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प्रश्न पत्र – प्रथम अवधि- 3 घंटे अंक-100

सामान्य हिंदी 50 अंक निबंध (400 शब्द) 15 अंक
व्याकरण 15 अंक
वाक्य विन्यास 10 अंक
संक्षेपण 10 अंक
सामान्य अंग्रेजी 50 अंक
Essay (400 words) 15 marks Grammar 15 marks Comprehension 10 marks Precis 10 marks

प्रश्न पत्र – द्वितीय अवधि- 3घंटे अंक – 150
ओड़िया भाषा एवं साहित्य
बंगाली भाषा एवं साहित्य
उर्दू भाषा एवं साहित्य
संस्कृत भाषा एवं साहित्य
हिंदी भाषा एवं साहित्य
अंग्रेजी भाषा एवं साहित्य
पंचपरगानिया भाषा एवं साहित्य
मुंडारी भाषा एवं साहित्य
नागपुरी भाषा एवं साहित्य
कुरमाली भाषा एवं साहित्य
कुरुख भाषा एवं साहित्य
हो भाषा एवं साहित्य
संताली भाषा एवं साहित्य
खोरठा भाषा एवं साहित्य
खड़िया भाषा एवं साहित्य


प्रश्न पत्र – तृतीय अवधि- 3घंटे अंक – 200

इतिहास

प्राचीन काल:-
सिंधु घाटी सभ्यता: उद्भव, पुरातनता तथा रचना कारिता तथा मुख्य विशेषताएं। आर्यों का उद्भव वैदिक साहित्य की पुरातनता तथा विभाजन: आरंभिक काल के दौरान समाज, अर्थव्यवस्था तथा धर्म, लिच्छवी तथा उनका गणतांत्रिक संविधान, मुगल साम्राज्य का अभ्युदय,
मुगल का काल: साम्राज्य का विस्तार ,कलिंग का युद्ध तथा इसके प्रभाव ,अशोक का स्तंभ, विदेश नीति, मौर्य काल के दौरान कला तथा स्थापत्य का विकास।
कुशान वंश ,कनिष्क: साम्राज्य का विस्तार उस की धार्मिक नीति ,कुशाण काल के दौरान कला स्थापत्य तथा संचार का विकास।
गुप्त वंश : साम्राज्य का विकास ,गुप्त काल के दौरान भाषा, कला तथा स्थापत्य का विकास। हर्षवर्धन- उत्तरी भारत का अंतिम महान हिंदू शासक, उसके काल के दौरान प्राप्त होने वाले सांस्कृतिक उपलब्धियां ।
चोल वंश:-पूर्व एशियाई देशों में नौवहन गतिविधियां, सांस्कृतिक उपलब्धियां, कला तथा स्थापत्य। पल्लवों की सांस्कृतिक उपलब्धियां।

मध्य कालीन :-
भारत का आरबों पर आक्रमण भारत पर गजनबियों का आक्रमण दिल्ली सल्तनत : अलाउद्दीन खिलजी के बाजारी तथा सैन्य सुधार । मोहम्मद बिन तुगलक की काल्पनिक नीतियां, भारत पर मंगोलों का आक्रमण, धार्मिक आंदोलन ,सूफी भक्ति आंदोलन में इस्लामिक संस्कृति का आगमन, स्थापत्य हिंदी व उर्दू भाषाओं का विकास। मुगल काल:- पानीपत का प्रथम युद्ध उपलब्धियां .मुगल साम्राज्य का एकत्रीकरण। अकबर के शासन काल के अंतर्गत जागीरदार तथा मनसबदारी व्यवस्था का प्रतिस्थापन, अकबर का धर्म और राजपूतों की नीतियां । औरंगजेब का धर्म और राजपूतों की नीतियां। मुगल स्थापत्य और चित्रकार मुगल काल के दौरान आर्थिक स्थिति। मराठों का उदय ,शिवाजी की उपलब्धियां, मराठों का उत्तर की ओर विस्तार तथा उनका पतन ।

