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राज्य मानवाधिकार आयोग क्या है? राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य की नियुक्ति कैसे होती है? इन्हें इनके पद से कैसे हटाया जाता है? राज्य मानवाधिकार आयोग के क्या कार्य हैं? इनकी क्या शक्ति होती है?
जिस प्रकार से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की संरचना होती है उसी प्रकार से राज्य का भी एक मानवाधिकार आयोग होता है। इसमें एक अध्यक्ष और 2 सदस्य होते हैं। सामान्य रूप से सदस्य उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त या कार्यरत न्यायाधीश होते हैं।vinayiasacademy राज्य का जिला न्यायालय का कोई न्यायधीश जो 7 वर्षों से कार्य कर रहा है उसे इस पद में रहने का अधिकार है। इसके अध्यक्ष और सदस्य की नियुक्ति राज्यपाल के द्वारा की जाती है और राज्यपाल को एक समिति की अनुशंसा मिलती है इस समिति के प्रमुख के रूप में राज्य के मुख्यमंत्री होते हैं। इसके अलावा विधानसभा के अध्यक्ष, राज्य का गृह मंत्री तथा राज्य विधानसभा में विपक्ष का नेता अन्य सदस्य के रूप में रहते हैं। जिस राज्य में विधान परिषद है वहां पर विधान परिषद का अध्यक्ष और विधान परिषद में विपक्ष का नेता भी इस समिति के सदस्य होते हैं। इसके अतिरिक्त एक सदस्य के रूप में राज्य उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश परामर्श करने के बाद इनका नाम सुझाव में दिया जाता है ।उनको भी इसका सदस्य बनाया जाता है।vinayiasacademy राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्य का कार्यकाल 5 वर्ष अथवा 70 वर्ष की आयु तक दोनों में से जो भी पहले हो जाए तक होता है। इनकी नियुक्ति तो राज्यपाल करते हैं लेकिन इसे हटाने अधिकार राष्ट्रपति के पास होता है। यानी कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और सदस्य को हटाने की व्यवस्था की गई है ।वही व्यवस्था राज्य के मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और सदस्य को हटाने के लिए होती है।
राज्य मानवाधिकार आयोग के कार्य-vinayiasacademy किसी भी प्रकार से राज्य में अगर मानवाधिकार का हनन हुआ हो, मानवाधिकार का उल्लंघन हुआ है, जो किसी लोक सेवक के द्वारा किया गया है, जो किसी पुलिस के द्वारा किया गया हो। अगर इसकी कोई रिपोर्ट की गई है या स्वप्रेरणा से यह पता चला तो इसके लिए राज्य का मानवाधिकार आयोग काम शुरू कर देता है। किसी भी न्यायालय में लंबित किसी मानवाधिकार से संबंधित कोई कार्यवाही अगर चल रही है तो इसमें भी यह हस्तक्षेप कर सकता है। राज्य के जेल और बंदी गृह में वहां की स्थिति को देख सकता है कि क्या लोगों के लिए सही वातावरण है या नहीं। जब कोई कानून बनाया जाता है जिसमें मानवाधिकार से संबंधित मुद्दे होते, तो इसकी रक्षा करना ,इस आयोग का कर्तव्य है आतंकवाद सहित उन सभी कारण की समीक्षा करेंगे जिसके लिए मानवाधिकार का उल्लंघन होता है ।किस प्रकार से प्रत्येक व्यक्ति को मानव अधिकार दिया जाए, इसका इसका प्रमुख काम है लोगों को प्रोत्साहन करना और जागरूक करना vinayiasacademy मानवाधिकार के संबंध में सहयोग कैसे दिया जाए संवैधानिक और उनकी जानकारी देना
राज्य मानवाधिकार आयोग की कार्यप्रणाली क्या है- राज्य मानवाधिकार आयोग को दीवानी न्यायालय की सारी शक्ति प्राप्त होती है। और उसी प्रकार से यह कार्य करता है। वह पीड़ित व्यक्ति का क्षतिपूर्ति या नुकसान के लिए आर्थिक भुगतान का आदेश दे सकता है या सरकार से सिफारिश कर सकता है। वह कार्यवाही प्रारंभ करने के लिए बोल सकता है कि जो लोकसेवक के चलते किसी व्यक्ति का मानवाधिकार का उल्लंघन हुआ है। उसके विरूद्ध पीड़ित व्यक्ति को तत्काल अंतरिम सुविधा कैसे दिया जाए। इसकी भी सिफारिश करता है रिट जारी करने के लिए उच्चतम या उच्च न्यायालय में भी जा सकता है लेकिन राज्य के मानवाधिकार आयोग को सिर्फ सिफारिश करने की शक्ति है।
मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 में कुल 5 सदस्य राज्य मानवाधिकार आयोग में बनाए गए थे लेकिन वर्ष 2016 में संशोधन करके इसमें सदस्य की संख्या तीन कर दी गई है कई राज्यों में अभी तक राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन नहीं हुआ है


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