केंद्रीय सूचना आयोग क्या है ?इसकी संरचना कैसे होती है? केंद्रीय सूचना आयुक्त का कार्यकाल कितने दिनों का होता है? केंद्रीय सूचना आयुक्त को कैसे हटाया जा सकता है? केंद्रीय सूचना आयोग की शक्ति क्या है?vinayiasacademy
सरकार के कार्य में पारदर्शिता कैसे हो और जनता के प्रति उत्तरदायित्व कैसे बढ़े। इसे देखते हुए ही सूचना का अधिकार शुरू किया गया था। सूचना के अधिकार को और बेहतर तरीके से लागू करने के लिए 2005 में केंद्र सरकार ने केंद्रीय सूचना आयोग का स्थापना किया था। इसलिए यह एक संविधिक निकाय है।
केंद्रीय सूचना आयोग में एक मुख्य आयुक्त होते हैं एवं अन्य सूचना आयुक्त होते हैं ।सब मिलाकर इनकी संख्या 10 से अधिक नहीं होनी चाहिए।
केंद्रीय सूचना आयोग के सदस्य की नियुक्ति कैसे होती है- केंद्रीय सूचना आयोग के सदस्य की नियुक्ति एक समिति की सिफारिश पर होती है। जिसमें प्रमुख रूप से प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष का नेता एवं प्रधानमंत्री द्वारा मनोनीत एक कैबिनेट मंत्री होता है। इसके अध्यक्ष बनने के लिए और सदस्य बनने के लिए उन सभी व्यक्ति को अनुभवी होना चाहिए उन्हें कानून का, विज्ञान का, सामाजिक सेवा का, पत्रकारिता ,प्रशासन चलाने का ,जनसंचार का और भी अलग-अलग विशिष्ट सेवा का अनुभव होना चाहिए।vinayiasacademy
मुख्य सूचना आयुक्त एवं अन्य आयुक्त का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है अथवा अगर वे 65 वर्ष की आयु पहले प्राप्त कर लेते हैं तो अपने पद से हट जाएंगे ।उनका पुनः नियुक्ति नहीं हो सकता है ।राष्ट्रपति द्वारा मुख्य सूचना आयुक्त एवं आयुक्त को उनके पद से हटाया जाता है। अगर वह दिवालिया हो गए हो या किसी अपराध में दोषी सिद्ध हो गए हो ,किसी लाभ के पद पर कार्यकाल के दौरान कार्य कर रहे हो, शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर,।
केंद्रीय सूचना आयोग के क्या कार्य हैं एवं इनकी क्या शक्ति होती है- आयोग को यह जिम्मेवारी दी गई है कि किसी भी व्यक्ति से अलग-अलग प्रकार से प्राप्त होने वाली जानकारी और अगर शिकायत आती है तो जल्द से जल्द उसका समाधान खोजा जाए जैसे जन सूचना अधिकारी कि अगर नियुक्ति नहीं हुई, और सूचना नहीं दिया जाए, अगर किसी व्यक्ति को जानकारी देने से मना कर दिया गया है ,अगर किसी व्यक्ति के द्वारा निर्धारित समय में जानकारी नहीं प्राप्त हो पाया हो ,अगर फीस मांगा गया है ,सूचना झूठी है, अस्पष्ट है तो ऐसे सभी मामले पर केंद्रीय सूचना आयोग दीवानी न्यायालय की तरह कार्य करने लगता है ।वह किसी व्यक्ति के विरुद्ध सम्मन जारी कर सकता है। मौखिक या लिखित रूप से शपथ साक्ष्य प्रस्तुत करने का आदेश दे सकता है ।दस्तावेज मंगा कर जांच कर सकता है ।vinayiasacademyकिसी न्यायालय या कार्यालय से सार्वजनिक दस्तावेज को मंगा सकता है ।किसी गवाह के दस्तावेज की जांच करने के लिए सम्मन जारी कर सकता है। शिकायत की जांच करते समय अगर उसे लगता है कि कोई लोक सेवक ने गलती किया है या उसने रिकॉर्ड जमा नहीं किया है तो वह उससे फिर से सारा रिकॉर्ड और दस्तावेज मंगवा कर देख सकता है। आयोग को यह भी शक्ति दिया गया है कि वह अपने निर्णय को पालन करवाने की सुनिश्चित कार्रवाई करें। इसके लिए जहां पर जन सूचना अधिकारी नहीं है वहां अधिकारी नियुक्त किया जाए ।सूचना का प्रकाशन किया जाए ।रिकॉर्ड का प्रबंधन किया जाए। सूचना के अधिकार के बारे में लोगों को जागरूक किया जाए। उन्हें प्रशिक्षण दिया जाए। वार्षिक प्रतिवेदन, अर्थदंड भी लगा सकता है। याचिका को अस्वीकार कर सकता है।vinayiasacademy