आधुनिक :-

यूरोपीय और औपनिवेशीकरण की शुरुआत :-ईस्ट इंडिया कंपनी का निर्माण कार्य का भारत में ब्रिटिश शक्ति का समेकन प्लासी तथा बक्सर के युद्ध। मैसूर पर नियंत्रण सहायक गठबंधन का सिद्धांत। राजगामी होने का सिद्धांत अपने वैश्विक शासन का विरोध ,किसान जन जातियों तथा सांस्कृतिक विरोध ,1857 का युद्ध, हिंदू समुदाय में समाज सुधार आंदोलन:- ब्रह्म समाज आर्य समाज रामकृष्ण मिशन ,प्रार्थना समाज तथा भारत के थियोसॉफिकल सोसायटी, मुस्लिम समुदाय में समाज सुधार आंदोलन -वहाबी आंदोलन तथा अलीगढ़ आंदोलन ,महिलाओं की स्थिति में सुधार हेतु संघर्ष सती प्रथा का उन्मूलन सहमति विधेयक महिला शिक्षा पर दबाव ,ब्रिटिश शासन के अंतर्गत भूमि, राजस्व ,प्रशासन, स्थाई बंदोबस्त ,रैयतवाड़ी और महालवाड़ी व्यवस्था ।19वीं सदी में भारत के राष्ट्रवाद का उदय – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन, नरमपंथी तथा गर्म पंथी दल ,स्वदेशी आंदोलन ,होमरूल लीग आंदोलन ,खिलाफत आंदोलन ।महात्मा गांधी और जन सामूहिक राजनीति:- असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन ,भारत का विभाजन तथा इसके परिणाम ,स्वतंत्रता के पश्चात भारत भारतीय संघ में देसी रियासतों का विलय, भारतीय आधार पर राज्यों का पुनर्गठन:- नेहरू तथा इंदिरा गांधी के अंतर्गत गुटनिरपेक्ष नीति ,बांग्लादेश की आजादी

झारखंड का इतिहास:-
झारखंड की जनजातियों का सारण संप्रदाय, अवधारणा तथा नागपुरिया भाषा का उद्भव ,झारखंड में जनजाति तथा राष्ट्रवादी संघर्ष का आंदोलन, ताना भगत आंदोलन ,झारखंड में स्वतंत्रता आंदोलन ,।

भूगोल

भौतिक भूगोल:-
पृथ्वी की उत्पत्ति क्रमिक विकास पृथ्वी का आंतरिक भाग वेगनर का महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत ,विवर्तनिकी सिद्धांत ,ज्वालामुखी ,भूकंप और सुनामी ,चट्टानों के प्रमुख प्रकार और विशेषताएं नदी हेमंत शुष्क और कार्स्ट क्षेत्रों में भू आकृतियों का क्रमिक विकास तथा विशेषताएं ,भू-आकृति क्षत्रिय अपक्षरन बृहद क्षरण अपरदन और निक्षेपण, मृदा का निर्माण भूचक्र डेविस तथा पेंक के विचार वायुमंडल की संरचना बनावट तथा स्तरीकरण सूर्यताप पृथ्वी का उस्मा बजट तापमान का छैतिज तथा लंबवत वितरण, तापमान का वितरण :-वायु भारत तथा वातावरण ,उष्णकटिबंधीय तथा शीतोष्ण चक्रवात वाष्पीकरण तथा संघनन ओस ,पाला, धुंध, बादल तथा वर्षा एवं जलवायु का वर्गीकरण ::कोपेन तथा पुर्नवास हरित गृह प्रभाव ,वैश्विक तापन तथा जलवायु परिवर्तन जलीय चक्र महासागरों व समुद्रों में तापन तथा सॉलिसिट्स का वितरण तरंगे ज्वार तथा धाराएं महासागरीय तल के उच्च वचिय गुण
सूर्यताप- पृथ्वी का ऊष्मा बजट, तापमान का क्षैतिज तथा लंबवत वितरण, तापमान का व्युत्क्रम, वायु ,भार तथा वातावरण। उष्णकटिबंधीय तथा शीतोष्ण चक्रवात ,
वाष्पीकरण तथा संघनन, पाला ,कोहरा ,धुंध और बादल, वर्षा ,जलवायु का वर्गीकरण- कोपेन तथा थोर्न वैट, हरित गृह प्रभाव तथा वैश्विक तापन तथा जलवायु परिवर्तन जलीय चक्र महासागरों व समुद्रों में तापन तथा सॉलीसीट का वितरण:- तरंगे, ज्वार और धाराएं, महासागरीय जल के उच्च वचीय गुण।

