एक संक्रमित बैक्टीरिया पाया जाता है
  • दिमित्री ने चैंबरलैंड-पाश्चर फ़िल्टर के माध्यम से छानने के बाद पाया कि यह संक्रमण सामग्री बहुत सूक्ष्म है और इसे चैंबरलैंड-पाश्चर फ़िल्टर के माध्यम से पृथक नही किया जा सकता लेकिन इवानोव्स्की विश्व को शायद अपनी खोज का पूरा अर्थ समझ नहीं पाए लेकिन तम्बाकू मोज़ेक वायरस पर की गई उनकी खोजें वायरोलोजी इतिहास में मील का पत्थर है
  • 1886 में एक जर्मन वैज्ञानिक एडोल्फ मेयर ने प्रदर्शित किया कि तंबाकू के पौधों की एक बीमारी एक रोगग्रस्त पौधे से तरल संयंत्र के अर्क के माध्यम से एक स्वस्थ पौधों में स्थानांतरित कि जा सकता है यह संक्रमण तरल द्रव के माध्यम से एक पौधे से दूसरे पौधे में भी हो सकती है इस खोज से यह पता चला कि संक्रामक सामग्री बस बहुत छोटे बैक्टीरिया नहीं है बल्कि एक नए प्रकार के छोटे बीमारी पैदा करने वाले सामग्री है
  • इन तीनों वैज्ञानिकों के शोध से वर्षो पूर्व एक अंग्रेज चकित्सक एडवर्ड जेनर ने चेचक के टीके का विकास कर लिया था एडवर्ड जेनर के इस महान खोज को कभी भुलाया नहीं जा सकता और पूरा विश्व सर्वदा उनका ऋणी है
  • वायरस को उसके आकार, रासायनिक संरचना, जीनोम संरचना (एक वायरस के जीनोम में DNA या RNA शामिल हो सकते है) और अपने प्रतिकृति दर के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है
  • वायरस को वर्गीकृत करने का श्रेय अमेरिकी जीवविज्ञानी और नोबेल पुरस्कार विजेता डेविड बाल्टीमोर को जाता है
  • बाल्टीमोर वर्गीकरण डेविड बाल्टिमोर द्वारा विकसित एक वायरस वर्गीकरण प्रणाली है जो वायरस के परिवारों को एक समूह में स्थापित करती है यह वर्गीकरण उनके जीनोम के प्रकार (DNA or RNA) और उनकी प्रतिकृति की विधि पर निर्भर करता है
  • बाल्टीमोर वर्गीकरण वायरस को सात भागो में वर्गीकृत करता है
    ● डबल स्ट्रैंडेड डीएनए विषाणु (dsDNA virus) – यह वायरस किसी जीवित होस्ट कोशिका के नाभिक में प्रवेश करने के बाद अपनी प्रतिलिपियाँ तैयार करता है
    ● पॉजिटिव सेंस सिंगल स्ट्रैंडेड डीएनए विषाणु (+ssDNA virus) – यह वायरस मुख्यतः वनस्पतियों को संक्रमित करते ज्यादा देखा गया है
    ● पॉज़िटिव सेंस सिंगल स्ट्रैंडेड आरएनए विषाणु (+ssRNA virus) – पॉजिटिव-सेंस RNA वायरस किसी भी होस्ट कोशिकाओं के राइबोसोम को तुरंत ही अपने स्पाइक प्रोटीन से सीधे एक्सेस करने लगते है
    ● निगेटिव सेंस सिंगल स्ट्रैंडेड आरएनए विषाणु (−ssRNA virus) – निगेटिव सेंस RNA वायरस होस्ट कोशिकाओं के राइबोसोम को अपने प्रोटीन से तुरंत आदेश नही दे सकते है इसके बजाय ये वायरस अपने वायरल पोलीमरेज़ द्वारा पठनीय सूचनाओं के रूप में कोशिकाओं को प्रेषित करते है
    ● डबल स्ट्रैंडेड आरएनए विषाणु (dsRNA viruses) – यह वायरस अधिकांश जीवित कोशिकाओं में संक्रमित करते देखा गया है
    ● डबल स्ट्रैंडेड रिवर्स ट्रांस्क्राइबिंग डीएनए विषाणु (dsDNA-RT virus) – यह वायरस परिवार का बहुत छोटा समूह है हेपेटाइटिस बी वायरस भी इसी परिवार का एक सदस्य है
    ● सिंगल स्ट्रैंडेड रिवर्स ट्रांस्क्राइबिंग आरएनए विषाणु (ssRNA-RT virus) – इस वायरस परिवार में ही रेट्रोवायरस शामिल है रेट्रोवायरस वास्तव में एक RNA वायरस ही है जो होस्ट कोशिकाओं पर हमला कर अपने जीनोम को होस्ट कोशिकाओं के DNA में सम्मिलित कर देता है इस प्रकार यह वायरस पूरे कोशिका के जीनोम को बदल सकता है
  • आम तौर पर वायरस केवल 20-400 नैनोमीटर तक होते हैं
  • अधिकांश वायरस इतने छोटे होते हैं कि उनको संयुक्त सूक्ष्मदर्शी द्वारा भी देख पाना असम्भव है
  • सबसे छोटा वायरस टोबैको नेक्रोसिस वायरस है जिसका परिमाण लगभग 17 nm होता है इसके विपरीत सबसे बड़ा जन्तु वायरस पोटैटो फीवर वायरस है लगभग 400 nm

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