Share it

फाइनेंस कमीशन क्या है? वित्त आयोग का मुख्य कार्य क्या है? वित्त आयोग के सदस्य कौन होते हैं? राज्य का वित्त आयोग कैसे कार्य करता है? 14वां वित्त आयोग ने क्या सिफारिश की है? 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष कौन हैं? राजकोषीय संघवाद क्या है?

vinayiasacademy.com वित्त आयोग एक संवैधानिक संस्था एवं अर्ध न्यायिक संस्था है। संवैधानिक का अर्थ है कि भारत सरकार अधिकारी कारण पर इन की अनुशंसा को मानेगी ,22 नवंबर 1951 को वित्त आयोग का गठन किया गया था, 1993 ईस्वी सभी राज्य में भी एक वित्त आयोग का गठन किया जाता है। आमतौर पर वित्त आयोग का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है । संविधान के अनुच्छेद 280 के द्वारा है जिसमें राष्ट्रपति नियुक्ति करते हैं लेकिन अगर राष्ट्रपति चाहे तो पहले भी इसे समाप्त कर के नए वित्त आयोग की घोषणा कर सकते हैं ।vinayiasacademy.com वित्त आयोग में एक अध्यक्ष और 4 सदस्य होते हैं सभी की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है ।अध्यक्ष एवं सदस्य को पुनः निर्वाचित किया जा सकता है। सदस्य में से 2 सदस्य पूर्णकालिक होते हैं और 2 सदस्य अंशकालिक होते हैं। एक सदस्य किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश हो सकते हैं ।दूसरे सदस्य लेखा विभाग के ज्ञाता होते हैं। तीसरे सदस्य प्रशासनिक क्षेत्र के ज्ञाता होते हैं और चौथे सदस्य अर्थशास्त्र के ज्ञाता होते हैं।
15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह है एवं सदस्य शक्तिकांत दास रमेश चंद्र अशोक लहरी और अनूप सिंह ।इसके सचिव अरविंद मेहता हैं।


राजकोषीय संघवाद की विचारधारा वर्तमान में मजबूत हुई, 1959 ईस्वी में जर्मनी के रिचर्ड मसग्रेव ने राजकोषीय संघ वाद का सिद्धांत को लाया। जिसमें बताया गया है कि केंद्र के पास किसी भी वित्तीय शक्ति में सबसे अधिक ताकत होती है ।vinayiasacademy.comप्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष को अधिक रूप से केंद्र ही वसूलता है ।उसे राज्य की जनसंख्या, राज्य की वित्तीय स्थिति, वन प्रदेश, अलग-अलग प्रकार की क्षेत्रफल के अनुसार देना चाहिए।
वित्तीय आयोग के कार्य को अगर देखा जाए तो मुख्य रूप से राजस्व का बंटवारा करना ,केंद्र व राज्य के बीच में भारत की संचित निधि से कितना पैसा राज्य को देना है इस पर विचार करना, राज्य वित्त आयोग की सिफारिश के आधार पर यह बताना कि वह अपने राजस्व संग्रह कैसे करें। पंचायत व नगरपालिका के संसाधनों की पूर्ति करना ,राष्ट्रपति द्वारा भेजा गया और कोई विषय जो वित्तीय प्रकृति का होता है ,उसे आगे लाना ।उत्तर पूर्वी भारत में जूट विशेष जो आय होती है उसे बंटवारा करना, अनुदान भुगतान के लिए एक सिद्धांत का विकास करना ,राजस्व की प्रतिशत में एक राय बनाना ,ऋण सीमा तय करना, राजकोषीय उत्तरदायित्व बनाना, विशेष एवं सामान्य श्रेणी के राज्य के बीच मतभेद है उसे कम करना , जिन राज्यों को घाटा हो रहा है उन्हें अनुदान देना। जीएसटी के बाद अगर किसी राज्य को नुकसान हो जाता है तो उन्हें एक सौ प्रतिशत तक समर्थन देना यह मुख्य काम होता है।
वित्त आयोग भी एक परामर्श दात्री संस्था के जैसा कार्य करती है। इसकी सिफारिश को मानने के लिए सरकार बाध्य नहीं होती है ।केंद्र सरकार पर यह निर्भर करता है कि वह इसकी अनुशंसा को माने या नहीं माने ।vinayiasacademy.com हालांकि अधिकांश अनुशंसा को अभी तक मान ही लिया जाता है। अनुच्छेद 275 के द्वारा राज्यों के राजस्व सहायता अनुदान द्वारा किस प्रकार से बेहतर किया जाए इसके लिए भी वित्त आयोग सलाह देती है।
Vinayiasacademy.com


Share it