भारत का भौतिक व मानव भूगोल:-
बनावट, उच्चवच और प्राकृतिक भूगोल संबंधी विभाजन ,हिमालय तथा प्रायद्वीप की जल अपवाह प्रणाली।
भारतीय मानसून प्रणाली -आरंभ और समाप्ति, जलवायु के प्रकार : भारत की मुख्य फसलों पर इसका प्रभाव, खाद्य अल्पता प्राकृतिक वनस्पति ,वनों के प्रकार एवं वितरण वन्य जीवन संरक्षण, जैव मंडल रिजर्व, मृदा के प्रकार तथा उनका वितरण, मृदा का निम्नीकरण और संरक्षण, प्राकृतिक आपदाएं: बाढ़ ,सूखा, चक्रवात, भूस्खलन ,जनसंख्या वृद्धि ,वितरण एवं घनत्व, आयु, लिंगानुपात, ग्रामीण-शहरी संरचना, जनसंख्या, पर्यावरण और विकास: बस्तियों के प्रकार -ग्रामीण तथा शहरी बनावट, शहरी बस्तियों का कार्यात्मक वर्गीकरण ,भारत में मानव बस्तियों की समस्याएं ।


भारत का प्राकृतिक संसाधन विकास एवं उपयोग :

भूमि संसाधन, सामान्य भूमि का प्रयोग, कृषि भूमि का प्रयोग, मुख्य फसलों की भौगोलिक स्थिति तथा उनका वितरण- जैसे: चावल, गेहूं ,जूट ,कॉटन ,गन्ना ,चाय ,रबड़ तथा कॉफी।
जल संसाधन: औद्योगिक तथा अन्य उद्देश्य के लिए उपलब्धता तथा उपयोग, सिंचाई जल की अल्पता ,संरक्षण की विधियां -जैसे :वर्षा ,जल कृषि और जल विभाजक प्रबंधन ,सतही जल प्रबंधन ।
खनिज और ऊर्जा संसाधन- वितरण और उपयोगिता, धात्विक खनिज ,लौह अयस्क- कॉपर ,मैग्नीज, बॉक्साइट ।अधात्विक खनिज और परंपरागत खनिज, कोयला ,पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस, जलविद्युत और ऊर्जा के गैर परंपरागत स्त्रोत, सौर वायु तथा बायोगैस उर्जा स्त्रोत- उनका वितरण तथा संरक्षण ।
उद्योगों का विकास- उद्योगों के प्रकार, औद्योगिक अवस्थिति के कारण, चुनिंदा उद्योग। ओलावृष्टि ,कॉटन टैक्सटाइल ,चीनी व पेट्रो रसायन का वितरण और परिवर्तित होता स्वरूप। वेबर का उद्योगों की अवस्थिति का सिद्धांत व आधुनिक विश्व में इसकी प्रासंगिकता परिवहन , संचार एवं अंतर्राष्ट्रीय व्यापार ,सड़क ,रेलवे और जलमार्ग । अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का आधार :-भारत के विदेशी व्यापार के बदलते स्वरूप ।

