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राष्ट्रीय विकास परिषद से आप क्या समझते हैं इसके कार्यों के बारे में बताएं योजना आयोग के कार्यों के बारे में टिप्पणी दे?

राष्ट्रीय विकास परिषद एक गैर संवैधानिक संस्था है जिसका गठन आर्थिक नियोजन हेतु राज्य एवं योजना आयोग के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए किया गया था। इसका गठन 6 अगस्त 1952 ईस्वी में किया गया था। प्रधानमंत्री इसकी अध्यक्षता योजना आयोग का सचिव इसका भी सचिव होता है। यहां योजना आयोग का कार्य योजना निर्माण तक ही सीमित है वही राष्ट्रीय विकास परिषद सहकारी संघवाद का सर्वोत्तम उदाहरण है।
राष्ट्रीय विकास परिषद के कार्यः

  • राष्ट्रीय योजना के संचालन का समय समय पर मूल्यांकन करना।
  • राष्ट्रीय विकास को प्रभावित करने वाली सामाजिक और आर्थिक नीतियों की समीक्षा करना।
  • राष्ट्रीय योजना में निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सुझाव देना तथा राष्ट्रीय नियोजन में अधिक से अधिक जन सहयोग प्राप्त करना, प्रशासनिक दक्षता को सुधारना, अल्पविकसित एवं पिछड़े वर्ग एवं क्षेत्रों के विकास के लिए आवश्यक परियोजना निर्माण का सुझाव देना तथा राष्ट्रीय विकास के लिए संसाधनों का निर्माण करना।
  • योजना आयोग द्वारा तैयार की गई योजना का अध्ययन करना तथा विचार विमर्श के पश्चात उसे अंतिम रूप प्रदान करना इसकी स्वीकृति के बाद ही योजना का प्रारूप प्रकाशित होता है।

योजना आयोगः भारत में नियोजित आर्थिक विकास का प्रारंभ सन 1951 में प्रथम पंचवर्षीय योजना के प्रारंभ होने के साथ हुआ परंतु आर्थिक नियोजन का सैद्धांतिक प्रयास स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्वी प्रारंभ हो गया था। वर्ष 1934 ईस्वी में एम विश्वेश्वरैया ने भारत के लिए नियोजित अर्थव्यवस्था नामक पुस्तक की रचना की। सन 1938 ईस्वी में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने सर्वप्रथम राष्ट्रीय नियोजन समिति का गठन किया जिसके अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू थे। सन 1944 में आर्देशिर दलाल की अध्यक्षता में मुंबई के 8 उद्योगपतियों ने एक 15 वर्षीय योजना मुंबई प्लान का प्रस्तुतीकरण किया। महात्मा गांधी के आर्थिक विचारों से पीड़ित होकर सन 1944 ईस्वी में मन्नानारायण ने एक योजना प्रस्तुत की जिसे गांधीवादी योजना के नाम से जाना जाता है। योजना आयोग के सी नियोगी समिति 1946 की संस्तुति के आधार पर योजना आयोग का गठन 15 मार्च 1950 को एक गैर संवैधानिक परामर्श दात्री संस्था के रूप में किया गया। भारत में योजना आयोग का पदेन अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है सदस्यों एवं उपाध्यक्ष का कोई निश्चित कार्यकाल नहीं होता और ना ही कोई निश्चित योग्यता होती है इनकी संख्या सरकार की इच्छा पर निर्भर करती है।

योजना आयोग के कार्यः

  • देश के भौतिक, पूंजीगत मानवीय संसाधनों का अनुमान लगाना।
  • राष्ट्रीय संसाधनों के अधिक से अधिक प्रभावी एवं संतुलित उपयोग के लिए योजना तैयार करना।
  • योजना के विभिन्न चरणों का निर्धारण करना एवं प्राथमिकता के आधार पर संसाधनों का आवंटन करने का प्रस्ताव करना।
  • तत्वों को जो कि आर्थिक विकास में बाधक है सरकार को बताना एवं उन परिस्थितियों का निर्धारण करना जो वर्तमान सामाजिक एवं राजनीतिक परिस्थितियों में योजना के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक है।
  • योजना के प्रत्येक चरण के क्रियान्वयन के फलस्वरूप प्राप्त सफलता की समय-समय पर समीक्षा करना तथा सुधारात्मक सुझाव देना।
  • समय-समय पर केंद्रीय तथा राज्य सरकारों द्वारा विशेष समस्या पर राय मांगने पर अपनी सलाह देना।

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