झारखंड के खनिज संसाधन:-


भूगर्भीय इतिहास ,आकृतियां, अपवाह प्रणाली, जल, वायु ,मृदा के प्रकार, वन ,कृषि और सिंचाई, दामोदर और स्वर्णरेखा प्रोजेक्ट ।झारखंड के खनिज संसाधन:- उनका निष्कर्षण और उपयोग .जनसंख्या वृद्धि, वितरण, घनत्व, जनजातीय जनसंख्या और उसका वितरण। जनजातियों की समस्या और जनजातीय विकास योजनाएं ,उनके रिवाज, अनुष्ठान, त्योहार इत्यादि। औद्योगिक और शहरी विकास ,मुख्य उद्योग:- स्टील और सीमेंट, कुटीर उद्योग ,शहरी बस्ती के प्रकार और जनसंघ जनसांख्यिकीय समस्याएं।

प्रश्न पत्र – चतुर्थ अवधि- 3घंटे अंक – 200

भारतीय संविधान एवं राजव्यवस्था व लोक प्रशासन एवं शासन व्यवस्था:-

भारतीय संविधान एवं राजव्यवस्था

भारतीय संविधान की प्रस्तावना (धर्मनिरपेक्ष ,लोकतांत्रिक तथा समाजवादी) एवं इसके पीछे का दर्शन । भारत के संविधान की मुख्य विशेषताएं ,जनहित याचिका की अवधारणा, भारतीय संविधान के आधारभूत संरचना, मूल अधिकार और कर्तव्य, राज्य के नीति निर्देशक तत्व, संघीय सरकार:- संघीय कार्यपालिका ,राष्ट्रपति की शक्तियां और कार्य ,उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद। एक गठबंधन सरकार के अंतर्गत इनके कार्य। संघीय विधायिका:- लोकसभा और राज्यसभा गठन एवं इसके कार्य विधि निर्माण, प्रक्रिया ,संसदीय समितियां ,कार्यपालिका पर संसद का नियंत्रण। संसद और इसके सदस्यों का विशेषाधिकार और भत्ते । संघीय न्यायपालिका :-उच्चतम न्यायालय :इसकी भूमिका और शक्तियां।प्राकृतिक न्याय और कानून के नियम का सिद्धांत ,न्यायिक पुनर्विलोकन और न्यायिक सक्रियता वाद । राज्य सरकार:- राज्य कार्यपालिका, राज्यपाल की शक्तियां और कार्य मुख्यमंत्री और मंत्री परिषद। राज्य विधायिका :-इसका गठन शक्तियां और कार्य (विशेष रुप से झारखंड के संदर्भ में) राज्य न्यायपालिका :-उच्च न्यायालय का गठन, शक्तियां कार्य एवं अधीनस्थ न्यायालय। पंचायत और नगरपालिका :-इसकी संरचना ,शक्तियां 73 वें और 74 वें संविधान संशोधन के संदर्भ में :-इनके कार्य तथा जिम्मेदारियां। केंद्र राज्य संबंध प्रशासनिक और वित्तीय अनुसूचित क्षेत्रों तथा अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन में से संबंधित प्रावधान, विधायिका तथा सेवाओं में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित स्थानों से संबंधित विशेष प्रावधान । संविधान आपातकालीन उपबंध। भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक:- एक भारत का चुनाव आयोग राजनीतिक दल और दबाव समूह

लोक प्रशासन एवं शासन व्यवस्था:-

लोक प्रशासन:- प्रस्तावना, अर्थ, विस्तार और महत्व।
सार्वजनिक और निजी प्रशासन, संघीय प्रशासन:- केंद्रीय सचिवालय, प्रधानमंत्री, कार्यालय, योजना आयोग ,वित्त आयोग ।
राज्य प्रशासन- राज्य सचिवालय ,मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री कार्यालय, जिला प्रशासन ,जिला मजिस्ट्रेट और जिलाधीश के कार्यालय का उद्भव और विकास।
जिला कलेक्टर की परिवर्तित होती भूमिका न्यायपालिका के पृथक्करण का जिला प्रशासन पर प्रभाव ।
निजी प्रशासन सिविल सेवकों की नियुक्तियां:- संघ लोक सेवा आयोग व राज्य लोक सेवा आयोग, सिविल सेवकों का प्रशिक्षण ,नेतृत्व और इसके गुण ।
कर्मचारियों का नैतिक स्तर और उत्पादकता प्राधिकरण का प्रत्यायोजन केंद्रीकरण तथा विकेंद्रीकरण, नौकरशाही उद्भव इसके लाभ और हानियां।
नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में नौकरशाही की भूमिका- नौकरशाही और राजनीतिक कार्यपालिका के मध्य संबंध सामान्य बनाम विशेषज्ञ।
विकासात्मक प्रशासन:- आपदा प्रबंध ,आपदा प्रबंधन के कारण एवं आपदा का वर्गीकरण। आपदा न्यूनीकरण ,अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन उपाय।
सुशासन :-अच्छी तथा उत्तरदाई शासन व्यवस्था का अर्थ तथा अवधारणा।
सुशासन की मुख्य विशेषताएं ,जवाबदेहीता, पारदर्शिता ,ईमानदारी और जल्द प्रतिपादन। नागरिक समाज की भूमिका और सुशासन में लोगों की सहभागिता ,शिकायतों में सुधार की प्रक्रिया।
लोकपाल -लोकायुक्त ,केंद्रीय सतर्कता ,आयुक्त, नागरिक ।
चार्टर उद्देश्य सेवा का अधिकार अधिनियम, सूचना का अधिकार अधिनियम, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, महिलाओं के विरुद्ध हिंसा पर रोक अधिनियम तथा वृद्धावस्था अधिनियम आदि। मानव अधिकार अवधारणा और अर्थ ।
मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ,राज्य मानवाधिकार आयोग मानवाधिकार और सामाजिक मुद्दे,मानवाधिकार और आंतकवाद।

प्रश्न पत्र – पंचम अवधि- 3घंटे अंक – 200

भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्वीकरण एवं सतत विकास:-

भारतीय अर्थव्यवस्था की मूल विशेषताएं

राष्ट्रीय आय, राष्ट्रीय आय के सामान्य अवधारणा और इसकी गणना के तरीके जैसे -स्थिर और वर्तमान मूल्यों पर जीडीपी ,जीएनपी ,एनडीपी ,एनएनपी ,जीएसडीपी ,एनएसडीपी और डीडीपी।
मुद्रास्फीति अवधारणा :- मुद्रास्फीति पर नियंत्रण, इसका मौद्रिक राजकोषीय तथा प्रत्यक्ष। मापन जनसांख्यिकीय विशेषताएं -कार्यबल का संयोजन , 2011 की जनगणना के संदर्भ में जनसांख्यिकीय लाभांश, राष्ट्रीय जनसंख्या नीति, कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था । राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्व ,भारत में कृषि विकास, उत्पादन तथा उत्पादकता, निम्न उत्पादकता के कारण और कृषि उत्पादकता में सुधार करने हेतु सरकार द्वारा लिए गए कदम । हरित क्रांति ,सदाबहार क्रांति और इंद्रधनुषी क्रांति विश्व व्यापार संगठन और कृषि कृषि लागत और उत्पादन का बाजारीकरण और मूल्य करण औद्योगिक अर्थव्यवस्था नीतिगत पहल और वह लोक वित्त स्वरूप लोक वित्त का महत्व और विस्तार सार्वजनिक राजस्व सिद्धांत और करो के प्रकार :-प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष प्रगतिशील और आनुपातिक वैट की अवधारणा सार्वजनिक व सार्वजनिक व्यय के सिद्धांत सार्वजनिक व्यय की वृद्धि के कारण और अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव:- आंतरिक व बाह्य , बजट निर्माण के बजट के प्रकार प्रदर्शन शून्य आधारित वित्तीय संसाधन प्रबंधन, विभाग राजकोषीय नीति, अवधारणा और रोजगार प्राप्ति में राजकोषीय नीति की भूमिका, स्थायित्व और आर्थिक विकास ,केंद्र राजकोषीय संबंध वित्त आयोग की भूमिका 73 व 74 वें संविधान संशोधन के वित्तीय पहलू, भारतीय मौद्रिक नीति तथा भारत में बैंकिंग व्यवस्था की संरचना भारत के व्यापार की संरचना भुगतान संतुलन की समस्या।


सतत विकास ,आर्थिक मुद्दे और भारत की विकास की रणनीति

आर्थिक विकास का अर्थ और मानक अल्प विकास की विशेषताएं। विकास के सूचक :- मानव विकास सूचकांक वैश्विक विकास सूचकांक सकल घरेलू आए जी ई एम भारत की मानव विकास सूचकांक में प्रगति अर्थव्यवस्था की वृद्धि में विदेशी पूंजी और तकनीकी की भूमिका:- सतत विकास अवधारणा और सतत विकास के सूचकांक ,आर्थिक सामाजिक और पर्यावरणीय सततता, हरित जीडीपी की अवधारणा ,भारत में सतत विकास के लिए रणनीति और नीति ।

समावेशी वृद्धि का अर्थ और 11वीं व 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान विकासात्मक नीति एवं रणनीति ,विकासात्मक दर्जा तथा सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों से जुड़े मुद्दे जैसे -अनुसूचित जनजातियां, अनुसूचित जातियां ,धार्मिक अल्पसंख्यक, पिछड़ी जातियां और महिलाएं केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा उनके विकास हेतु बनाई जाने वाली योजनाएं टीएसपी ,एससीएसपी और अल्पसंख्यकों को शामिल करते हुए
गरीबी और बेरोजगारी ,मापन और रुझान ,गरीबी रेखा से नीचे की पहचान ,मानव गरीबी सूचकांक, बहुआयामी भारतीय गरीबी सूचकांक, खाद्य और पोषण सुरक्षा, भारत का खाद्य उत्पादन में रुझान और उपयोग खाद सुरक्षा की समस्या भंडारण की समस्या और खरीद वितरण आयात और निर्यात। सरकारी नीतियां ,योजनाएं और कार्यक्रम जैसे -सार्वजनिक वितरण प्रणाली ,आईसीडीएस और मध्यान भोजन इत्यादि । खाद्य और पोषण सुरक्षा हेतु सरकारी नीतियां ,योजना ,रणनीति। भारतीय पंचवर्षीय योजनाओं के उद्देश्य और रणनीति, राष्ट्रीय विकास परिषद की भूमिका और कार्य योजना आयोग । विकेंद्रीकृत योजना अर्थ और महत्व पीआरआईएसआर और विकेंद्रीकृत योजना ।

आर्थिक सुधार स्वरूप और भारतीय अर्थव्यवस्था पर इनका प्रभाव

। नए आर्थिक सुधार उदारीकरण निजीकरण और वैश्वीकरण सुधार के औचित्य और आवश्यकताएं । अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएं जैसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष विश्व बैंक विश्व स्वास्थ्य संगठन इसकी भूमिका :-भारतीय अर्थव्यवस्था पर इनका प्रभाव वित्तीय और बैंकिंग क्षेत्र में सुधार, आर्थिक सुधार और ग्रामीण बैंक का ग्रामीण साख पर पड़ने वाला प्रभाव ,स्वयं सहायता समूह , वित्त ,नाबार्ड ,क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक ,अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक ,ग्रामीण सहकारी बैंक ,वित्तीय समावेशन भारतीय अर्थव्यवस्था पर वैश्वीकरण, विभिन्न क्षेत्रों पर पड़ने वाले इसके सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव । भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश तथा विदेशी संस्थागत निवेशकों के मुद्दे:- कृषि क्षेत्र में सुधार तथा विकास पर इसका प्रभाव सब्सिडी के मुद्दे और कृषि पर होने वाले सार्वजनिक निवेश सुधार तथा कृषि संकट ।

औद्योगिक नीति में मुख्य परिवर्तन इसका औद्योगिक विकास पर प्रभाव और सूक्ष्म व मध्यम उद्यमों की समस्या बाद के सुधार के काल में होने वाले भारत के उदारीकरण में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की भूमिका, सार्वजनिक उद्यमों का विनिवेश और निजीकरण।

झारखंड की अर्थव्यवस्था, विशेषताएं ,मुद्दे ,चुनौतियां और रणनीतियां

झारखंड की अर्थव्यवस्था की आर्थिक समृद्धि और संरचना

क्षेत्रीय संरचना पिछले दशक में एसडीपी तथा प्रति व्यक्ति जीडीपी में वृद्धि । झारखंड में कृषि और औद्योगिक विकास वृद्धि । झारखंड की जनसांख्यिकीय विशेषताएं ,जनसंख्या वृद्धि ,लिंगानुपात ,घनत्व ,साक्षरता ,कार्यबल की संरचना ,ग्रामीण शहरी संरचना इत्यादि ।।जिलों में आंतरिक विविधता ।झारखंड में गरीबी की स्थिति बेरोजगारी ,खाद सुरक्षा को पोषण और स्वास्थ्य सूचकांक, प्रमुख कृषि और ग्रामीण विकास के मुद्दे:- प्रमुख कार्यक्रम और योजनाएं। गरीब उन्मूलन कार्यक्रम पी यू आर ए ,भारत निर्माण ,मनरेगा, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, स्वर्ण जयंती स्वरोजगार योजना इंदिरा आवास योजना आदि खाद्य सुरक्षा योजना ,झारखंड में भूमि और पर्यावरण मुद्दे । भूमि सुधार और कृषि संबंध ,जनजाति भूमि लोगों का विकास हेतु विस्थापन इसके प्रभाव और नीतिगत वनों से संबंधित मुद्दे और वित्तीय संसाधन। एजेंसी का क्रियान्वयन :;पर्यावरण निम्नीकरण और इससे निपटने हेतु राज्य की नीति। झारखंड में पंचवर्षीय योजनाएं -10वीं और 11वीं योजना की रणनीति और उपलब्धियां । झारखंड में लोक वित्त का झारखंड में औद्योगिक नीति और औद्योगिक विकास।

प्रश्न पत्र – षष्ठ अवधि- 3घंटे अंक – 200

सामान्य विज्ञान, पर्यावरण एवं तकनीकी विकास:-

भौतिक विज्ञान

मानकों की पद्धति :- एमकेएस ,सीजीएस ,एसआई ,गुरुत्व द्रव्यमान ,भार ,बल, आधार, कार्य ,शक्ति और ऊर्जा की परिभाषाएं सौरमंडल सूर्य तथा अन्य ग्रहों के सापेक्ष पृथ्वी की स्थिति सौरमंडल में पृथ्वी और चंद्रमा की गति, चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण। ध्वनि की अवधारणा और स्वभाव ,तरंग ,धैर्य और आवृत्ति । इंफ्रासोनिक और अल्ट्रासोनिक, प्रकृति में इंफ्रासोनिक ध्वनि के स्त्रोत अल्ट्रासोनिक ध्वनि की विशेषताएं और कुछ अनुप्रयोग।

जीव विज्ञान

जीवित विश्व कोशिकीय संरचना और इसके कार्य, जीवो में विविधता , कार्बोहाइड्रेट की संरचना और कार्य प्रोटीन और वसा विटामिन और इसकी कमी से होने वाले रोग, एंजाइम हार्मोन, पौधों के हार्मोन और वृद्धि नियामक । जीवो के हार्मोन और उनके कार्य कोशिकीय- चक्र समसूत्री और अर्धसूत्रीविभाजन, वंशानुक्रम, लिंग निर्धारण ,डीएनए की संरचना और कार्य, डीएनए प्रकृति ,प्रोटीन संश्लेषण जी नियमन निवेदन के आणविक आधार मानक के क्रमिक विकास को शामिल करते हुए पृथ्वी पर जीवन के विकास के सिद्धांत।

कृषि विज्ञान

झारखंड के विभिन्न कृषि ,जलवायु क्षेत्र, वृष्टि के तरीके तथा प्रत्येक क्षेत्र में पड़ने वाले अधिक दबाव ,वर्षा पोषित कृषि राज्य के परंपरागत खाद्य और बागवानी, जलवायु परिवर्तन के समय खाद्यान्न के लिए फसलों का विविधीकरण तथा इसके साथ ही पोषण सुरक्षा वर्षा जल कृषि और झारखंड में कृषि को सुधारने में इसकी भूमिका। मत्स्य कृषि, झारखंड में मृदा उत्पादकता की स्थिति ,मृदा की उत्पादकता में सुधार हेतु वर्मी कंपोस्ट और फॉर्म के अनुप्रयोग, नाइट्रोजन स्थिरीकरण जीवाणु उनके अनुप्रयोग और जैविक कृषि की अवधारणा ,कृषि वनीकरण की अवधारणा, बंजर भूमि तथा उन्हें कृषि योग्य बनाने हेतु साधन ,राज्य के किसानों के लाभ हेतु सरकार की योजनाएं।

पर्यावरण विज्ञान

पारिस्थितिकी तंत्र की अवधारणा, पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना और कार्य। प्राकृतिक संसाधन नवीकरणीय और गैर नवीकरणीय संसाधन ।
पर्यावरण संरक्षण स्वास्थाने और परस्थाने संरक्षण, प्रदूषण- वायु, जल, ध्वनि और मृदा, ठोस कचरा प्रबंधन, जैव विविधता: अवधारणा, हॉटस्पॉट, जैव विविधता के खतरे ,वैश्विक पर्यावरण के मुद्दे : जलवायु परिवर्तन, वैश्विक तापन ,ओजोन परत का हार्स, मरुस्थलीकरण। पर्यावरण कानून : पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, वायु रोकथाम और प्रदूषण पर नियंत्रण अधिनियम, वन संरक्षण अधिनियम।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विकास


विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर राष्ट्रीय नीति, देश की ऊर्जा मांग, ऊर्जा के परंपरागत और गैर परंपरागत स्त्रोत ,नाभिकीय उर्जा इसके लाभ तथा हानियां,नाभिकीय नीति की ओर झुकाव एनपीटी और सीटीबीटी ,अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी: भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम, विभिन्न उद्देश्यों हेतु उपग्रहों के अनुप्रयोग, भारतीय मिसाइल कार्यक्रम ,दूर संवेदी जीआईएस और मौसम की भविष्यवाणी, आपदा की चेतावनी, जल, मृदा व खनिज संसाधनों के मानचित्र में इसके अनुप्रयोग, कृषि जीव धारियों के प्रजनन, औषधि ,खाद्य तकनीकी और पर्यावरण संरक्षण में जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग, जैव प्रौद्योगिकी व्यवधानो के संभावित प्रतिकूल प्रभाव, सूचना प्रौद्योगिकी ,कंप्यूटर तथा आंकड़ों की प्रोसेसिंग में इनका अनुप्रयोग, डाटा प्रोग्राम ,साइबर अपराध कानून राष्ट्रीय नीति: मलेरिया ,कुष्ठ रोग ,एड्स, ट्यूबरक्लोसिस ,अंधापन की रोकथाम हेतु राष्ट्रीय कार्यक्रम।


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